सेबी की सख्ती: प्री-आईपीओ प्लेसमेंट के दौरान म्यूचुअल फंड्स की ओर से निवेश पर रोक, एंकर राउंड के लिए हरी झंडी
SEBI New Rule: भारतीय पूंजी बाजार में पारदर्शिता और तरलता बढ़ाने के लिए सेबी ने अहम बदलाव किया है। अब म्यूचुअल फंड कंपनियां आईपीओ से पहले शेयर खरीद नहीं सकेंगी, लेकिन एंकर राउंड में उनकी भागीदारी को हरी झंडी मिल गई है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
विस्तार
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को म्यूचुअल फंडों के लिए आईपीओ-पूर्व शेयर प्लेसमेंट में निवेश पर रोक लगा दी है। हालांकि, उन्हें एंकर राउंड में निवेश करने की अनुमति दी गई है।
आईपीओ के मूल्यांकन में पारदर्शिता लाने के लिए नियामक ने उठाया कदम
एक सूत्र ने बताया कि यह कदम आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के मूल्यांकन में पारदर्शिता लाने और तरलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। सूत्र ने कहा, “हमने म्यूचुअल फंड्स से कहा है कि वे शेयरों के प्री-आईपीओ प्लेसमेंट में निवेश न करें, बल्कि एंकर राउंड में निवेश करें।”
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एंकर निवेशकों के लिए शेयर आवंटन ढांचे में किया गया यह बदलाव
इस महीने की शुरुआत में सेबी ने एंकर निवेशकों के लिए शेयर आवंटन ढांचे में सुधार के लिए नियमों में संशोधन किया था। इसके तहत एंकर हिस्से में कुल आरक्षण को पहले के 33% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। इसमें 33% म्यूचुअल फंडों के लिए और शेष 7% बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए आरक्षित रखा गया है। यदि बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए आरक्षित हिस्सा अप्राप्त रहता है, तो उसे म्यूचुअल फंडों को फिर से आवंटित किया जाएगा।
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खुदरा निवेशकों के अतार्किक उत्साह के कारण हो रहा नुकसान
इसके अलावा, सेबी जल्द ही आईपीओ में अनिवार्य संक्षिप्त विवरणिका को मानकीकृत 'प्रस्ताव दस्तावेज सारांश' से बदलने की योजना बना रहा है, ताकि खुलासे को अधिक निवेशक-अनुकूल बनाया जा सके। नियामक का मानना है कि मौजूदा संक्षिप्त विवरणिकाएं इतनी बड़ी होती हैं कि खुदरा निवेशक उन्हें पूरी तरह नहीं पढ़ पाते। डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर भी सेबी की नजर है। सूत्रों के अनुसार, खुदरा निवेशकों के बीच 'अतार्किक उत्साह' के कारण उन्हें भारी नुकसान हो रहा है, इस पर नियामक सख्ती की तैयारी कर रहा है।
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