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Economy: ट्रंप के टैरिफ को ठेंगा दिखा जारी है भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार, 2026 में पीछे होंगे चीन-US

Amit Sharma Digital अमित शर्मा
Updated Wed, 29 Oct 2025 02:54 PM IST
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सार

भारत की अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने का यह अनुमान ऐसे दौर में लगाया जा रहा है कि जब अमेरिकी टैरिफ के कारण व्यापार में कमी आने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन ताजा आंकड़ों ने बता दिया है कि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कहीं अधिक मजबूत है।

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सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने इसी साल के अप्रैल महीने में कहा था कि भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में सबसे अहम कारक बन सकता है। आईएमएफ ने भारत के 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से विकास करने का अनुमान लगाया था। जुलाई में आईएमएफ ने अपने ही अनुमानों में सुधार करते हुए भारत के 2025 और 2026 दोनों वर्षों में 6.4 प्रतिशत की दर से विकास करने की संभावना जताई। लेकिन आईएमएफ यहीं नहीं रुका। उसने एक बार फिर अपने अनुमानों में संशोधन करते हुए कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.6 प्रतिशत की दर से विकास कर सकती है। विकास की गति के मामले में यह अमेरिका और चीन जैसे देशों को पीछे छोड़ सकता है। इस दौरान चीन 4.8 प्रतिशत और अमेरिका 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है। आईएमएफ के अलावा विश्व बैंक सहित कई अन्य एजेंसियों ने भी इसी तरह का अनुमान जताया था। 

भारत की अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने का यह अनुमान ऐसे दौर में लगाया जा रहा है कि जब अमेरिकी टैरिफ के कारण व्यापार में कमी आने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन ताजा आंकड़ों ने बता दिया है कि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कहीं अधिक मजबूत है। आंतरिक व्यापार पर आधारित होने के कारण भारत अपने विकास की गति को बनाए रखने में सफल साबित हो रहा है। आईएमएफ ने भी यही अनुमान लगाया है कि आंतरिक बाजार की स्थिति बेहतर रहने के कारण भारत इस दौरान तेज गति से विकास करेगा।   

मोदी सरकार की ठोस नीतियों का परिणाम- डॉ. गोपाल कृष्ण अग्रवाल 
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने अमर उजाला से कहा कि वे 2023 से यह बात कहते आ रहे हैं कि वैश्विक मंदी के खतरों के बाद भी भारत शानदार गति से विकास की गति बनाए रखने में सफल रहेगा और यह दुनिया के विकास का इंजन बनेगा। उन्होंने कहा कि उनका यह अनुमान ठोस आंकड़ों पर आधारित था और आज वे बातें पूरी तरह सही साबित हो रही हैं। 
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किसी अर्थव्यवस्था के कुछ संकेतक होते हैं जिनके आधार पर उसकी सेहत के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। भारत में पेट्रोल-डीजल की खपत लगातार तेज बनी हुई है, बिजली की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, सीमेंट और स्टील का उत्पादन लगातार बेहतर हो रहा है और इसकी खपत लगातार बढ़ रही है। इन वस्तुओं का उपयोग बड़ी कंपनियों से लेकर निर्माण सेक्टर में होता है जो अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में सबसे अधिक भूमिका निभाते हैं। इन वस्तुओं की मांग बढ़ने का सीधा अर्थ है कि बाजार तेजी से आगे बढ़ रहा है।    

किसी भी विकसित देश की अर्थव्यवस्था की तरह भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में भी सर्विस सेक्टर का योगदान बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। भारत के सर्विस सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। लोग देश के अंदर से लेकर विदेशों तक बेहतर नौकरी के अवसर प्राप्त कर रहे हैं। इससे सर्विस सेक्टर का विकास हो रहा है। सर्विस सेक्टर के विकास का अर्थ है कि उद्यमियों द्वारा अधिक निवेश कर रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। यही कारण है कि भारत की अर्थव्यवस्था के बेहतर होने के संकेत लगातार मिल रहे हैं। 

जीएसटी दरों और टैक्स दरों में कमी का असर दिखा 
डॉ. गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि अब तक लोग ज्यादा टैक्स लेने को विकास के लिए अधिक पैसा जुटाने का माध्यम मान रहे थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिखा दिया है कि टैक्स दरों में कमी कर भी अर्थव्यवस्था को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले तो 12 लाख रूपये तक की आय को लगभग कर मुक्त कर दिया। इसके बाद जीएसटी दरों में भारी कमी कर लोगों को राहत दी। लेकिन इसके बाद भी भारत के कुल संग्रह में कोई कमी नहीं आई है। यह शानदार आर्थिक नीति का परिणाम है।  

उलटे यह हुआ है कि टैक्स दरों में कमी करने के कारण लोगों की जेब में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचा है। जीएसटी दरों में कमी के कारण वस्तुएं सस्ती हुई हैं और लोग उन्हें खरीदने के लिए आकर्षित हुए हैं। इसका परिणाम हुआ है कि अकेले दिवाली पर लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये की वस्तुओं की बिक्री हुई है। इस दौरान सर्विस सेक्टर में भी बढ़ोतरी हुई। मारुति, होंडा, टाटा सहित ज्यादातर वाहन निर्माता कंपनियों ने रिकॉर्ड बिक्री की है और यह बिक्री उनके अनुमान से बेहतर रही है।     

इस दौरान महंगाई दर कम बनी हुई है। इससे भी लोगों के हाथों में अधिक पैसा बच रहा है और वे खर्च करने के लिए प्रेरित हुए हैं। महंगाई दर कम रहने के कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो दरों में कटौती की है। इसका सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं को मिला है और उनके कर्ज पर ईएमआई कम हुई है। इस पूरे घटनाक्रम में आम उपभोक्ताओं की दृष्टि से माहौल सकारात्मक बना हुआ है।    

निवेश बढ़ने के संकेत मिल रहे
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि सितंबर महीने में व्यवसायियों के द्वारा अधिक कर्ज लिया गया है। व्यवसायियों के द्वारा कर्ज लेने की क्षमता पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा बेहतर हो गई है। यह इस बात का संकेत है कि उद्योगपतियों को अर्थव्यवस्था में भरोसा बना हुआ है, वे निवेश कर इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं। इससे न केवल अर्थव्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर बनेंगे। 

अंतरराष्ट्रीय बाजार को कैसे प्रभावित करेगा भारत
भारत उपभोक्ता वस्तुओं के साथ-साथ अपने निर्माण के लिए कच्चे सामानों और विशेषकर मशीनी आवश्यकताओं के लिए वैश्विक बाजार पर निर्भर करता है। सौर ऊर्जा, फार्मास्युटिकल उत्पाद, इलेक्ट्रिकल चिप्स, सॉफ्टवेयर बाजार और मशीनों के लिए वह चीन, जापान, अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों के बाजार पर निर्भर करता है। 

भारत के आंतरिक बाजार में विकास की गति बने रहने से वह अंतरराष्ट्रीय बाजार से इन वस्तुओं का आयात करेगा और इस तरह भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बनाए रखने में भी मदद करेगा। यही कारण है कि आईएमएफ सहित तमाम एजेंसियों का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर रणनीति के साथ लगातार आगे बढ़ती रहेगी और यह दुनिया भर में वस्तुओं की मांग को भी बनाए रखने में मदद करेगी।   
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