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लक्ष्मी विलास बैंक अब डीबीएस बना, कर्ज संकट ने खत्म किया 94 साल पुराने बैंक का अस्तित्व
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Fri, 27 Nov 2020 11:01 PM IST
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लक्ष्मी विलास बैंक का डीबीएस इंडिया में विलय
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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आजादी से पहले का लक्ष्मी विलास बैंक अब इतिहास हो गया। कर्ज संकट में फंसने के बाद शुक्रवार को अंतत: इस बैंक का अस्तित्व समाप्त हो गया। सिंगापुर के डीबीएस बैंक की भारतीय अनुषंगी डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का विलय इसका कारण है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को इस बैंक का भाग्य तब तय हो गया था, जब डीबीएस के साथ इसके प्रस्तावित विलय पर सरकार की मुहर लग गयी थी। रिजर्व बैंक ने डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ इसके विलय की घोषणा 27 नवंबर को की थी।
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रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक की सभी शाखाएं 27 नवंबर से डीबीआईएल की शाखाओं के रूप में कार्य करेंगी। बहरहाल, अब बैंक के जमाकर्ताओं के पास स्पष्टता है, लेकिन बैंक के प्रवर्तकों और निवेशकों को निराश ही छोड़ दिया गया है।
लक्ष्मी विलास बैंक को डीबीएस इंडिया के साथ विलय से पहले 318 करोड़ रुपये के टिअर-2 बेसल-3 बांडों को राइट ऑफ करने के लिये कहा गया था। रिजर्व बैंक ने बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 का हवाला देते हुए यह निर्देश दिया था। इसके परिणामस्वरूप इन बांडों के निवेशकों को नुकसान हुआ।
इसके अलावा, बैंक के शेयरों को समामेलन - लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड (डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ समामेलन) योजना 2020 के अनुसार डिलिस्ट किया जा रहा है।
बैंक यूनियनों सहित कई हितधारकों ने एक विदेशी बैंक की सहायक कंपनी के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का विलय करने के तरीके पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि रिजर्व बैंक ने विदेशी कंपनी को मुफ्त में लक्ष्मी विलास बैंक का तोहफा दे दिया है।
डीबीएस ने इससे पहले भी लक्ष्मी विलास बैंक को खरीदने का प्रयास किया था। 2018 में डीबीएस ने करीब 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश की थी। तब डीबीएस 100-150 रुपये प्रति शेयर की दर से पूंजी लगाने को तैयार था।