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सीएसआईओ का आविष्कार: पानी में सीसा-क्लोरीन की अब ऑन द स्पॉट होगी जांच, छोटा डिवाइस; बड़ा काम
वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Tue, 18 Nov 2025 11:32 AM IST
सार
डॉ. नीरजा ने बताया कि डिवाइस हैंडहेल्ड और यूएसबी आकार के मॉडल के रूप में किसी भी कमर्शियल कलोरीमेट्रिक स्ट्रिप के साथ इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह रंग में मामूली बदलाव को भी उच्च सटीकता से मापकर सुरक्षित और असुरक्षित स्तरों की स्पष्ट जानकारी देता है।
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सीएसआईओ का आविष्कार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पानी की शुद्धता और स्वास्थ्य का गहरा संबंध है लेकिन देश के कई हिस्सों में भारी धातुओं और अवशिष्ट क्लोरीन की सटीक जांच आज भी चुनौती बनी हुई है।
इस समस्या के समाधान के लिए सीएसआईओ की इंटेलिजेंट मशीन एंड कंप्यूटिंग सिस्टम टीम ने एक अत्याधुनिक तकनीक ‘एचएमआईगेज और एचएमआईसेंस’ विकसित की है। इनकी मदद से पानी में सीसा और क्लोरीन की जांच अब ऑन-द-स्पॉट संभव हो सकेगी। यह डिवाइस एप आधारित डेटा रिकॉर्डिंग, जियोटैगिंग और क्लाउड ट्रांसफर की सुविधा भी देता है।
डीएसटी और सीएसआईओ द्वारा समर्थित इस परियोजना का नेतृत्व डॉ. पूजा और डॉ. नीरजा गर्ग कर रही हैं। उनके अनुसार एचएमआईगेज एक पोर्टेबल कलोरीमीटर है जो पानी में मौजूद भारी धातुओं, विशेषकर सीसा (Pb²⁺), तथा अवशिष्ट क्लोरीन की त्वरित, सटीक और मात्रात्मक जांच करता है। डॉ. नीरजा ने बताया कि सीसा बच्चों के मानसिक विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है जबकि अवशिष्ट क्लोरीन का संतुलित स्तर जल जनित रोगों की रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में एचएमआईगेज का डिजिटल और रियल-टाइम विश्लेषण स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
डॉ. नीरजा ने बताया कि डिवाइस हैंडहेल्ड और यूएसबी आकार के मॉडल के रूप में किसी भी कमर्शियल कलोरीमेट्रिक स्ट्रिप के साथ इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह रंग में मामूली बदलाव को भी उच्च सटीकता से मापकर सुरक्षित और असुरक्षित स्तरों की स्पष्ट जानकारी देता है। 3डी-प्रिंटेड, मॉड्यूलर और हल्के डिजाइन वाला एचएमआईगेज कम पानी में भी परीक्षण कर सकता है और अन्य पानी के पैरामीटर तक आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
टीम ने आर्सेनिक और सेलेनियम के लिए भी स्वदेशी कलोरीमेट्रिक किट्स विकसित की है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों के वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम और औद्योगिक जल निकास तक यह तकनीक जल की शुद्धता और जनस्वास्थ्य सुरक्षा को नई ऊंचाई देने की क्षमता रखती है। जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसे राष्ट्रीय अभियानों को इससे उल्लेखनीय मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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इस समस्या के समाधान के लिए सीएसआईओ की इंटेलिजेंट मशीन एंड कंप्यूटिंग सिस्टम टीम ने एक अत्याधुनिक तकनीक ‘एचएमआईगेज और एचएमआईसेंस’ विकसित की है। इनकी मदद से पानी में सीसा और क्लोरीन की जांच अब ऑन-द-स्पॉट संभव हो सकेगी। यह डिवाइस एप आधारित डेटा रिकॉर्डिंग, जियोटैगिंग और क्लाउड ट्रांसफर की सुविधा भी देता है।
डीएसटी और सीएसआईओ द्वारा समर्थित इस परियोजना का नेतृत्व डॉ. पूजा और डॉ. नीरजा गर्ग कर रही हैं। उनके अनुसार एचएमआईगेज एक पोर्टेबल कलोरीमीटर है जो पानी में मौजूद भारी धातुओं, विशेषकर सीसा (Pb²⁺), तथा अवशिष्ट क्लोरीन की त्वरित, सटीक और मात्रात्मक जांच करता है। डॉ. नीरजा ने बताया कि सीसा बच्चों के मानसिक विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है जबकि अवशिष्ट क्लोरीन का संतुलित स्तर जल जनित रोगों की रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में एचएमआईगेज का डिजिटल और रियल-टाइम विश्लेषण स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
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डॉ. नीरजा ने बताया कि डिवाइस हैंडहेल्ड और यूएसबी आकार के मॉडल के रूप में किसी भी कमर्शियल कलोरीमेट्रिक स्ट्रिप के साथ इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह रंग में मामूली बदलाव को भी उच्च सटीकता से मापकर सुरक्षित और असुरक्षित स्तरों की स्पष्ट जानकारी देता है। 3डी-प्रिंटेड, मॉड्यूलर और हल्के डिजाइन वाला एचएमआईगेज कम पानी में भी परीक्षण कर सकता है और अन्य पानी के पैरामीटर तक आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
टीम ने आर्सेनिक और सेलेनियम के लिए भी स्वदेशी कलोरीमेट्रिक किट्स विकसित की है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों के वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम और औद्योगिक जल निकास तक यह तकनीक जल की शुद्धता और जनस्वास्थ्य सुरक्षा को नई ऊंचाई देने की क्षमता रखती है। जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसे राष्ट्रीय अभियानों को इससे उल्लेखनीय मजबूती मिलने की उम्मीद है।
डिवाइस की खासियतें
- भारी धातुओं और अवशिष्ट क्लोरीन की सटीक डिजिटल रीडिंग
- स्मार्टफोन से एकीकृत पोर्टेबल डिवाइस
- कम पानी की मात्रा में परीक्षण
- ब्लूटूथ/वायरलेस कनेक्टिविटी
- मॉड्यूलर डिजाइन। इसे आगे अन्य पैरामीटर्स तक बढ़ाया जा सकता है
- पर्यावरण-हितैषी और स्वदेशी रिएजंट किट्स
- वास्तविक समय में डेटा रिकॉर्डिंग, विश्लेषण और ट्रांसफर
सामान्य तौर पर इस प्रक्रिया से करते हैं जांच
- कलोरीमेट्रिक टेस्ट किट / पेपर स्ट्रिप्स
- रसायन आधारित टेस्ट
- लैबोरेटरी परीक्षण
- सेंसर आधारित डिजिटल मीटर