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10 साल बाद इंसाफ: हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को 4.5 लाख मुआवजे का दिया आदेश, दोषी को उम्रकैद बरकरार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sun, 24 Sep 2023 10:23 AM IST
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सार
हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी में दुष्कर्म के पीड़ित पक्ष के लिए मुआवजे का प्रावधान है इसके साथ ही हरियाणा सरकार 2013 में पीड़ित मुआवजा योजना लेकर आई थी। ट्रायल कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 357 के तहत मुआवजा नहीं दिया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
- फोटो : File Photo

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विस्तार
दुष्कर्म के 10 साल पुराने मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़िता को इंसाफ देते हुए उसे मुआवजे के तौर पर साढ़े 4 लाख रुपये जारी करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही दोषी की सजा के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए उम्रकैद को बरकरार रखने का आदेश दिया है।
फरीदाबाद की अदालत द्वारा दुष्कर्म के मामले में सुनाई गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ अपील सुनवाई के लिए जस्टिस बीएस वालिया और जस्टिस ललित बत्रा की पीठ के समक्ष पहुंची थी। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची को सजा सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की लेकिन पीड़िता को मुआवजा न देना गलत था। दुष्कर्म से पीड़िता को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ा हुई है।
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सीआरपीसी में दुष्कर्म के पीड़ित पक्ष के लिए मुआवजे का प्रावधान है इसके साथ ही हरियाणा सरकार 2013 में पीड़ित मुआवजा योजना लेकर आई थी। ट्रायल कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 357 के तहत मुआवजा नहीं दिया था। पीड़िता की उम्र घटना के समय 14 साल की थी। ऐसे में इसे ध्यान में रखते हुए अदालत उसे साढ़े चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी करती है।
हाईकोर्ट ने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण फरीदाबाद को आदेश दिया है कि मुआवजे की राशि पीड़िता को तीन महीने के भीतर जारी की जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए याचिकाकर्ता को कोई राहत देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
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फरीदाबाद की अदालत द्वारा दुष्कर्म के मामले में सुनाई गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ अपील सुनवाई के लिए जस्टिस बीएस वालिया और जस्टिस ललित बत्रा की पीठ के समक्ष पहुंची थी। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची को सजा सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की लेकिन पीड़िता को मुआवजा न देना गलत था। दुष्कर्म से पीड़िता को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ा हुई है।
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सीआरपीसी में दुष्कर्म के पीड़ित पक्ष के लिए मुआवजे का प्रावधान है इसके साथ ही हरियाणा सरकार 2013 में पीड़ित मुआवजा योजना लेकर आई थी। ट्रायल कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 357 के तहत मुआवजा नहीं दिया था। पीड़िता की उम्र घटना के समय 14 साल की थी। ऐसे में इसे ध्यान में रखते हुए अदालत उसे साढ़े चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी करती है।
हाईकोर्ट ने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण फरीदाबाद को आदेश दिया है कि मुआवजे की राशि पीड़िता को तीन महीने के भीतर जारी की जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए याचिकाकर्ता को कोई राहत देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।