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अवैध वाहनों का गढ़ बना चंडीगढ़: एक एमवीआई के सहारे पूरा शहर, बिना परमिट दौड़ रहे वाहन चालकों की मौज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Mon, 27 Oct 2025 12:48 PM IST
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सार
स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) में स्टाफ की खासी कमी है। हालात यह हैं कि पूरे चंडीघड़ एक एमवीआई के सहारे है। यही वजह से कि अवैध वाहन चालकों की मौज हो रही है। एसटीए में असिस्टेंट सेक्रेटरी का पद ढाई साल से खाली पड़ा है। हालात यह हैं कि दफ्तर दूसरे विभागों के कर्मचारियों के सहारे चल रहा है।
चंडीगढ़ की सड़कों पर वाहन।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
चंडीगढ़ में अवैध वाहनों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी जिस स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) पर है, वह खुद स्टाफ संकट से जूझ रही है। सेक्टर-18 स्थित एसटीए कार्यालय में कार्रवाई के लिए सिर्फ एक मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) है, जिसकी ड्यूटी भी गाड़ियों की पासिंग में है। ऐसे में बिना परमिट चल रहे वाहनों पर कार्रवाई लगभग ठप पड़ी है।
एसटीए में असिस्टेंट सेक्रेटरी का पद ढाई साल से खाली है। दफ्तर दूसरे विभागों के कर्मचारियों के सहारे चल रहा है। यही नहीं, मौजूदा सेक्रेटरी भी अक्सर अपने कार्यालय में अनुपस्थित रहते हैं जिससे परमिट या अन्य कार्यों के लिए आने वाले लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। चंडीगढ़ में करीब 6 हजार ऑटो रजिस्टर्ड हैं लेकिन सड़कों पर 15 हजार से ज्यादा ऑटो दौड़ रहे हैं। यही हाल कैब सेवाओं का भी है। कई वाहन बिना परमिट या सफेद नंबर प्लेट पर कॉमर्शियल तौर पर चल रहे हैं। बाइक टैक्सी और अवैध कैब चालकों की शिकायतें यूनियन की तरफ से लगातार मिल रही हैं लेकिन कार्रवाई के लिए न तो पर्याप्त अधिकारी हैं और न ही व्यवस्था। हालात ऐसे बन गए हैं कि अवैध परिवहन व्यवस्था पर नकेल कसने वाला तंत्र खुद अव्यवस्था का शिकार है, जिसका फायदा अवैध वाहन चालक खुलेआम उठा रहे हैं।
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जगह-जगह अवैध बस स्टैंड, सब कुछ आंखों के सामने लेकिन कार्रवाई नहीं
एसटीए की नाकामी का सीधा असर अब सड़कों पर दिख रहा है। सेक्टर-43 बस स्टैंड के सामने ही प्राइवेट बस चालकों ने अपने अवैध बस स्टैंड बना लिए हैं। यहां से रोजाना सवारियां चढ़ाई-उतारी जाती हैं। यही नहीं, सेक्टर-45 के ग्राउंड में दिन के समय और सेक्टर-31 के पेट्रोल पंप के पास रात के समय अवैध बसें खड़ी रहती हैं जहां से यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के लिए बसें चलाई जा रही हैं। इन बसों के पास कैरिज-वे का परमिट नहीं है, फिर भी इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। स्थानीय लोगों और कैब चालकों ने कई बार शिकायतें दर्ज कराई लेकिन अधिकारियों ने आंख मूंद ली है।
न जांच-न कार्रवाई, दिन-दहाड़े फल-फूल रहा अवैध परिवहन का कारोबार
एसटीए के अधिकारियों की लापरवाही के चलते शहर में अवैध वाहनों और बसों का जाल फैल गया है। पूरे शहर में सिर्फ एक मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर है जिसकी ड्यूटी भी वाहनों की पासिंग में है। कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है। इससे नियम तोड़ने वाले मौज में हैं। इससे अवैध परिवहन का कारोबार दिन-दहाड़े फल-फूल रहा है और सरकारी ट्रांसपोर्ट सिस्टम के राजस्व पर गहरी चोट लग रही है। इन अवैध बसों की वजह से चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) और अन्य राज्यों की रोडवेज को राजस्व नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी सवारियां अब ये अवैध बसें उठा रही हैं।
एसटीए में 20 में से 5 खाली, 4 पद हो चुके हैं समाप्त
पद का नाम - स्वीकृत पद - खाली पड़े पद - कब से खाली
असिस्टेंट सेक्रेटरी - 1 1 मई 2023 से
सीनियर असिस्टेंट - 3 1 दिसंबर 2021 से
मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर - 1 1 सितंबर 2024 से
ड्राइवर 1 1 मार्च 2023 से
एमटीएस - 4 1 जून 2024 से
(नोटः भर्ती नहीं होने की वजह से एमवीआई के तीन पद और क्लर्क का एक पद समाप्त भी हो चुका है)
मैंने अभी स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के स्टाफ की स्थिति आदि की समीक्षा नहीं की है। यह एक महत्वपूर्ण विभाग है। इसे बेहतर करने के लिए सभी तरह के कदम उठाए जाएंगे। - एच राजेश प्रसाद, मुख्य सचिव, चंडीगढ़ प्रशासन