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मर्दों के हकों के लिए लड़ती है ये लड़की, सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी भी छोड़ दी
ब्यूरो/अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Wed, 22 Mar 2017 09:57 AM IST
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मर्दों के हकों के लिए लड़ती है दीपिका नारायण
मर्दों को महिलाओं के हक के लिए लड़ते देखा होगा, लेकिन दुनिया में एक लड़की ऐसी भी है जो मर्दों के हकों के लिए लड़ती है। यकीं नहीं होता तो खुद देखिए।
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मर्दों के हकों के लिए लड़ती है दीपिका नारायण
ये है चंडीगढ़ की दीपिका। इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके इंफोसिस में नौकरी की। फिर इंफोसिस छोड़कर जर्नलिज्म में आ गई। एक टीवी चैनल में काम किया, लेकिन उसे भी छोड़कर मर्दों को लिए लड़ने लगी। दीपिका कहती हैं कि उन्होंने नौकरी के दौरान देखा कि महिलाएं तो दुखी होती ही हैं, पुरुष भी प्रताड़ित होते हैं। पर उन्हें कोई न्याय दिलाने वाला नहीं, या सोचहते हुए ही मैंने यह बीड़ा उठाया।
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मर्दों के हकों के लिए लड़ती है दीपिका नारायण
दीपिका नारायण पुरुषों के अधिकारों के लिए लंबे समय से आवाज उठा रही है। वे दहेज प्रताड़ना कानून के तहत फंसाए गए पुरुषों को भी कानूनी मदद देती है। उनका कहना है कि धारा 498A (दहेज कानून) का कुछ महिलाओं द्वारा बेहद दुरुपयोग किया जाता है।इस काम के साथ-साथ दीपिका डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाती है। पत्रकार रह चुकी दीपिका ने 2012 में इस मुद्दे पर रिसर्च शुरू की थी।
मर्दों के हकों के लिए लड़ती है दीपिका नारायण
ऐसे हुई काम की शुरुआतः 2011 में उनके एक रिश्तेदार की शादी टूटी थी और उसकी बीवी ने उसके पूरे परिवार के ख़िलाफ़ दहेज का मामला दर्ज करा दिया था। उनके ख़िलाफ़ भी शिकायत की गई थी। तब उनके परिवार ने बड़ी रकम देकर इस मामले को खत्म किया। पर तभी से उनके मन में ये बात घर कर गई थी कि वे कानून के इस दुरुपयोग को रोकने के लिए लड़ेंगी।
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मर्दों के हकों के लिए लड़ती है दीपिका नारायण
दहेज प्रताड़ना के कई मामले झूठेः दीपिका ने अपनी रिसर्च के दौरान पाया कि ज्यादातर दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे हैं। झूठे आरोप में फंसाए जाने के कारण कुछ मामले में लड़के के मां बाप ने बदनामी के डर से आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने इसी मुद्दे पर 'Martyrs of Marriage' नाम की डाक्यूमेंट्री भी बनाई है।