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बेमेतरा: छत्तीसगढ़ बांस तीर्थ संकल्पना सम्मेलन, सीएम साय समेत कई नेता रहे मौजूद, घास की श्रेणी में शामिल बांस
अमर उजाला नेटवर्क, बेमेतरा
Published by: Digvijay Singh
Updated Fri, 14 Nov 2025 08:30 PM IST
सार
आज शुक्रवार को बेमेतरा जिले के कठिया गांव में छत्तीसगढ़ बांस तीर्थ संकल्पना सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री दयालदास बघेल समेत जिले के जनप्रतिनिधि मौजदू थे।
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सीएम साय व अन्य
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आज शुक्रवार को बेमेतरा जिले के कठिया गांव में छत्तीसगढ़ बांस तीर्थ संकल्पना सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री दयालदास बघेल समेत जिले के जनप्रतिनिधि मौजदू थे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बांस के महत्व, इसके आर्थिक लाभ तथा किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयासों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांस को घास की श्रेणी में शामिल करने के ऐतिहासिक फैसले ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।
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सीएम ने कहा कि पूर्व में बांस को पेड़ का दर्जा मिला हुआ था, जिसके कारण लोगों को इसके उत्पादन को लेकर कई तरह की परेशानी होती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं हो रहा है। राज्य व केंद्र सरकार बांस की खेती को लेकर बढ़ावा दे रही हैं। आज पूरे छत्तीसगढ़ में लाखों हेक्टेयर में इसकी खेती हो रही है। हमारे वन विभाग अंतर्गत पूरे प्रदेश में हजारों हेक्टेयर में बांस लगाई गई है। आज का सम्मेलन उन्हीं संभावनाओं को मजबूत करने की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है। हम सब मिलकर बांस आधारित रोजगार व कृषि विकास के नए युग की शुरुआत करेंगे।
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वहीं, इस सम्मेलन में विश्व के सबसे ऊंचे बांस टावर पर राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण, बांस प्रौद्योगिकी में नवाचार व औद्योगिक अनुप्रयोग का प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही बायोचार, बायो विनेगर, बायो बिटुमेन, बांस क्रैश बैरियर, बाहुबली पोल, फेंस पैनल, लाइट पोल आदि के प्रदर्शन के साथ-साथ वृहद बांस रोपण अभियान का शुभारंभ हुआ।
बेमेतरा जिले समेत राज्य के अधिकांश किसान धान की खेती पर निर्भर हैं, जो लगभग पूर्णत सरकारी सहायता पर आधारित है।धान से होने वाली सीमित आय व घटता भू-जल स्तर राज्य की कृषि के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में बांस की खेती किसानों के लिए एक सशक्त विकल्प के रूप में उभर रही है, जो न केवल आय बढ़ाने में सहायक होगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम करेगी। यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ को हरित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण समृद्धि की दिशा में एक नई पहचान देने वाला सिद्ध होगा।