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Chhattisgarh Liquor Scam: ईडी का दावा- सौम्या को मिले 115 करोड़ रुपये, पूछताछ के लिये मांगी तीन दिन की रिमांड

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Wed, 17 Dec 2025 04:36 PM IST
सार

Chhattisgarh Liquor Scam:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित तीन हजार दो सौ करोड़ रुपए के शराब घोटाले मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया है।

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Chhattisgarh Liquor Scam: ED claims Soumya received Rs 115 crore, seeks three-day remand for questioning
ग्रॉफिक्स: अमर उजाला डिजिटल - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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Chhattisgarh Liquor Scam:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित तीन हजार दो सौ करोड़ रुपए के शराब घोटाले मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया है। ईडी ने आज बुधवार को उन्हें स्पेशल कोर्ट में पेश किया। पूछताछ के लिए तीन दिन की रिमांड मांगी गई है। ईडी का दावा है कि शराब घोटाले से जुड़े करीब 115 करोड़ रुपये लक्ष्मीनारायण बंसल के जरिये सौम्या चौरसिया तक पहुंचा।

वहीं आरोपी तांत्रिक केके श्रीवास्तव से पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि घोटाले की करीब 72 करोड़ रुपये की राशि हवाला के जरिए इधर से उधर की गई। जांच में शराब और कोयला घोटाले से जुड़े कई अहम आर्थिक लेन-देन और डिजिटल साक्ष्य सामने आए हैं। ईडी ने सौम्या से पूछताछ के लिए स्पेशल कोर्ट से तीन दिन की रिमांड मांगी है। हालांकि दोनों पक्षों की फरियाद सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

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करीब 3200 करोड़ रुपये का शराब घोटाल
ईडी के मुताबिक, यह मामला करीब 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़ा है। आरोप है कि वर्ष 2019 से 2023 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में राज्य की शराब नीति में बदलाव कर चहेती शराब कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया। लाइसेंस की शर्तें ऐसे निर्धारित की गईं कि कुछ चुनिंदा कंपनियों को ही काम और लाभ मिल सके।

 

नकली होलोग्राम और सील बनवाई
ईडी की जांच में सामने आया है कि इन कंपनियों ने नोएडा की एक फर्म के माध्यम से नकली होलोग्राम और सील बनवाई। नकली होलोग्राम लगी महंगी शराब की बोतलों को सरकारी दुकानों के जरिए बेचा गया। होलोग्राम फर्जी थे। इस वजह से बिक्री का पूरा रिकॉर्ड शासन के सिस्टम में दर्ज नहीं हो पाया और बिना एक्साइज टैक्स दिए शराब की बिक्री की जाती रही। इस तरह राज्य सरकार को लगभग 2165 करोड़ रुपये के राजस्व को नुकसान पहुंचा।


डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तारी
ईडी के मुताबिक, लक्ष्मीनारायण बंसल और केके श्रीवास्तव से मिली जानकारी और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी की गई है। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने कोर्ट को बताया कि मामले में गहन पूछताछ जरूरी है, इसलिए रिमांड मागी गई है। इसके अलावा ईडी ने यह भी बताया कि कोयला घोटाले की जांच के दौरान मिली एक डायरी में 43 करोड़ रुपये की ऐसी रकम का जिक्र है, जिसका संबंध शराब घोटाले से है। इस डायरी में शराब कारोबारी अनवर ढेबर और पूर्व आईएएस ऑफिसर अनिल टुटेजा के नाम शामिल हैं।


मुख्य आरोपियों में शामिल रही हैं सौम्या
बता दें कि कोयला घोटाले मामले में भी सौम्या चौरसिया मुख्य आरोपियों में शामिल रह चुकी हैं। वह पहले भी जेल में रह चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट की शर्तों पर मई में सौम्या चौरसिया समेत छह आरोपी जमानत पर रिहा किये गये थे। उस समय कोर्ट ने उन्हें राज्य से बाहर रहने के निर्देश भी दिए थे।


जानें क्या है यह शराब घोटाला
ईडी की जांच के मुताबिक, पूर्व कांग्रेस सरकार में उच्च स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक अधिकारियों वाला एक सिंडिकेट काम कर रहा था। छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। साल 2019-22 में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक काले धन की कमाई हुई। मनी लॉन्ड्रिंग मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर आयकर विभाग की चार्जशीट से उपजा है। पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई। प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा गया। ईडी के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी।

जनवरी 2024 में हुई थी एफआईआर 
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने ईडी के पत्र के आधार पर जनवरी 2024 में एफआईआर दर्ज की है। ईओडब्ल्यू के दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्टरमाइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस और अन्य सरकारी ऑफिसर और लोग सहयोग किये थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस ऑफिसर हैं, जब  घोटाला हुआ तब वे वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी थे। वहीं अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई और शराब कारोबारी है। 

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