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CG News: सर्व आदिवासी समाज के नेता जीवन ठाकुर की मौत के बाद जेलर हटाई गई, न्याय की मांग में समाज अड़ा
अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Fri, 05 Dec 2025 07:09 PM IST
सार
रायपुर सेंट्रल जेल में बंद सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की मौत ने कांकेर जिले में बड़े तनाव का माहौल पैदा कर दिया है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
रायपुर सेंट्रल जेल में बंद सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की मौत ने कांकेर जिले में बड़े तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। बढ़ते विरोध और प्रशासन पर लगाए गए गंभीर आरोपों के मद्देनज़र जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से कांकेर जिला जेल की जेलर को पद से हटा दिया।
घटना की जानकारी सामने आने के बाद आदिवासी समाज और परिजन कलेक्ट्रेट पहुंचे और जमकर विरोध जताया। नाराज परिजनों और समाज के लोगों ने शव लेने से इंकार करते हुए कहा कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
परिजनों के मुताबिक, जीवन ठाकुर को 12 अक्टूबर 2025 को भूमि विवाद के मामले में गिरफ्तार कर कांकेर जिला जेल में रखा गया था। इसके बाद 2 दिसंबर को उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के रायपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। परिवार का आरोप है कि इस दौरान न स्वास्थ्य बिगड़ने की जानकारी दी गई, न अस्पताल में भर्ती होने की बात बताई गई।
जानकारी के अनुसार, 4 दिसंबर की सुबह करीब 4:20 बजे उन्हें मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया और 7:45 बजे उनका निधन हो गया। परिवार को मौत की सूचना शाम तकरीबन 5 बजे मिली, जिसने शक और गुस्से को और बढ़ा दिया। आदिवासी समाज का कहना है कि जेल प्रशासन ने कई तथ्य छिपाए हैं। उनका आरोप है कि जीवन ठाकुर को समय पर उपचार नहीं मिला और उन्हें गुपचुप तरीके से रायपुर शिफ्ट किया गया। समाज ने मौत को संदिग्ध बताते हुए हत्या की आशंका भी जताई।
रायपुर सेंट्रल जेल अधीक्षक योगेश कुमार क्षत्री ने कहा कि बंदी की तबीयत खराब होने पर उसे रायपुर रेफर किया गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हुई। उन्होंने कहा कि मामले की जांच दंडाधिकारी स्तर पर कराई जाएगी। कलेक्ट्रेट में जुटे आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की कि दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, शव नहीं लिया जाएगा। इस घटना के बाद कांकेर, कलेक्ट्रेट परिसर और अस्पताल के बाहर भारी तनाव है। पुलिस और प्रशासन सतर्क हैं, जबकि पूरे प्रदेश की नजर इस संवेदनशील मामले की आगे की कार्रवाई पर टिकी है।
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घटना की जानकारी सामने आने के बाद आदिवासी समाज और परिजन कलेक्ट्रेट पहुंचे और जमकर विरोध जताया। नाराज परिजनों और समाज के लोगों ने शव लेने से इंकार करते हुए कहा कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
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परिजनों के मुताबिक, जीवन ठाकुर को 12 अक्टूबर 2025 को भूमि विवाद के मामले में गिरफ्तार कर कांकेर जिला जेल में रखा गया था। इसके बाद 2 दिसंबर को उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के रायपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। परिवार का आरोप है कि इस दौरान न स्वास्थ्य बिगड़ने की जानकारी दी गई, न अस्पताल में भर्ती होने की बात बताई गई।
जानकारी के अनुसार, 4 दिसंबर की सुबह करीब 4:20 बजे उन्हें मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया और 7:45 बजे उनका निधन हो गया। परिवार को मौत की सूचना शाम तकरीबन 5 बजे मिली, जिसने शक और गुस्से को और बढ़ा दिया। आदिवासी समाज का कहना है कि जेल प्रशासन ने कई तथ्य छिपाए हैं। उनका आरोप है कि जीवन ठाकुर को समय पर उपचार नहीं मिला और उन्हें गुपचुप तरीके से रायपुर शिफ्ट किया गया। समाज ने मौत को संदिग्ध बताते हुए हत्या की आशंका भी जताई।
रायपुर सेंट्रल जेल अधीक्षक योगेश कुमार क्षत्री ने कहा कि बंदी की तबीयत खराब होने पर उसे रायपुर रेफर किया गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हुई। उन्होंने कहा कि मामले की जांच दंडाधिकारी स्तर पर कराई जाएगी। कलेक्ट्रेट में जुटे आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की कि दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, शव नहीं लिया जाएगा। इस घटना के बाद कांकेर, कलेक्ट्रेट परिसर और अस्पताल के बाहर भारी तनाव है। पुलिस और प्रशासन सतर्क हैं, जबकि पूरे प्रदेश की नजर इस संवेदनशील मामले की आगे की कार्रवाई पर टिकी है।