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जगदलपुर: रतन टाटा से प्रेरित होकर मोची ने किया शवदाह का फैसला, बच्चों को मानव शव से मिलेगा सीखने का मौका
अमर उजाला नेटवर्क, जगदलपुर
Published by: Digvijay Singh
Updated Mon, 10 Nov 2025 08:14 PM IST
सार
जगदलपुर शहर के दंतेश्वरी वार्ड में रहने वाले मोची ने रतन टाटा से प्रेरित होकर अपने शव को दान करने का फैसला करते हुए मेकाज में जाकर फार्म भी भर दिया है।
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सरजू नाग
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जगदलपुर शहर के दंतेश्वरी वार्ड में रहने वाले मोची ने रतन टाटा से प्रेरित होकर अपने शव को दान करने का फैसला करते हुए मेकाज में जाकर फार्म भी भर दिया है, उनका कहना था कि बस्तर में एक ओर जहां डॉक्टरों की कमी है, वहां पर मानव शरीर से उन्हें सीखने का मौका मिलेगा, अधिकतर लोगों को बढ़ चढ़कर शव को डोनेट करना चाहिए।
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बता दें कि दंतेश्वरी वार्ड में रहने वाले सरजू नाग 42 वर्ष ने बताया कि उसके परिवार के अधिकतर लोग स्वर्गवासी हो गए है, कुछ भाई जीवित है, एक बेटी है वह भी बेवा है, परिवार का भरण पोषण करने के लिए मोची का काम करता हूं, रतन टाटा ने निधन के बाद अपने शव को पक्षियों को सौप दिया था, जिससे कि किसी के काम आ सके, इस दृश्य को देखने के बाद मेरा मन भी परिवर्तित हो गया और अपनी बेटी को इस बात को बताने के साथ ही डिमरापाल मेडिकल कॉलेज पहुँच, शव डोनेट करने की पूरी प्रकिया को जानने के बाद फार्म को भरने के बाद इस बात को कहा कि मेरे मरने के बाद शव को मेकाज को डोनेट कर दिया जाए, जिससे कि आने वाले पीढ़ी को सीखने को काफी कुछ मिलेगा।
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देखा जाए तो भारत मे डॉक्टरों की काफी कमी देखी गई है, ऐसे में अगर लोग जागरूक होने के बाद अपने शव को डोनेट कर देंगे, तो आने वाले पीढ़ी को पढ़ने के साथ ही सीखने के लिए काफी कुछ अच्छा मिलेगा, इसके अलावा बस्तर में शव डोनेट करने के लिए शायद प्रेरित हो सके, जितना हो सके लोगो को जागरूक होना चाहिए, जिससे कि अपने शवों को डोनेट करने से आने वाले भविष्य के चिकित्सकों को काफी कुछ सीखने के लिए मिलेगा।