{"_id":"69341412ea4b7fc89d049b2f","slug":"nanded-honour-killing-girl-fills-forehead-with-blood-of-slain-dalit-lover-resistance-against-caste-pride-2025-12-06","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"नांदेड केस और समाज के भीतर से रिसती संवेदनाएं: ‘सैराट 2.0’ में संकल्प ही रचता है संसार","category":{"title":"Blog","title_hn":"अभिमत","slug":"blog"}}
नांदेड केस और समाज के भीतर से रिसती संवेदनाएं: ‘सैराट 2.0’ में संकल्प ही रचता है संसार
सार
- महाराष्ट्र के नांदेड़ में, अपनी दलित प्रेमिका सक्षम ताटे की हत्या के बाद, आंचल मामीडवार ने प्रेमी के शव के पास उसके खून से अपनी मांग भरकर अपने प्रेम का दावा किया।
- यह घटना झूठे जातिगत अभिमान के खिलाफ युवा पीढ़ी के 'अडिग संकल्प' को दर्शाती है।
- आंचल ने हत्यारों को फांसी की मांग करते हुए प्रेमी के घर को ही अपना घर बना लिया है, जो इस दर्दनाक ऑनर किलिंग को 'सैराट 2.0' का रूप देता है।
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प्रेमी की तस्वीर के सामने बैठी आंचल
- फोटो : एक्स@YadavAnviRoyal
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विस्तार
Saksham Tate Anchal Mamidwar Case: महाराष्ट्र के नांदेड शहर के जूनागंज इलाके में विगत 27 नवंबर को जो हृदय द्रावक घटना घटी व न केवल झूठे जाति अभिमान और आॅनर किलिंग का मामला है बल्कि यह नई पीढ़ी के जाति की दीवारों को तोड़कर नए सामाजिक रिश्तों को मान्यता देने के अडिग संकल्प की रक्तरंजित दस्तक भी है। बहुत से लोग इसे सैराट 2.0 मान रहे हैं। यानी नौ साल पहले इसी थीम पर आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘सैराट 1.0’ का प्रगत संस्करण। प्रगत इसलिए कि नांदेड की घटना सैराट के अंत से आगे का रास्ता दिखाती है। लोग इस घटना को अपवाद और भावातिरेक मान कर भले ही खारिज कर दें, लेकिन यह देश में भविष्य के समाज की आहट है, और इसे अनसुना नहीं किया जाना चाहिए।
इस देश में जातीय दुराभिमान से ग्रस्त और झूठी प्रतिष्ठा के नाम पर स्वजनों द्वारा जाति की दीवार लांघ कर प्रेम और विवाह करने वालों की निर्मम हत्याएं नई बात नहीं है। लेकिन नांदेड में एक प्रेमिका आंचल मामीडवार ने, अपने प्रेमी सक्षम ताटे की आंचल के ही स्वजनों द्वारा सरेआम हत्या के बाद असाधारण साहस दिखाकर प्रेमी के शव के पास हल्दी-कुमकुम माथे पर लगाया और सक्षम के खून से मांग भरी। जिस तरह आंचल ने सक्षम की पार्थिव देह के फेरे लेकर अपने अमर प्रेम की नई कथा लिखी, वह हैरान करने वाली है। दरअसल यह महज भावावेश में किया गया कृत्य नहीं है बल्कि जाति की दीवार पर एक युवा मन का घनाघात है। इसकी गूंज दूर तक सुनाई देगी।
सक्षम की हत्या के बाद आंचल ने कहा कि मैंने उसे मन ही मन पति माना था और अब मैं उसके घर को अपना घर मानकर वहीं रहूंगी। आंचल ने मीडिया के सामने दार्शनिक भाव से कहा कि ‘मेरे घर वाले मेरे प्रेमी को जान से मारकर भी हार गए और सक्षम मरकर भी इस ‘धर्मयुद्ध’ में जीत गया। मेरा प्यार अभी भी जिंदा है।‘ उधर सक्षम की मां संगीता ने भी कहा कि आंचल उसके लिए बेटी नहीं बेटा है।
21 साल की आंचल और 20 साल के सक्षम की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए हुई थी। दोनो लंबे समय से संपर्क में थे और एक दूसरे से प्रेम करने लगे थे। सक्षम और आंचल के परिवारों का मेलजोल भी बढ़ गया था। लेकिन असली कहानी इसके आगे शुरू होती है, जहां जातियों का संपर्क रिश्तों में बदलने से पहले ही विद्वेष के बैरीकेड खड़े कर दिए जाते हैं। परस्पर परिचय के परे आंचल के परिजनों को आंचल का एक दलित युवक से प्रेम करना नागवार गुजरा।
बकौल आंचल उसके पिता और भाई ने आंचल को सक्षम से दूर करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन नाकाम रहे। बाद में उन्होंने मौका मिलते ही सक्षम को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया। अपनों की इस नीच हरकत से व्यथित आंचल ने उन्हें फांसी देने की मांग की है ताकि उसके प्रेमी को न्याय मिल सके। आंचल का यह भी कहना है पहले उसके भाइयों ने सक्षम से शादी कराने का वादा किया था लेकिन बाद में विश्वासघात किया। उसने कहा कि सक्षम प्रेम की खातिर अपना धर्म बदलकर हिंदू बनने के लिए भी तैयार हो गया था, लेकिन परिजनों को यह भी गवारा नहीं हुआ और उन्होंने उसे गोली मार दी। इस बीच पुलिस ने इस हत्याकांड के सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस का यह भी कहना है कि इस मामले में शामिल दोनों पक्षों का आपराधिक रिकॉर्ड है। वैसे आंचल के पिता गजानन ने भी अंतजार्तीय प्रेमविवाह किया था। लेकिन बेटी का ऐसा करना उसे नामंजूर था। गजानन की पत्नी जयश्री राजपूत बताई जाती है। उसकी भी गजानन से दूसरी शादी है। सक्षम की हत्या में शामिल साहिल जयश्री के पहले पति का बेटा है। जबकि आंचल और उसका नाबालिग भाई गजानन की औलाद हैं। सक्षम की हत्या की मर्मस्पर्शी घटना की सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया हुई, हालांकि उसमें भी जाति विद्वेष ही ज्यादा झलका।
दलितों ने इसके लिए ऊंची जाति वालों को कोसा तो ऊंची जाति वालों ने कटाक्ष के अंदाज में कहा कि हमें कोसने से पहले पिछड़े और दलित तो सामाजिक रिश्तों में एका कर लें। कुछ ने आंचल की बगावत को जायज माना तो कुछ की निगाह में आंचल का कृत्य क्षम्य नहीं था। कतिपय की नजर में आंचल के बाप और भाई ने जो किया, वो परिवार की प्रतिष्ठा को बचाने की दृष्टि से सही था। लड़कियों को अपने अभिभावकों की बात माननी ही चाहिए। तो कइयों की राय थी कि इस देश में जब तक जाति प्रथा और भेदभाव समाप्त नहीं होगा, इस तरह की निर्मम हत्याएं होती रहेंगी।
इस दर्दनाक ‘सत्यकथा’ को अगर नौ साल पहले आई हिट फिल्म ‘सैराट’ के संदर्भ में पढ़ें तो दोनो में कुछ फर्क है। जाति द्वेष और जातीय अहंकार दोनो में है, लेकिन ‘सैराट’ में प्रेमिका एक सम्पन्न और सामाजिक रूप से प्रभावशाली उच्च जाति की थी और प्रेमी निचली जाति का। नांदेड की घटना में प्रेमी दलित जाति से है, जो बौद्ध धर्म को मानता है और प्रेमिका महाराष्ट्र में ‘विशेष पिछड़ा वर्ग’ में आने वाली बुनकर ( जिसे वहां पद्मशाली कहा जाता है) जाति से और हिंदू है।
‘सैराट’ में दलित प्रेमी और ऊंची जाति की प्रेमिका भागकर शादी कर लेते हैं। उनके एक बेटा भी हो जाता है। इसके बाद युवती के परिजन रिश्ते सुधारने का झांसा देकर दोनो को वापस बुलाते हैं और मौका देखकर प्रेमी के परिजनों की निर्मम हत्या कर देते हैं। लेकिन उन दोनो के प्रेम की प्रतीक संतान उम्मीद की शक्ल में बच जाती है। अलबत्ता ‘सैराट 2.0 की कहानी उस मोड़ तक पहुंचने के पहले ही खत्म हो जाती है।
शायद हत्यारे आंचल और सक्षम की प्रेम कहानी को सैराट 1.0 तक भी नहीं पहुंचने देना चाहते थे। दोनो का प्रेम किसी स्थायी बंधन में बंधे, उसके पहले ही रिश्ते का एक सिरा उन्होंने हमेशा के लिए खत्म कर दिया। एक प्रेमिका को सौभाग्यवती होने के पहले ही उसे विधवा कर दिया गया। हालांकि दोनों ही मामलों में परिजनों ने धोखे से काम लिया।
आंचल का भविष्य क्या है, वो आगे क्या करेगी, कैसे करेगी, किस तरह जाएगी? उसके परिजन उसे भी जिंदा रहने देंगे या नहीं, यह तमाम सवाल अभी अनुत्तरित हैं। फिलहाल आंचल ने अपने हत्यारे बाप और भाई का घर छोड़कर दिवंगत प्रेमी के घर को ही अपना घर बना लिया है। उसने कहा कि मैं सक्षम का सपना पूरा करेंगे और अधिकारी बनूंगी।
यह इस अधूरी प्रेम कहानी का नया ट्विस्ट है, जिसे समाज को हजम करना आसान नहीं है। लेकिन इसे जेन-जी की बदलती सोच की रोशनी में देखा जाना चाहिए। ‘सैराट 1.0’ का अंत दर्शकों को स्तब्ध करता है तो सैराट 2.0 का अंजाम विचलित करता है। सैराट 1.0 में उम्मीद जिंदा रहती है जबकि सैराट 2.0 में संकल्प ही आशा प्रतिरूप है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
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इस देश में जातीय दुराभिमान से ग्रस्त और झूठी प्रतिष्ठा के नाम पर स्वजनों द्वारा जाति की दीवार लांघ कर प्रेम और विवाह करने वालों की निर्मम हत्याएं नई बात नहीं है। लेकिन नांदेड में एक प्रेमिका आंचल मामीडवार ने, अपने प्रेमी सक्षम ताटे की आंचल के ही स्वजनों द्वारा सरेआम हत्या के बाद असाधारण साहस दिखाकर प्रेमी के शव के पास हल्दी-कुमकुम माथे पर लगाया और सक्षम के खून से मांग भरी। जिस तरह आंचल ने सक्षम की पार्थिव देह के फेरे लेकर अपने अमर प्रेम की नई कथा लिखी, वह हैरान करने वाली है। दरअसल यह महज भावावेश में किया गया कृत्य नहीं है बल्कि जाति की दीवार पर एक युवा मन का घनाघात है। इसकी गूंज दूर तक सुनाई देगी।
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सक्षम की हत्या के बाद आंचल ने कहा कि मैंने उसे मन ही मन पति माना था और अब मैं उसके घर को अपना घर मानकर वहीं रहूंगी। आंचल ने मीडिया के सामने दार्शनिक भाव से कहा कि ‘मेरे घर वाले मेरे प्रेमी को जान से मारकर भी हार गए और सक्षम मरकर भी इस ‘धर्मयुद्ध’ में जीत गया। मेरा प्यार अभी भी जिंदा है।‘ उधर सक्षम की मां संगीता ने भी कहा कि आंचल उसके लिए बेटी नहीं बेटा है।
21 साल की आंचल और 20 साल के सक्षम की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए हुई थी। दोनो लंबे समय से संपर्क में थे और एक दूसरे से प्रेम करने लगे थे। सक्षम और आंचल के परिवारों का मेलजोल भी बढ़ गया था। लेकिन असली कहानी इसके आगे शुरू होती है, जहां जातियों का संपर्क रिश्तों में बदलने से पहले ही विद्वेष के बैरीकेड खड़े कर दिए जाते हैं। परस्पर परिचय के परे आंचल के परिजनों को आंचल का एक दलित युवक से प्रेम करना नागवार गुजरा।
बकौल आंचल उसके पिता और भाई ने आंचल को सक्षम से दूर करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन नाकाम रहे। बाद में उन्होंने मौका मिलते ही सक्षम को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया। अपनों की इस नीच हरकत से व्यथित आंचल ने उन्हें फांसी देने की मांग की है ताकि उसके प्रेमी को न्याय मिल सके। आंचल का यह भी कहना है पहले उसके भाइयों ने सक्षम से शादी कराने का वादा किया था लेकिन बाद में विश्वासघात किया। उसने कहा कि सक्षम प्रेम की खातिर अपना धर्म बदलकर हिंदू बनने के लिए भी तैयार हो गया था, लेकिन परिजनों को यह भी गवारा नहीं हुआ और उन्होंने उसे गोली मार दी। इस बीच पुलिस ने इस हत्याकांड के सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस का यह भी कहना है कि इस मामले में शामिल दोनों पक्षों का आपराधिक रिकॉर्ड है। वैसे आंचल के पिता गजानन ने भी अंतजार्तीय प्रेमविवाह किया था। लेकिन बेटी का ऐसा करना उसे नामंजूर था। गजानन की पत्नी जयश्री राजपूत बताई जाती है। उसकी भी गजानन से दूसरी शादी है। सक्षम की हत्या में शामिल साहिल जयश्री के पहले पति का बेटा है। जबकि आंचल और उसका नाबालिग भाई गजानन की औलाद हैं। सक्षम की हत्या की मर्मस्पर्शी घटना की सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया हुई, हालांकि उसमें भी जाति विद्वेष ही ज्यादा झलका।
दलितों ने इसके लिए ऊंची जाति वालों को कोसा तो ऊंची जाति वालों ने कटाक्ष के अंदाज में कहा कि हमें कोसने से पहले पिछड़े और दलित तो सामाजिक रिश्तों में एका कर लें। कुछ ने आंचल की बगावत को जायज माना तो कुछ की निगाह में आंचल का कृत्य क्षम्य नहीं था। कतिपय की नजर में आंचल के बाप और भाई ने जो किया, वो परिवार की प्रतिष्ठा को बचाने की दृष्टि से सही था। लड़कियों को अपने अभिभावकों की बात माननी ही चाहिए। तो कइयों की राय थी कि इस देश में जब तक जाति प्रथा और भेदभाव समाप्त नहीं होगा, इस तरह की निर्मम हत्याएं होती रहेंगी।
इस दर्दनाक ‘सत्यकथा’ को अगर नौ साल पहले आई हिट फिल्म ‘सैराट’ के संदर्भ में पढ़ें तो दोनो में कुछ फर्क है। जाति द्वेष और जातीय अहंकार दोनो में है, लेकिन ‘सैराट’ में प्रेमिका एक सम्पन्न और सामाजिक रूप से प्रभावशाली उच्च जाति की थी और प्रेमी निचली जाति का। नांदेड की घटना में प्रेमी दलित जाति से है, जो बौद्ध धर्म को मानता है और प्रेमिका महाराष्ट्र में ‘विशेष पिछड़ा वर्ग’ में आने वाली बुनकर ( जिसे वहां पद्मशाली कहा जाता है) जाति से और हिंदू है।
‘सैराट’ में दलित प्रेमी और ऊंची जाति की प्रेमिका भागकर शादी कर लेते हैं। उनके एक बेटा भी हो जाता है। इसके बाद युवती के परिजन रिश्ते सुधारने का झांसा देकर दोनो को वापस बुलाते हैं और मौका देखकर प्रेमी के परिजनों की निर्मम हत्या कर देते हैं। लेकिन उन दोनो के प्रेम की प्रतीक संतान उम्मीद की शक्ल में बच जाती है। अलबत्ता ‘सैराट 2.0 की कहानी उस मोड़ तक पहुंचने के पहले ही खत्म हो जाती है।
शायद हत्यारे आंचल और सक्षम की प्रेम कहानी को सैराट 1.0 तक भी नहीं पहुंचने देना चाहते थे। दोनो का प्रेम किसी स्थायी बंधन में बंधे, उसके पहले ही रिश्ते का एक सिरा उन्होंने हमेशा के लिए खत्म कर दिया। एक प्रेमिका को सौभाग्यवती होने के पहले ही उसे विधवा कर दिया गया। हालांकि दोनों ही मामलों में परिजनों ने धोखे से काम लिया।
आंचल का भविष्य क्या है, वो आगे क्या करेगी, कैसे करेगी, किस तरह जाएगी? उसके परिजन उसे भी जिंदा रहने देंगे या नहीं, यह तमाम सवाल अभी अनुत्तरित हैं। फिलहाल आंचल ने अपने हत्यारे बाप और भाई का घर छोड़कर दिवंगत प्रेमी के घर को ही अपना घर बना लिया है। उसने कहा कि मैं सक्षम का सपना पूरा करेंगे और अधिकारी बनूंगी।
यह इस अधूरी प्रेम कहानी का नया ट्विस्ट है, जिसे समाज को हजम करना आसान नहीं है। लेकिन इसे जेन-जी की बदलती सोच की रोशनी में देखा जाना चाहिए। ‘सैराट 1.0’ का अंत दर्शकों को स्तब्ध करता है तो सैराट 2.0 का अंजाम विचलित करता है। सैराट 1.0 में उम्मीद जिंदा रहती है जबकि सैराट 2.0 में संकल्प ही आशा प्रतिरूप है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।