राजनीति के राज: सोनिया ने क्यों नहीं की लालू से फोन पर बात, क्या सीट बंटवारे में प्रियंका निभाएंगी बड़ा रोल?
- बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद गहरा रहे हैं। राहुल गांधी की यात्रा के बाद कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि लालू यादव 52-55 सीटें देने को तैयार हैं।
- लालू यादव ने राहुल गांधी के व्यवहार पर नाराजगी जताई और सोनिया गांधी को फोन किया, जिन्होंने उन्हें राहुल गांधी से ही बात करने को कहा। यह स्थिति महागठबंधन में तनाव बढ़ा रही है।

विस्तार
Rjd Congress Seat Sharing: बिहार में बड़ा इंटरेस्टिंग डेवलपमेंट हुआ है। बिहार में आरजेडी और कांग्रेस के बीच मतभेद उभर कर आ गए हैं। नाराज लालू प्रसाद यादव ने सोनिया गांधी को फोन किया। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच सहमति नहीं बन पा रही। तो ये पूरा समीकरण क्या है? बिहार की राजनीति में क्या हो रहा है, इस पर मैं आपसे आज चर्चा करने जा रहा हूं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने बिहार में वोट अधिकार यात्रा रैली निकाली थी। 16 दिन चली इस यात्रा में राहुल गांधी और तेजस्वी ने 1300 किलोमीटर की दूरी साथ मिलकर नापी थी और 23 जिलों को उन्होंने कवर किया था। राहुल गांधी की यात्रा का 1 सितंबर को पटना में समापन हुआ था। इस रैली से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में बहुत उत्साह था। कांग्रेस को लग रहा था कि राहुल गांधी के इस रैली ने कांग्रेस के अंदर जान फूंक दी है।

9 सितंबर को बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ राहुल गांधी ने दिल्ली में बैठक की। इस बैठक में बिहार कांग्रेस के प्रभारी, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम, बिहार कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद, बिहार में विधान परिषद में पार्टी के नेता मदन मोहन झा और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव उपस्थित थे। इस बैठक में सभी नेताओं ने राहुल गांधी से उनकी यात्रा को पर बधाई दी और कहा कि उनकी यात्रा बहुत सफल रही है और इस बैठक में मोटा मोटी बात तय हुआ कि 70 से कम सीटों पर कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ेगी। अगर 2020 विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उस विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर उसकी जीत हुई थी। चार सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई थी। इस बार यह तय किया गया है कि कम से कम 70 सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा क्योंकि इस बार कांग्रेस अपने आप को बिहार में बेहतर देख रही है।
उधर तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव का कहना है कि कांग्रेस की हैसियत 70 सीटों की फिलहाल नहीं है और गठबंधन में नए दल भी जुड़ गए हैं। मुकेश साहनी भी जुड़ गए हैं, पशुपति नाथ पारस भी जुड़ गए। लेफ्ट पार्टियां भी ज्यादा सीट मांग रही हैं तो कांग्रेस को कुछ सीटों पर कॉम्प्रोमाइज करना होगा। लालू प्रसाद यादव इस बात से नाराज हैं कि जब बिहार के अंदर राहुल गांधी से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूछा गया तो राहुल गांधी ने सीधा कोई जवाब नहीं दिया और तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने से वह बच कर निकल गए।
लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे तेजस्वी से भी इस बात की नाराजगी जाहिर की है कि भाई तुम कांग्रेस को व्यवस्थित हैंडल नहीं कर पाते हो। लालू प्रसाद यादव ने इस बात की भी नाराजगी जाहिर की तेजस्वी यादव पर कि 2020 में तुमने कांग्रेस के दबाव में आकर 70 सीटें दे दी थी और कांग्रेस सिर्फ 19 सीट जीती थी, जिसके कारण तुम मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। दरअसल लालू प्रसाद यादव को लगता है कि 2020 में जो 15 सीटों का अंतर था। महागठबंधन और एनडीए के बीच में, महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं और 125 सीटें एनडीए को मिली थीं। लालू प्रसाद यादव को लगता है कि जो कांग्रेस को ज्यादा सीटें दे दी गई थीं, तेजस्वी के द्वारा उसके कारण तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे। अन्यथा 2020 में तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन जाते।
अब लालू यादव ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस से आप बात करो, कांग्रेस से कहो कि सीटों के साथ कौन सा उम्मीदवार है, उसकी सूची भी साथ में दें। अगर उम्मीदवार अच्छा होगा तो हम कांग्रेस को देंगे। अगर उम्मीदवार अच्छा नहीं होगा तो हम कांग्रेस को सीट नहीं देंगे। लालू ने यह नाराजगी राहुल गांधी पर भी जाहिर की है कि राहुल बिहार यात्रा के दौरान जिस तरीके से राहुल बचे, तेजस्वी को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार बनाने की घोषणा करने से उसके बाद लालू ने सोनिया गांधी को फोन किया था। खबर यह है कि सोनिया गांधी ने लालू से फोन पर बात नहीं की और लालू को संदेश भिजवा दिया कि बिहार को लेकर उन्हें जो भी बात करनी है, वह राहुल गांधी से करनी पड़ेगी। राहुल गांधी इस मामले में फैसला लेंगे। तो अब क्या राहुल गांधी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करेंगे? क्या राहुल गांधी 70 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ेंगे? यह तय है। क्योंकि वह मान कर चल रहे कि 70 से कम सीटों पर चुनाव लड़ना उनके हित में नहीं रहेगा। तो सोनिया गांधी ने लालू प्रसाद यादव से बात न करके लालू प्रसाद यादव को संकेत दे दिया है कि भाई अब मैं राजनीति नहीं देखती हूं। राहुल गांधी राजनीति देखते हैं और आपको राहुल गांधी से बात करना पड़ेगी।
कांग्रेस के कई कारण हैं 70 सीटें मांगने के। कांग्रेस जो गणित लेकर चल रही है, कांग्रेस का जो पहला समीकरण यह है कि 2020 का अगर विधानसभा चुनाव देखें तो कांग्रेस ने 44 सीटों पर दूसरे नंबर पर आई थी। इसलिए वह इन सीटों पर तो दावा करेगी ही, इसके अलावा 19 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। उस पर भी कांग्रेस दावा करेगी। इस तरीके से 63 सीटें कांग्रेस को लगता है कि 63 सीटों पर उसकी दावेदारी मजबूत है और 63 सीटों से कम पर वह नहीं मानेगी। जबकि लालू प्रसाद यादव का कहना है कि कांग्रेस को 52 से 55 के बीच सीटें दी जाएगी क्योंकि बाकी गठबंधन के सहयोगी दलों को भी एडजस्ट करना है।
कांग्रेस क्या अतीत की गलतियों से सबक लेगी?
कांग्रेस का कहना है कि 2019 का जब लोकसभा चुनाव हुआ था तो बिहार से कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी। उसके बाद 2020 का विधानसभा चुनाव हुआ तो 70 सीटें कांग्रेस विधानसभा चुनाव लड़ी थी। अब हमारे पास तीन सांसद हैं, उसके साथ ही पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव भी कांग्रेस खेमे में माने जाते हैं। भले ही वह निर्दलीय जीते थे तो कांग्रेस का कहना है कि ऐसी स्थिति में हम 70 से कम पर चुनाव कैसे लड़ेंगे? हमें 70 सीटें चाहिए और कांग्रेस को लगा कि जिस तरीके से दलित चेहरे राजेश राम प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। राहुल गांधी की यात्रा भी की। जिस तरीके से राहुल गांधी ओबीसी पिछड़ों की बात कर रहे हैं तो कांग्रेस के प्रति लोगों का जुड़ाव हो रहा है तो कांग्रेस 70 सीट से नीचे मानने को तैयार नहीं है। तो क्या लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को 70 सीटों पर लड़ने के लिए देंगे?
अभी इस बात पर कोई सहमति नहीं बन पाई। लेकिन खबर यह भी आ रही है कि प्रियंका गांधी इस मामले में दखल देने वाली हैं। कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव ने प्रियंका गांधी को भी संदेश भेजा और कहा है कि वह राहुल गांधी से बात करें और उनसे 70 सीटों की जिद छोड़ने को कहें। अगर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच में कोई सहमति नहीं बनेगी तो क्या होगा? ऐसे तमाम समीकरण बिहार की राजनीति में चल रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी घटना यह रही कि लालू प्रसाद यादव ने सोनिया गांधी को फोन किया और सोनिया गांधी ने फोन पर आने से मना किया और सीधे संदेश भिजवा दिया कि बिहार को लेकर आपको राहुल गांधी से बात करनी पड़ेगी।
तो क्या अब बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव बैकसीट पर चले गए और सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी की कमान लालू प्रसाद यादव ने अपने हाथ में ले ली है। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में कैसे सीटों का बंटवारा होता है। कांग्रेस 70 से नीचे जाने को तैयार नहीं और लालू प्रसाद यादव 55 से ज्यादा देने को तैयार नहीं है तो क्या कहीं जाकर भी सहमति बनेगी?
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बहुत स्पष्ट कह दिया है कि 63 सीटों से नीचे हम मानेंगे नहीं। 63 सीटों पर हमारा अधिकार बनता है। जो 19 सीटें हमने जीती हैं और 44 सीटों पर हम दूसरे नंबर पर रहे थे। वह सीटें नहीं छोड़ेंगे। अब ऐसे में जो दोनों सहयोगी दल पशुपतिनाथ पारस उनको कितनी सीटें दी जाएंगी। मुकेश साहनी तो कह रहे कि मुझे कम से कम 25 सीटें चाहिए चाहिए। और चुनाव के अंदर उप मुख्यमंत्री मुझे घोषित कीजिए। लेफ्ट पार्टी भी इस बार दमदारी से लड़ना चाहती हैं।
लेफ्ट पार्टी का कहना है कि पिछली बार की तुलना में हमारी स्थिति बहुत बेहतर है। इस बार हमें ज्यादा सीटें दें। 2020 में उनका स्ट्राइक रेट भी बहुत अच्छा था। 29 सीटें लड़ के 16 सीटें उन्होंने जीती थीं। तो क्या इस बार लेफ्ट को ज्यादा सीटें मिलेंगी? चार-चार बैठकों के बाद भी अभी तक महागठबंधन के अंदर, खासतौर से कांग्रेस के बीच में और आरजेडी के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है। कोई सहमति नहीं बन पा रही है। कहा जा रहा है कि 15 सितंबर को बिहार कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक होगी। वहां से फाइनल सूची तैयार करके दिल्ली भेजी जाएगी और उसके बाद 16-17 सितंबर को कांग्रेस उस पर मुहर लगाएगी।
फिलहाल बिहार में कांग्रेस के राहुल गांधी और आरजेडी के तेजस्वी यादव ने मिलकर जो यात्रा निकाली थी, वोट अधिकार यात्रा। उस दौरान जो याराना उत्पन्न हुआ था, वह अब मुझे लगता है कि खटाई में पड़ गया है। दोनों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान बहुत चरम पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव को अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव से भी चुनौती मिल रही है। जिस तरीके से वह उम्मीदवार खड़े करते जा रहे हैं, जिस तरीके से लालू परिवार या लालू की पार्टी में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं, वह भी लालू के लिए चिंता की बात है। फिलहाल लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे को सपोर्ट करने के लिए मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपने हाथ में कमान ले ली है। उन्होंने तेजस्वी से कहा है कि कांग्रेस से निपटना मुझे आता है, मैं कांग्रेस से निपट लूंगा।
कांग्रेस के मामले में अंतिम फैसला लूंगा। फिलहाल लालू प्रसाद यादव ड्राइविंग सीट पर हैं। तेजस्वी कांग्रेस को लेकर, गठबंधन को लेकर, सीटों के बंटवारे को लेकर पीछे की स्थिति में चले गए हैं। तो क्या कांग्रेस और आरजेडी में कोई समझौता होगा? कह रहे हैं कि अजय माकन ने बिहार कांग्रेस से कहा है कि 243 सीटों पर उम्मीदवार तय करो। अगर गठबंधन नहीं होता है तो हम 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। तो क्या महागठबंधन में यह स्थिति आ गई है कि लालू प्रसाद यादव के आने के बाद कोई सीटों का समीकरण गड़बड़ा रहा है तो क्या कांग्रेस अकेले मैदान में जाने की तैयारी करेगी? फिलहाल मुझे इसकी संभावना कम लग रही है। सीटों का बंटवारा होगा, सहमति होगी। आने वाले दिनों में ही तय होगा कि बंटवारा कैसे होता है।
--------
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।