सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Columns ›   Blog ›   Zen Z and bed-rotting culture decreasing motivation energy and enthusiasm alarming

दूसरा पहलू: जेन जी और बेड रॉटिंग संस्कृति... प्रेरणा, ऊर्जा और उत्साह में कमी आती है

mukul shrivastava मुकुल श्रीवास्तव
Updated Wed, 05 Nov 2025 06:38 AM IST
विज्ञापन
Zen Z and bed-rotting culture decreasing motivation energy and enthusiasm alarming
जेन जी और बेड रॉटिंग संस्कृति चिंताजनक - फोटो : अमर उजाला प्रिंट / एजेंसी
विज्ञापन

डिजिटल होती दुनिया में सोशल मीडिया और रील्स के शोर-शराबे से होने वाली थकावट व तनाव से बचने के लिए जेन जी ने एक नया तरीका खोज लिया है, जिसे बेड रॉटिंग कहा जाता है। इसका अर्थ है जानबूझकर घंटों या पूरे दिन बिस्तर पर पड़े रहना और निष्क्रिय गतिविधियों में लिप्त रहना, जैसे-फोन स्क्रॉल करना, फिल्में देखना या बस लेटे रहना। जेन जी इसे आत्म-देखभाल का नया और क्रांतिकारी तरीका बताते हैं। यह आदत अब भारतीय युवाओं के जीवन में भी गहरी पैठ बना रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तनाव या बर्नआउट से निपटने का कारगर तरीका है, या फिर व्यक्ति को अवसाद और निष्क्रियता के अंधेरे कुएं में धकेलने का बहाना। बेड रॉटिंग शब्द का पहली बार इस्तेमाल 2023 में एक अमेरिकी टिकटॉक यूजर ने किया था। 

Trending Videos


विशेषज्ञों ने बेड रॉटिंग के पीछे एक ओर बदलती जीवनशैली और बढ़ता तनाव, तो दूसरी ओर छात्रों में फैले हसल कल्चर जैसे कई कारण बताए हैं। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की मनोचिकित्सक निकोले होलिंग्सहेड बताती हैं कि समाज में खुद को व्यस्त व ज्यादा उत्पादक दिखाने पर जोर दिया जाता है, जिसका अब युवा विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार, लगभग 10 फीसदी वयस्क मानसिक विकार से ग्रसित हैं। वहीं, डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि भारत में प्रति एक लाख आबादी पर 21 आत्महत्याएं होती हैं, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक हैं। 2024 की वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट में भी भारत 118वें स्थान पर रहा। ऑस्ट्रेलिया की मनोवैज्ञानिक संस्था जीएम5 द्वारा तेलंगाना व कर्नाटक में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 24 फीसदी छात्रों में मानसिक संकट के लक्षण मिले, जबकि छह से 10 प्रतिशत गंभीर या अति गंभीर श्रेणी में हैं, जिन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है। सेपियंस लैब की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में 18-24 वर्ष आयु वर्ग का औसत मेंटल हेल्थ क्वोशियंट (एमएचक्यू) 28 था, जो 2023 में 20 रह गया। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोध के मुताबिक, दुनिया भर के किशोर रोजाना आठ से 10 घंटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों या वीडियो गेम में बिताते हैं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


भारत में बेड रॉटिंग ट्रेंड को स्लीप वीकेंड या वीकेंड कोमा जैसे नामों से भी जाना जा रहा है। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि इससे न्यूरोट्रांसमीटर्स, विशेषकर डोपामिन व सेरोटोनिन के स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे प्रेरणा, ऊर्जा और उत्साह में कमी आती है। इसलिए, फोन स्क्रॉल करने के बजाय किताबें पढ़ें, संगीत सुनें या ध्यान या कसरत करें। इस चक्र को तोड़ने के लिए काउंसलर से बात करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed