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जब एक बंद रास्ते ने दुनिया बदल दी: इतिहास में पुराने रास्तों को नए सिरे से जगाया जा रहा, कई देश डर से नए...
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जब एक बंद रास्ते ने दुनिया बदल दी
- फोटो :
अमर उजाला प्रिंट / एआई
विस्तार
पश्चिम एशिया में कोई नहीं जानता कि कब दोबारा मिसाइलें बरसने लगेंगी। ईरान-इस्राइल की जंग थमी है, खत्म नहीं हुई है। इस बार जंग में तेल ले जाने वाले रास्ते बंद नहीं हुए। होर्मुज स्ट्रेट का 33 किलोमीटर चौड़ा समुद्री घुमावदार गलियारा, जहां से दुनिया का 30 फीसदी तेल और 20 फीसदी गैस जाती है, जंग की आपदा में बाल-बाल बच गया। अलबत्ता दुनिया डर गई है। शिपिंग कंपनियां पहले ही सुएज रेड सी बाब-अल मंदेब वाला रास्ता छोड़ चुकी हैं। टैंकरों का बीमा आसमान छू रहा है। चीन, भारत, और यूरोप के कई देश नए रास्ते तलाश रहे हैं। वे पुराने जमीनी रास्ते होंगे या पाइप लाइनें? आइए, विराजिए टाइम मशीन में, हम आपको ले चलते हैं करीब 572 साल पीछे, जहां आपको लगेगा कि आप 2025 का होर्मुज देख रहे हैं।
टाइम मशीन ने अपने ‘कोऑर्डिनेट्स’ सेट कर दिए हैं। सिल्क रूट, 1453 पर लॉक हो रहा है। हम जा रहे हैं उस दौर की ओर, जहां ठीक इसी तरह बंद हुए एक रास्ते ने दुनिया बदल दी थी। यकीन मानिए, वह दुनिया का सबसे बड़ा बदलाव था। साल है 1452 का। हम समरकंद के एक गुलजार बाजार में उतर रहे हैं। हवा में सिक्कों की खनक है, व्यापारियों की सौदेबाजी का शोर है। केसर की खुशबू है, रेशम की नरमी है। वह देखिए, ऊंटों के काफिले चीन के चांगान से आए हैं और वेनिस तक माल ढोकर ले जा रहे हैं। हम सिल्क रोड पर हैं। यह वैश्विक व्यापार की सबसे बड़ी धमनी है। काली मिर्च और दालचीनी, जो सोने से ज्यादा कीमती हैं, बगदाद, अंताकिया, और कॉन्स्टेंटिनोपल (इस्तांबुल) से होकर यूरोप तक जाते हैं।
समरकंद में कारोबारी कुछ जल्दबाजी में हैं। दरअसल, ऑटोमन ने कॉन्स्टेंटिनोपल को घेर लिया है। शहर गिरा, तो हमारा कारोबार डूब जाएगा। कॉन्स्टेंटिनोपल सिल्क रूट का दरवाजा है, जो इसे काबू करता है, वह यूरोप की अर्थव्यवस्था की नब्ज थाम लेता है। चलिए वापस टाइम मशीन में। मशीन के डायल ने 29 मई, 1453 की तारीख सेट की है। हम उस घटना को देखने जा रहे हैं, जो सब कुछ बदल देगी। यह है कॉन्स्टेंटिनोपल। साल है 1453। सुबह की पहली किरण फूटते ही आपको दिखने लगा है कि शहर की घेराबंदी की गई है। 21 साल का ऑटोमन सुल्तान महमूद द्वितीय 80,000 सैनिकों और एक डरावने हथियार के साथ कॉन्स्टेंटिनोपल पर घेरा डाले हुए है। उसके पास तोपें हैं, जिन्हें हंगेरियन इंजीनियर ऑर्बन ने बनाया है। ये तोपें पत्थर के गोले फेंककर किलों की लोहे जैसी दीवारों को जड़ से हिला देती हैं। शहर की दीवारों के उस पार बाइजेंटियन सम्राट कॉन्स्टैंटाइन XI अपने 7,000 सैनिकों को ललकार रहा है।
सम्राट कांस्टैंटाइन 2100 साल पुराने रोमन बाइजेटियन (रिपब्लिक से लेकर बाइजेंटियन तक) साम्राज्य का आखिरी चिराग है। सम्राट को उम्मीद है कि उसकी समुद्री जंजीर ऑटोमन जहाजों को रोक लेगी। कॉन्स्टेंटिनोपल की संकरी खाड़ी यानी गोल्डन हॉर्न की रक्षा के लिए एक विशाल चेन तैर रही है, जो एक तरफ बास्फोरेस और दूसरी तरफ मारमरा सागर से आने वाले जहाजों को कॉन्स्टेंटिनोपल गोल्डन हॉर्न में आने से रोकती है। यह जंजीर इंजीनियरिंग का चमत्कार है। इसे गलाता टावर और शहर की दीवारों के बीच बांधा गया है। मोटे लोहे के छल्लों से बनी यह चेन पानी के नीचे लटकती है और लकड़ी के विशाल तैरते ढांचों पर टिकी है। वजन इतना कि इसे उठाने-गिराने के लिए खास मशीनरी और सैकड़ों लोग चाहिए। बाइजेंटियन सम्राट को भरोसा है कि यह चेन रहने तक ऑटोमन नौसेना अंदर नहीं घुस पाएगी और अगर जहाज आए भी, तो दीवारों पर लगी तोपों के हमले उन्हें डुबा देंगे। मगर यह क्या? कॉन्स्टेंटिनोपल में शोर मच गया है। ऑटोमन सम्राट महमूद द्वितीय ने चेन को चकमा देने के लिए 70 जहाजों को जमीन पर चिकने लट्ठों पर खींचकर सीधे खाड़ी में उतार दिया है।
कॉन्स्टेंटिनोपल में रात हो रही है। महमूद आखिरी हमले की तैयारी कर रहा है। तोपों की गड़गड़ाहट आसमान को चीर रही है, कॉन्स्टेंटिनोपल की दीवारंे ढह गई हैं। ऑटोमन सैनिक दीवारों के टूटे हिस्सों से अंदर पहुंच रहे हैं। कॉन्स्टैंटाइन जंग में कूद पड़ता है, मगर ऑटोमन का तूफान उसे उड़ा देता है। पौ फट रही है। महमूद सफेद घोड़े पर सवार हागिया सोफिया में प्रवेश कर रहा है।
2100 साल पुराने रोमन बाइजेंटियन साम्राज्य का पतन हो गया है। कॉन्स्टेंटिनोपल पर तुर्क ऑटोमन का कब्जा हो गया है। यह पश्चिम पर इस्लाम की जीत है। यह एक नए युग की शुरुआत है। सिल्क रूट का दरवाजा अब ऑटोमन के हाथ में है। उसने यूरोप और एशिया का कारोबारी रास्ता बंद कर दिया है। सिल्क रूट से कारोबार करने पर भारी टैक्स लगा दिया गया है। यूरोप में माल पहुंचाना अब बेहद महंगा हो गया है। हम आगे चलते हैं। टाइम मशीन अब पुर्तगाल के लिस्बन में है। यह 1498 का साल है। लिस्बन के बंदरगाह पर वास्को द गामा के जहाज लंगर डाल रहे हैं, जो कालिकट (भारत) से नया खजाना लाए हैं। दरअसल, पुर्तगालियों ने समुद्र को जगा लिया है।
कॉन्स्टेंटिनोपल के पतन के बाद, प्रिंस हेनरी द नेविगेटर ने जहाज बनाने और समुद्री अभियानों में पैसा झोंक दिया था। उसे बस एशिया तक समुद्री रास्ता चाहिए था। प्रिंस हेनरी के शागिर्द बार्टोलोम्यू डियास ने 1488 में केप ऑफ गुड होप को पार किया और खुल गया रास्ता। अब वास्को द गामा भारत जाकर लौटा है, और ऑटोमन को एक भी अशर्फी का टैरिफ दिए बिना भारत से काली मिर्च और दालचीनी ले आया है। लिस्बन का बंदरगाह एलान कर रहा है कि हिंद महासागर नया सिल्क रोड है, और पुर्तगाल के कैरावेल इसके ऊंट हैं। अब हम जरा स्पेन की तरफ चलते हैं। मशीन ने डायल को 1492 पर सेट किया है।
हम सेविल में हैं। सामने क्रिस्टोफर कोलंबस का बेड़ा है। बड़ी कामयाबी लेकर लौटा है कोलंबस। ऑटोमन ने पूर्व का जमीनी रास्ता बंद न किया होता, तो शायद रानी इसाबेला कोलंबस को जहाजी बेड़ा न देतीं। कोलंबस एशिया को तलाशते हुए कैरिबियन पहुंच गया। उसे मसाले नहीं, चांदी मिली है। स्पेन के जहाज अमेरिका की चांदी यूरोप ला रहे हैं। ऑटोमन ने सिल्क रूट बंद किया, तो एक नया साम्राज्य ही पैदा हो गया है। टाइम मशीन वापस होर्मुज की तरफ बढ़ रही है, लेकिन यह दौर 16वीं सदी का है। जहां सफावी फारसियों और ऑटोमनों के बीच जंग जारी है। मगर इस बीच पुर्तगाली अफोंसो द अल्बुकर्क ने बंदरगाह कब्जा लिया है। पुर्तगाल की नौसेना समुद्र पर राज करती है।
होर्मुज हिंद महासागर व्यापार का वैसा ही दरवाजा है, जो कॉन्स्टेंटिनोपल सिल्क रूट के लिए था। मसाले, रेशम, और फारसी कालीन यहां से गुजरते हैं, यूरोप की भूख मिटाते हैं। एक सफावी व्यापारी कह रहा है कि पुर्तगाली टैक्सखोर हैं, मगर क्या करें, ये चले गए, तो ऑटोमन यह रास्ता रोक देंगे। टाइम मशीन वापस 2025 के पश्चिम एशिया की तरफ लौट रही है। मिसाइलें शांत हैं, मगर होर्मुज पर चहल-पहल नहीं लौटी है। इतिहास चक्कर काट कर वहीं आ गया है, जहां पंद्रहवीं सदी में था।
ऑटोमन महमूद की तोपों ने सिल्क रूट रोककर वास्को द गामा और कोलंबस को व्यापार की धुरी बदलने का मौका दिया था, ठीक उसी तरह अब भारत रूस-ईरान से मुंबई को जोड़ने वाले स्थलीय-समुद्री कॉरिडोर की तैयारी में है। ईरान रूस के साथ पाइप लाइन बिछा रहा है। चीन का बीआरआई पुराने सिल्क रोड पर रेल नेटवर्क बना रहा है। यूएई और सऊदी अरब पाइप लाइन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। समुद्री रास्तों पर खतरा है, तो पुराने रास्तों को नए सिरे से जगाया जा रहा है। टाइम मशीन कैस्पियन सागर के तट पर बाकू में उतर रही है। यह शहर अगला कॉन्स्टेंटिनोपल हो सकता है। फिर मिलते हैं, अगले सफर पर...