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दूसरा पहलू: ताजमहल के तहखाने में क्या रहस्य छिपा है? थ्रीडी इमेजिंग और ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार से चल सकता है
भूपेंद्र कुमार
Published by: शुभम कुमार
Updated Tue, 08 Jul 2025 08:05 AM IST
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ताजमहल।
- फोटो :
Adobe Stock
विस्तार
ताजमहल जितना मोहक है, उतना ही रहस्यमयी। दुनिया के इस अजूबे के तहखाने में 22 कमरों में क्या है? इसे लेकर खूब कयास लगाए जाते हैं, जैसे-यहां शाहजहां का खजाना दफन है, देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, ऐसे शिलालेख हैं जो बहुत गोपनीय हैं। इन कमरों को पर्यटकों के लिए खोलने के लिए वर्ष 2022 में अदालत में याचिका भी दायर की गई पर हाईकोर्ट से इजाजत नहीं मिली।
42 एकड़ में फैले ताजमहल परिसर के मुख्य गुंबद में शाहजहां और मुमताज महल की कब्रें हैं। असली कब्रों तक पहुंचने के लिए तहखाने में सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है, इसे साल में एक बार उर्स के मौके पर खोला जाता है। ऊपर इनकी प्रतिकृति है, जहां पर्यटक जा सकते हैं। मुख्य मकबरे के नीचे ही 22 कमरे हैं। इन तक पहुंचने के लिए जो सीढ़ी है, उसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया है।
इतिहासकारों के अनुसार, ये कमरे शायद ब्रिटिश काल में ही बंद कर दिए गए थे। ताजमहल की पहली मंजिल पर जाने वाली सीढ़ियों को शाहजहां के समय में ही बंद कर दिया गया था। इतिहासकार एबा कोच ने अपनी पुस्तक द कंपलीट ताजमहल एंड रिवर फ्रंट गार्डंस ऑफ आगरा में लिखा है, इन कमरों का निर्माण भीषण गर्मी से राहत पाने के मकसद से किया गया था। एबा ने इन कमरों को देखा और फोटो भी लिए थे। उन्होंने लिखा है, ‘यह ऐसी जगह थी जहां बादशाह मकबरे को देखने के बाद अपने मंत्रियों के साथ सुकून से यमुना की ठंडी हवा से दिल बहला सकता था। शाहजहां अक्सर नाव से घाट पर पहुंचता और सीढ़ियों से होता हुआ ताजमहल के मुख्य गुंबद पर जाता था।
इतिहासकार राना साफवी ने एक जगह लिखा है कि 1978 में यमुना में बाढ़ आने से तहखाने में गाद भर गई और कमरों की दीवारों तथा दरवाजों को भी नुकसान पहुंचा। वहां अब ऐसा कुछ भी नहीं है जो ऐतिहासिक महत्व का हो। ब्रिटिश काल में ताजमहल में कुछ मरम्मत का काम कराया गया था, तब तहखाने में ईंटें लगाकर कुछ दरवाजे बंद भी कर दिए गए थे।
अदालत ने जब कमरों को खोलने की याचिका को खारिज कर दिया तो एएसआई ने इनकी तस्वीरें जारी कर बताया था कि यहां कुछ भी नहीं है। ये कमरे मुख्य इमारत और मीनारों को मजबूती देते हैं, इसलिए इनका होना जरूरी है। तो क्या इन कमरों के बारे में कभी कुछ ज्यादा नहीं पता चल सकेगा। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि थ्रीडी इमेजिंग और ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार के इस्तेमाल से यह पता चल सकता है कि इनका मकसद क्या था, दीवारों के पार क्या है। तब शायद कोई राज न रहे।