{"_id":"692038ec93019b9488044758","slug":"delhi-hc-quashes-covid-drugs-case-against-gautam-gambhir-know-details-2025-11-21","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Delhi High Court-Gautam Gambhir: दिल्ली हाई कोर्ट से गौतम गंभीर को राहत, कोविड दवा मामले में दर्ज केस खत्म हुआ","category":{"title":"Cricket News","title_hn":"क्रिकेट न्यूज़","slug":"cricket-news"}}
Delhi High Court-Gautam Gambhir: दिल्ली हाई कोर्ट से गौतम गंभीर को राहत, कोविड दवा मामले में दर्ज केस खत्म हुआ
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Mayank Tripathi
Updated Fri, 21 Nov 2025 03:33 PM IST
सार
भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर को शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली। उनके खिलाफ कोविड दवाओं को लेकर दर्ज मामले को उच्च न्यायालय ने खत्म कर दिया।
विज्ञापन
कोर्ट-गौतम गंभीर
- फोटो : adobestock-PTI
विज्ञापन
विस्तार
भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर को शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली। उनके खिलाफ कोविड दवाओं को लेकर दर्ज मामले को उच्च न्यायालय ने खत्म कर दिया। महामारी के समय दवाओं के वितरण को लेकर शुरू हुआ यह विवाद लगभग तीन साल बाद कानूनी रूप से समाप्त हो गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीर, उनकी पत्नी, मां और उनकी फाउंडेशन के खिलाफ कोविड-19 दवाओं की कथित अवैध खरीद और वितरण मामले में दर्ज आपराधिक केस को पूरी तरह रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने आदेश सुनाते हुए कहा, 'क्रिमिनल शिकायत रद्द की जाती है।'
केस क्यों दर्ज हुआ था?
महामारी के दौरान गौतम गंभीर फाउंडेशन पर आरोप लगा था कि उसने बिना वैध लाइसेंस के कोविड-19 दवाएं स्टॉक कीं और जनता में बांटीं। दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18(c) और 27(b)(ii) के तहत शिकायत दर्ज की थी।
धारा 18(c): बिना लाइसेंस दवाओं का निर्माण, बिक्री या वितरण प्रतिबंधित करता है।
धारा 27(b)(ii): लाइसेंस के बिना दवा वितरण पर 3 से 5 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
मामले में गंभीर के अलावा उनकी पत्नी नताशा गंभीर, मां सीमा गंभीर, फाउंडेशन की CEO अपराजिता सिंह को भी नोटिस भेजा गया था। सितंबर 2021 में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। अप्रैल 2024 में अदालत ने यह स्थगन हटा दिया। इसके बाद गंभीर और फाउंडेशन ने आदेश को चुनौती देते हुए नया आवेदन दाखिल किया। ड्रग कंट्रोल विभाग की ओर से दलील दी गई कि गंभीर ने सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जबकि उन्हें पहले सेशंस कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करनी चाहिए थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने महामारी में दवाएं बेची नहीं, बल्कि जनसेवा के लिए मुफ्त बांटीं, इसलिए उन पर व्यापार या लाभ कमाने का आरोप लागू नहीं होता।
Trending Videos
केस क्यों दर्ज हुआ था?
महामारी के दौरान गौतम गंभीर फाउंडेशन पर आरोप लगा था कि उसने बिना वैध लाइसेंस के कोविड-19 दवाएं स्टॉक कीं और जनता में बांटीं। दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18(c) और 27(b)(ii) के तहत शिकायत दर्ज की थी।
विज्ञापन
विज्ञापन
धारा 18(c): बिना लाइसेंस दवाओं का निर्माण, बिक्री या वितरण प्रतिबंधित करता है।
धारा 27(b)(ii): लाइसेंस के बिना दवा वितरण पर 3 से 5 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
मामले में गंभीर के अलावा उनकी पत्नी नताशा गंभीर, मां सीमा गंभीर, फाउंडेशन की CEO अपराजिता सिंह को भी नोटिस भेजा गया था। सितंबर 2021 में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। अप्रैल 2024 में अदालत ने यह स्थगन हटा दिया। इसके बाद गंभीर और फाउंडेशन ने आदेश को चुनौती देते हुए नया आवेदन दाखिल किया। ड्रग कंट्रोल विभाग की ओर से दलील दी गई कि गंभीर ने सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जबकि उन्हें पहले सेशंस कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करनी चाहिए थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने महामारी में दवाएं बेची नहीं, बल्कि जनसेवा के लिए मुफ्त बांटीं, इसलिए उन पर व्यापार या लाभ कमाने का आरोप लागू नहीं होता।