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IPL: विदेशी क्रिकेटर से जुड़ा नियम बना बहस का मुद्दा! 25.20 करोड़ की बोली के बावजूद ग्रीन को मिलेंगे 18 करोड़

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, अबू धाबी Published by: स्वप्निल शशांक Updated Wed, 17 Dec 2025 08:43 AM IST
सार

नियम सख्त है, लेकिन बेकार नहीं। यह नियम फ्रेंचाइजी को नियंत्रण देता है कि फ्रेंचाइजी भारतीय खिलाड़ियों को प्राथमिकता दे सके। BCCI प्लेयर वेलफेयर के लिए अतिरिक्त फंड देता है और विदेशी खिलाड़ी के लिए भी। इसलिए भले ही यह नियम विवादित हो, लेकिन पूरी तरह गलत भी नहीं कहा जा सकता।

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आईपीएल 2026 नीलामी - फोटो : ANI
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विस्तार
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आईपीएल 2026 की मिनी नीलामी के बाद एक नियम ने क्रिकेट जगत में जबरदस्त बहस छेड़ दी है। यह नियम विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी से जुड़ा है, जिसके तहत कोई भी विदेशी खिलाड़ी, चाहे उस पर कितनी भी बड़ी बोली क्यों न लगे, 18 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं कमा सकता।
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यह नियम पहली बार IPL 2025 की मेगा नीलामी में लागू किया गया था और अब इसे इस बार भी बरकरार रखा गया है। बाहर से देखने पर यह नियम भ्रम पैदा करता है, लेकिन इसके पीछे BCCI की एक स्पष्ट सोच और फ्रेंचाइजियों की चिंता जुड़ी हुई है।
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नियम क्या है? आसान भाषा में समझिए
आईपीएल के नए नियम के मुताबिक, किसी भी विदेशी खिलाड़ी की अधिकतम सैलरी सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी की रिटेंशन स्लैब से ज्यादा नहीं हो सकती। मिनी ऑक्शन के मामले में यह स्लैब 18 करोड़ रुपये तय की गई है। उदाहरण से समझिए। मान लीजिए किसी विदेशी खिलाड़ी पर नीलामी में 30 करोड़ रुपये की बोली लगती है, लेकिन उसे सैलरी मिलेगी सिर्फ 18 करोड़ रुपये। बाकी 12 करोड़ रुपये BCCI के प्लेयर वेलफेयर फंड में चले जाएंगे। फ्रेंचाइजी को फिर भी पूरे 30 करोड़ अपने पर्स से चुकाने होंगे। यानी बोली पूरी लगेगी, लेकिन खिलाड़ी को पूरा पैसा नहीं मिलेगा।

भारतीय खिलाड़ियों पर यह नियम क्यों लागू नहीं?
यह नियम सिर्फ विदेशी खिलाड़ियों के लिए है। भारतीय खिलाड़ी पूरी बोली की रकम पाने के हकदार हैं। इसी का उदाहरण IPL 2025 मेगा ऑक्शन में दिखा, जब ऋषभ पंत को 27 करोड़ रुपये में खरीदा गया, उन्हें पूरी सैलरी मिली। वह आईपीएल इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी बने। हालांकि, इस बार कैमरन ग्रीन 25.20 करोड़ में बिके और केकेआर ने उन्हें खरीदा। हालांकि, उन्हें फिर भी 18 करोड़ ही मिलेंगे और बाकी की रकम बीसीसीआई वेलफेयर फंड में जाएगी। 7.20 करोड़ रुपये उनकी सैलरी से कट जाएंगे। 

BCCI ने यह नियम क्यों बनाया?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बदलाव के पीछे फ्रेंचाइजियों की शिकायतें अहम वजह रहीं। कई टीमें इस बात से नाराज थीं कि कुछ विदेशी खिलाड़ी जानबूझकर मेगा ऑक्शन छोड़ते हैं। फिर मिनी ऑक्शन में एंट्री लेकर सीमित विकल्पों के चलते महंगी बोली हासिल करते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए बीसीसीआी ने दो बड़े फैसले लिए:

1. ऑक्शन से नाम वापस लेने पर बैन: रजिस्ट्रेशन के बाद ऑक्शन से हटने वाले खिलाड़ी पर दो साल का IPL बैन

2. विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी पर कैप: भारतीय खिलाड़ियों को प्राथमिकता और विदेशी खिलाड़ियों की अधिकतम कमाई सीमित।

क्यों हो रहा है विरोध?
सोशल मीडिया और विदेशी क्रिकेट फैंस का तर्क सीधा है, अगर बाजार किसी खिलाड़ी को ज्यादा कीमत दे रहा है, तो उसे पूरी रकम क्यों न मिले? कुछ लोगों ने इसे भारतीय पहले नीति और जरूरत से ज्यादा सख्ती बताया है।

क्या यह नियम IPL को नुकसान पहुंचा सकता है?
फिलहाल नहीं। आईपीएल अब भी दुनिया की सबसे आकर्षक टी20 लीग है, लेकिन खतरा तब पैदा हो सकता है जब दूसरी इंटरनेशनल लीग्स विदेशी खिलाड़ियों को इससे ज्यादा सुरक्षित और खुली कमाई दें। तब विदेशी सितारे आईपीएल को प्राथमिकता देना छोड़ सकते हैं। हालांकि मौजूदा हालात में ऐसा होना मुश्किल माना जा रहा है।
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