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Jaydev Unadkat: भावुक हुए जयदेव उनादकट, बोले- 12 साल बाद वापसी मेरे लिए पहला टेस्ट खेलने जैसी
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Tue, 27 Dec 2022 11:25 PM IST
सार
बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज जीत के बाद स्वदेश लौटे 31 साल के जयदेव ने खास बातचीत में कहा कि मैं सामान्यत: लाल गेंद से खेली जाने वाली क्रिकेट को मिस कर रहा था। कोविड के कारण रणजी ट्रॉफी दो बार स्थगित हुई थी।
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जयदेव उनादकट
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
सौराष्ट्र के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर टेस्ट में 12 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी का मौका मिला। इससे पहले जयदेव ने 2010 में टेस्ट खेला था। तब महान सचिन तेंदुलकर और मौजूदा हेड कोच राहुल द्रविड़ उनके साथी थे। जनवरी में उन्होंने एक ट्वीट किया था, जो बड़ा वायरल हुआ था। बाएं हाथ के इस गेंदबाज ने ट्वीट में लिखा था, डियर रेड बॉल, कृपया मुझे एक मौका और दो। मैं आपको गौरवान्वित ही करूंगा। पक्का वादा है। बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज जीत के बाद स्वदेश लौटे 31 साल के जयदेव ने खास बातचीत में कहा कि मैं सामान्यत: लाल गेंद से खेली जाने वाली क्रिकेट को मिस कर रहा था। कोविड के कारण रणजी ट्रॉफी दो बार स्थगित हुई थी।
12 साल बाद फिर वही अहसास
जयदेव कहते हैं कि मेरा हमेशा से मानना था कि मुझे फिर मौका जरूर मिलेगा। वापसी मेरे लिए, परिवार के लिए काफी जज्बाती रही। मेरी पत्नी को तो मुझसे ज्यादा विश्वास था कि एक दिन मैं फिर टेस्ट खेलूंगा। जब मुझे पहली बार पता चला कि मैं फिर टेस्ट खेलने जा रहा हूं तो सच मानो तो मेरे वैसे ही रोंगटे खड़े हो गए थे, जैसे 12 साल पहले पहला टेस्ट खेलते समय हुए थे। मेरे लिए यह पहला टेस्ट खेलने जैसा ही था। उनादकट ने कहा, पिछले तीन-चार वर्षों से हमारे तेज गेंदबाज अच्छा कर रहे थे। सच पूछो तो मुझे भी प्रेरणा उन्हीं से मिल रही थी। सौराष्ट्र की कप्तानी करने ने खेल पर मेरा फोकस बनाए रखा। इधर-उधर ध्यान नहीं भटका। कप्तान के तौर पर अपने प्रदर्शन के अलावा साथियों की बेहतरी के लिए भी सोचा। वापसी के बाद तो और विनम्र हो गया हूं।
जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की वापसी के बाद क्या उनके लिए अंतिम एकादश में जगह बनाए रखना संभव होगा। जयदेव कहते हैं, जब मैंने पहला टेस्ट खेला था तब काफी युवा था। उसके बाद रणजी ट्रॉफी में मैंने कभी अपने आपको उम्रदराज नहीं माना। अभी 31 का ही तो हूं। अभी तीन-चार साल अपना श्रेष्ठ दे सकता हूं। जयदेव ने कहा कि मुझे इसलिए मौका मिला क्योंकि प्रबंधन ऐसा समझता था कि इस पिच के लिए मेरा चयन सही रहेगा। हालात कुछ-कुछ राजकोट की पिच जैसे थे। विकेट में तेजी नहीं थी। गेंद की दिशा और लंबाई पर ध्यान देना था।
कई बार किया बुलावे का इंतजार
जब उनादकट ने 2020 रणजी ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन किया तब भी उन्हें राष्ट्रीय टीम का बुलावा नहीं आया था। कई मौके ऐसे आए जब रणजी ट्रॉफी में अच्छा करने के बाद राष्ट्रीय टीम के चयन के वक्त उनके नाम पर गौर तक नहीं हुआ। बावजूद इसके उन्होंने मन छोटा नहीं किया और घरेलू स्तर पर सौराष्ट्र को एक चैंपियन टीम बनाने में लगे रहे। वह तो उस भारत ए टीम का भी हिस्सा नहीं थे जिसने टीम इंडिया की टेस्ट सीरीज से पहले बांग्लादेश का दौरा किया था। उनका धैर्य और इंतजार रंग लाया और मोहम्मद शमी के चोटिल होने के बाद उन्हें बैकअप के रूप में बुलावा आया। वीजा में देर होने के कारण वह पहले टेस्ट के लिए समय पर बांग्लादेश पहुंचने में असमर्थ रहे। कार्यवाहक कप्तान लोकेश राहुल ने उन्हें दूसरे टेस्ट में मौका दिया। उन्हें यह अवसर स्पिनर कुलदीप यादव की जगह मिला, जिन्होंने पहले टेस्ट में पांच विकेट लिए थे और मैन ऑफ द मैच बने थे।
वापसी का सपना हजार बार देखा
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट पदार्पण करने के बाद उन्होंने वर्षों तक प्रथम श्रेणी का अनुभव लिया। पाटा विकेटों के बीच दबाव के बीच बेहतर किया। पोरबंदर में जन्म जयदेव के लिए यही अनुभव मीरपुर में काम आया। उन्होंने पिछले मैच के शतकवीर जाकिर हसन को आउट किया। यह उनका टेस्ट करियर में पहला विकेट था। उनादकट का कहना है कि यह उनके करियर के यादगारपूर्ण लम्हों में से एक रहेगा। बकौल उनादकट टेस्ट विकेट हासिल करने का सपना उन्होंने 1000 बार देखा था। क्या कुलदीप की जगह शामिल किए जाने के बाद उन पर किसी किस्म का दबाव था। इस पर जयदेव ने कहा, नहीं घरेलू क्रिकेट ने इसमें मेरी मदद की। आप गेंदबाज के रूप में हमेशा एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, चाहें आपको विकेट मिले या नहीं। आप दबाव बनाकर बल्लेबाज को दुविधा में डाल सकते हो।
बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज के लिए पाटा विकेट पर लंबे स्पैल फेंकने के अनुभव ने बड़ी मदद की। उन्होंने कप्तान के तौर पर भी सौराष्ट्र के लिए बड़ी सफलता हासिल की हैं।
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12 साल बाद फिर वही अहसास
जयदेव कहते हैं कि मेरा हमेशा से मानना था कि मुझे फिर मौका जरूर मिलेगा। वापसी मेरे लिए, परिवार के लिए काफी जज्बाती रही। मेरी पत्नी को तो मुझसे ज्यादा विश्वास था कि एक दिन मैं फिर टेस्ट खेलूंगा। जब मुझे पहली बार पता चला कि मैं फिर टेस्ट खेलने जा रहा हूं तो सच मानो तो मेरे वैसे ही रोंगटे खड़े हो गए थे, जैसे 12 साल पहले पहला टेस्ट खेलते समय हुए थे। मेरे लिए यह पहला टेस्ट खेलने जैसा ही था। उनादकट ने कहा, पिछले तीन-चार वर्षों से हमारे तेज गेंदबाज अच्छा कर रहे थे। सच पूछो तो मुझे भी प्रेरणा उन्हीं से मिल रही थी। सौराष्ट्र की कप्तानी करने ने खेल पर मेरा फोकस बनाए रखा। इधर-उधर ध्यान नहीं भटका। कप्तान के तौर पर अपने प्रदर्शन के अलावा साथियों की बेहतरी के लिए भी सोचा। वापसी के बाद तो और विनम्र हो गया हूं।
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जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की वापसी के बाद क्या उनके लिए अंतिम एकादश में जगह बनाए रखना संभव होगा। जयदेव कहते हैं, जब मैंने पहला टेस्ट खेला था तब काफी युवा था। उसके बाद रणजी ट्रॉफी में मैंने कभी अपने आपको उम्रदराज नहीं माना। अभी 31 का ही तो हूं। अभी तीन-चार साल अपना श्रेष्ठ दे सकता हूं। जयदेव ने कहा कि मुझे इसलिए मौका मिला क्योंकि प्रबंधन ऐसा समझता था कि इस पिच के लिए मेरा चयन सही रहेगा। हालात कुछ-कुछ राजकोट की पिच जैसे थे। विकेट में तेजी नहीं थी। गेंद की दिशा और लंबाई पर ध्यान देना था।
कई बार किया बुलावे का इंतजार
जब उनादकट ने 2020 रणजी ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन किया तब भी उन्हें राष्ट्रीय टीम का बुलावा नहीं आया था। कई मौके ऐसे आए जब रणजी ट्रॉफी में अच्छा करने के बाद राष्ट्रीय टीम के चयन के वक्त उनके नाम पर गौर तक नहीं हुआ। बावजूद इसके उन्होंने मन छोटा नहीं किया और घरेलू स्तर पर सौराष्ट्र को एक चैंपियन टीम बनाने में लगे रहे। वह तो उस भारत ए टीम का भी हिस्सा नहीं थे जिसने टीम इंडिया की टेस्ट सीरीज से पहले बांग्लादेश का दौरा किया था। उनका धैर्य और इंतजार रंग लाया और मोहम्मद शमी के चोटिल होने के बाद उन्हें बैकअप के रूप में बुलावा आया। वीजा में देर होने के कारण वह पहले टेस्ट के लिए समय पर बांग्लादेश पहुंचने में असमर्थ रहे। कार्यवाहक कप्तान लोकेश राहुल ने उन्हें दूसरे टेस्ट में मौका दिया। उन्हें यह अवसर स्पिनर कुलदीप यादव की जगह मिला, जिन्होंने पहले टेस्ट में पांच विकेट लिए थे और मैन ऑफ द मैच बने थे।
वापसी का सपना हजार बार देखा
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट पदार्पण करने के बाद उन्होंने वर्षों तक प्रथम श्रेणी का अनुभव लिया। पाटा विकेटों के बीच दबाव के बीच बेहतर किया। पोरबंदर में जन्म जयदेव के लिए यही अनुभव मीरपुर में काम आया। उन्होंने पिछले मैच के शतकवीर जाकिर हसन को आउट किया। यह उनका टेस्ट करियर में पहला विकेट था। उनादकट का कहना है कि यह उनके करियर के यादगारपूर्ण लम्हों में से एक रहेगा। बकौल उनादकट टेस्ट विकेट हासिल करने का सपना उन्होंने 1000 बार देखा था। क्या कुलदीप की जगह शामिल किए जाने के बाद उन पर किसी किस्म का दबाव था। इस पर जयदेव ने कहा, नहीं घरेलू क्रिकेट ने इसमें मेरी मदद की। आप गेंदबाज के रूप में हमेशा एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, चाहें आपको विकेट मिले या नहीं। आप दबाव बनाकर बल्लेबाज को दुविधा में डाल सकते हो।
बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज के लिए पाटा विकेट पर लंबे स्पैल फेंकने के अनुभव ने बड़ी मदद की। उन्होंने कप्तान के तौर पर भी सौराष्ट्र के लिए बड़ी सफलता हासिल की हैं।