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देवस्थानम बोर्ड: 20 साल का सबसे सुधारात्मक कदम मानते थे त्रिवेंद्र, वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर संजोया था विकास का सपना

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 30 Nov 2021 08:05 PM IST
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सार

Char dham Devasthanam Board:  त्रिवेंद्र सरकार ने वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की थी। जब विरोध शुरू हुआ तो उन्होंने कहा कि इसमें 51 मंदिर और भी हैं, जिनमें रखरखाव की समस्या है।

Char dham Devasthanam Board: Former Cm Trivendra singh rawat wanted to devlop Devasthanam Board like Vaishno devi shrin board
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

विस्तार
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27 नवंबर 2019 को त्रिवेंद्र सरकार ने चारों धाम सहित उत्तराखंड के 51 मंदिरों के संचालन के लिए देवस्थानम बोर्ड को मंजूरी दी थी। बोर्ड बन गया। इसमें पदाधिकारी भी तैनात कर दिए गए। लेकिन विरोध भी लगातार जारी रहा। कुर्सी से हटने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को लगातार इस बोर्ड के खत्म होने का डर रहता था। इसलिए वह आखिरी समय तक यही कहते रहे कि बोर्ड का गठन पिछले 20 साल का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है।  

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त्रिवेंद्र सरकार ने वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की थी। जब विरोध शुरू हुआ तो उन्होंने कहा कि इसमें 51 मंदिर और भी हैं, जिनमें रखरखाव की समस्या है। उन्होंने यह भी कहा था कि हमें समझना होगा कि देश में तमाम जगहों पर ट्रस्ट और बोर्ड हैं। वहां गठन के बाद बड़ा परिवर्तन आया है, उसके अध्ययन की जरूरत है।

आज वह ट्रस्ट और बोर्ड विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज संचालित कर रहे हैं। तमाम छोटे-बड़े मंदिरों का रखरखाव हुआ। भविष्य की योजनाएं बनीं। इसका लाभ तीर्थयात्रियों को भी हुआ है और संबंधित ट्रस्ट को भी। जागेश्वर ट्रस्ट का उदाहरण देते हुए वह लगातार इसे पिछले 20 साल का सबसे सुधारात्मक कदम मानते थे। त्रिवेंद्र अपने बयानों में यह भी कहते रहे कि बदरी-केदारनाथ समिति में 47 मंदिर पहले से थे। इनमें से चार मंदिरों के पुजारियों ने स्वयं लिखकर दिया था कि उन्हें देवस्थानम बोर्ड में शामिल कर लिया जाए। जो समर्थन कर रहे हैं, उनका सुना नहीं जा रहा है।

सती प्रथा, बलि प्रथा पर रोक से प्रेरणा
त्रिवेंद्र लगातार यह भी कहते रहे कि वास्तव में हम परिवर्तन चाहते हैं तो हमको ये विरोध भी बर्दाश्त करना चाहिए। जब कोई बड़ा सुधार होता है तो उसका विरोध होता है। सती प्रथा, बाल विवाह व विधवा विवाह का भी विरोध हुआ। यदि हम जनता का समर्थन चाहते हैं, तो लोगों के विरोध के लिए भी हमें तैयार रहना चाहिए।

उद्योगपतियों की बोर्ड में एंट्री पर भी था विरोध

चारधाम देवस्थानम बोर्ड में जून में सरकार ने आठ नए सदस्य शामिल किए थे। इनमें तीन उद्योगपति सदस्य भी थे, जिस पर समाज के लोग विरोध कर रहे थे। दरअसल, जो आठ सदस्य बोर्ड में शामिल किए गए थे, उनमें मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी, जिंदल ग्रुप के सज्जन जिंदल, दिल्ली के महेंद्र शर्मा के नाम शामिल हैं। इसके अलावा आशुतोष डिमरी, श्रीनिवास पोश्ती, कृपाराम सेमवाल, जय प्रकाश उनियाल और गोविंद सिंह पंवार को तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से सदस्य के तौर पर शामिल किया गया था।

त्रिवेंद्र बोले-मैं तो हंस भी नहीं सकता
मंगलवार को देवस्थानम बोर्ड पर भाजपा सरकार के रोलबैक के बाद जब त्रिवेंद्र रावत से संपर्क करने की कोशिश की गई तो वह मीडिया से बचते नजर आए। एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें मीडिया कर्मियों ने घेर लिया। जब उनसे पूछना चाहा तो वह खुद बोलने लगे, मुझे पता है आप लोग क्या पूछेंगे, मैं तो आपके सामने हंस भी नहीं सकता। इतना कहकर वह आगे बढ़ गए। फिर गाड़ी में मीडिया कर्मियों ने जब दोबारा बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने मास्क हटाकर थोड़ा हंस लूं बोला और कोई जवाब दिए बिना आगे बढ़ गए।

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