Uttarakhand News: तेंदुए से अधिक बाघ के हमलों में गई इंसानी जान, 2014 से 2024 तक 68 लोगों की हुई मौत
वर्ष 2014 से 2024 तक बाघ के हमले में 68 लोगों की मौत हुई और 83 घायल हुए थे। वहीं वन विभाग ने मानव- वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाकर आठ बाघों को पकड़ा।

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बाघ और तेंदुए के इंसानों पर हमलों की बात करें तो तेंदुओं के हमलों की घटनाएं ज्यादा सुनाई देती थी, लेकिन अब स्थितियां बदली दिख रही हैं। इस साल के छह महीनों की बात करें तो राज्य में तेंदुए से ज्यादा बाघ के हमले में इंसानों की जान गई है।

वर्ष 2014 से 2024 तक बाघ और तेंदुओं के हमलों की कई घटनाएं हुईं। इसमें बाघ के हमले में 68 लोगों की मौत हुई और 83 घायल हुए थे। इसी अवधि में तेंदुए के हमले में 214 की मौत और 1006 घायल हुए। प्रदेश में इस वर्ष जनवरी से जून तक वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वन्यजीवों के हमलों में 25 लोगों की मौत हुई है और 136 घायल हुए हैं। इसमें बाघ के हमले में 10 लोगों की मृत्यु और तीन घायल हुए हैं। वहीं तेंदुए के हमलों में छह लोगों की मौत और 25 घायल हुए हैं।
सात बाघ रेस्क्यू सेंटर भेजे गए
वन विभाग ने मानव- वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाकर एक जनवरी 2024 से 30 जून 2025 तक आठ बाघों को पकड़ा है, इसमें सात को रेस्क्यू सेंटर में भेजा गया है, जबकि एक को प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया। इसके अलावा पिंजरा लगाने और ट्रैंक्यूलाइज करने, उपचार करने के लिए 25 अनुमतियां जारी की गई।
44 तेंदुओं को रेस्क्यू किया
इसी अवधि में ही तेंदुआ के लिए भी पिंजरा लगाने और ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए 124, अपरिहार्य परिस्थितियों में मारने की पांच और उपचार के लिए चार अनुमतियां जारी की गईं। इस दौरान 44 तेंदुओं को पकड़ा गया। इसमें 19 को रेस्क्यू सेंटर भेजा गया।
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मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कई स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। क्यूआरटी टीमों का गठन किया गया है। जो संवेदनशील स्थान हैं, वहां पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए भी कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। -विवेक पांडे, अपर प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव
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