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Forest Fire: उत्तराखंड में बारिश नहीं होने से सर्दियों में भी धधक रहे जंगल, मिले एक हजार से अधिक फायर अलर्ट

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Sun, 14 Jan 2024 11:46 PM IST
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सार

बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में सर्दियों के मौसम में वनाग्नि की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसका प्रमुख कारण बारिश और बर्फबारी का नहीं होना, खरपतवार को जलाना और मानव त्रुटि को बताया जा रहा है।

Forest Fire Increasing Due to lack of rain in Uttarakhand in winters
जंगल में आग - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इस वर्ष सर्दियों के मौसम में बारिश और कम बर्फबारी के कारण प्रदेश में जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ गई हैं। वन विभाग में भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग की ओर से अब तक एक हजार से अधिक फायर अलर्ट मिले हैं, जो एक चिंताजनक विषय है। इससे पर्यावरण और ग्लेशियरों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

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बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में सर्दियों के मौसम में वनाग्नि की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसका प्रमुख कारण बारिश और बर्फबारी का नहीं होना, खरपतवार को जलाना और मानव त्रुटि को बताया जा रहा है। हालांकि, बीते वर्ष इस समय तक वनाग्नि की करीब 500 ही घटनाएं सामने आईं थीं। इस बार यह आंकड़ा दोगुना पार कर गया है। वनाग्नि की घटनाओं में अब तक प्रदेशभर में करीब 150 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।
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इस वर्ष प्रदेश में पर्वतीय जिलों टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग चमोली सहित कुमाऊं के कुछ हिस्सों में जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वन विभाग की ओर से वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए 28 बिंदुओं पर एडवाइजरी भी जारी की गई है। इसके साथ ही फायर लाइन काटने के भी निर्देश दिए गए हैं।

मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि और आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि प्रदेश में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की ओर से वनाग्नि के अलर्ट मिले हैं। प्रभागों में डीएफओ और रेंज अधिकारियों की ओर से इनका भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा, कई जगह कंट्रोल बर्निंग और फायर लाइन के लिए भी आग लगाई जाती है। एफएसआई के फायर अलर्ट में ऐसी आग भी दर्ज होती है।

विभाग के मुखिया ने जारी किया अलर्ट
प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने बताया, प्रभागों के अंतर्गत स्थापित क्रू स्टेशनों, मॉडल क्रू स्टेशनों, प्रभागीय कंट्रोल रूम को सक्रिय करते हुए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, वनाग्नि प्रबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर भी जन सहयोग के लिए कहा गया है। इसके अलावा वनों को आग से बचाने के लिए समुदाय आधारित संगठनों, वन पंचायतों, महिला-युवा मंगल दलों के साथ अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी बढ़ाने के निर्देश वन प्रभागों को दिए गए हैं।

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