Dehradun: विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे बर्खास्त कर्मचारियों को पुलिस ने जबरन हटाया, दो महिलाएं बेहोश
पुलिस मंगलवार को दो बार कर्मचारियों को धरनास्थल से उठाने पहुंची थी, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के चलते वह उन्हें नहीं उठा पाई। पुलिस ने धरने पर बैठे कर्मचारियों से कहा कि बुधवार से यहां धरने पर नहीं बैठने दिया जाएगा। आज फिर धरने पर बैठने पर पुलिस ने यहां से कर्मचारियों को जबरन उठाया।
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विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे बर्खास्त कर्मचारियों को पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर जबरन हटाया। इस कार्रवाई से गुस्साए कार्मिकों व पुलिस के बीच धक्का मुक्की भी हुई। जिससे दो महिलाएं बेहोश हो गई। जिन्हें उपचार के लिए कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया। बर्खास्त कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
बुधवार को तीसरे दिन भी बर्खास्त कर्मचारी विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे थे। सुबह 11 बजे काफी संख्या में पुलिस ने धरना दे रहे कर्मचारियों को हटाने का प्रयास किया, लेकिन बर्खास्त कर्मी धरने से उठने को तैयार नहीं हुई। उनकी मांग थी कि पहले हमें न्याय दो। इसके बाद ही आंदोलन समाप्त किया जाएगा।
धरने से जबरन हटाने का कार्मिकों ने पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया। इस बीच पुलिस व कार्मिकों के बीच धक्का मुक्की हुई। पुलिस ने कर्मचारियों को वाहनों में बैठा कर सहस्त्रधारा स्थित धरना स्थल एकता विहार में छोड़ दिया। इस दौरान वहां महिला कार्मिक सरस्वती और कार्मिक की परिजन नविता देवी बेहोश हो गईं। उन्हें पुलिस ने कोरोनेशन अस्पताल पहुंचाया। प्रदर्शन करने वालों में कौशिक भैसोड़ा, भगवती सानी, धर्मेंद्र सिंह कार्की, अरविंद सिंह भंडारी, राज किशोर, हेमंत जोशी, रविंद्र सिंह रावत, ओम प्रकाश, राजीव शाह, कपिल धोनी समेत अन्य कार्मिक व परिजन शामिल थे।
एकता विहार से कोरोनेशन तक निकाली रैली
पुलिस कार्रवाई से आक्रोशित बर्खास्त कर्मियों ने एकता विहार से कोरोनेशन अस्पताल ने रैली निकाली। इस दौरान कर्मियों ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की। रैली में कार्मियों के साथ उनके परिजन भी शामिल थे। कार्मिकों का कहना है कि वे विधानसभा के बाहर ही धरना प्रदर्शन करेंगे। पुलिस व प्रशासन चाहे तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दे।
आत्मदाह करने की चेतावनी
बर्खास्त कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न्याय नहीं मिला तो विधानसभा अध्यक्ष के घर के बाहर आत्मदाह कर लेंगे। उन्हें न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा।
20 दिन की जांच में कर दीं नियुक्तियां रद्द
कर्मचारियों ने कहा कि कोटिया कमेटी की महज 20 दिन की जांच के बाद 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं, जबकि इससे पहले के कर्मचारियों को विधिक राय के नाम पर क्लीन चिट दे दी गई। उन्होंने कहा कि पांच दिन के भीतर यदि कोई सकारात्मक कार्रवाई न हुई तो इसके विरोध में आंदोलन तेज करने को बाध्य होंगे।
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अन्य विभागों में हुईं नियुक्तियों पर भी उठाया सवाल
कर्मचारियों ने अन्य विभागों में हुई नियुक्तियों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 के शासनादेश के बाद विधानसभा ही नहीं बल्कि अन्य विभागों में भी हजारों कर्मचारी तदर्थ, संविदा, नियत वेतनमान और दैनिक वेतन पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सवाल यह है कि जब विधानसभा कर्मचारियों की नियुक्तियां अवैध हैं तो अन्य विभागों में इसी तरह की नियुक्तियां कैसे वैध हो गईं।