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Uttarakhand: चमोली का प्रसिद्ध अनसूया मेला, यहां संतान प्राप्ति की मनोकामना होती है पूर्ण, जानें पीछे की कहानी

प्रमोद सेमवाल, संवाद न्यूज एजेंसी, गोपेश्वर (चमोली) Published by: रेनू सकलानी Updated Fri, 28 Nov 2025 03:12 PM IST
सार

चमोली जनपद में प्रतिवर्ष सांस्कृतिक और धार्मिक उत्साह के साथ दो दिवसीय अनसूया मेला आयोजित होता है। तीन और चार दिसंबर को लगने वाले मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

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Uttarakhand Chamoli district famous Anasuya fair, believed to fulfill the wish of having a child
अनसूया माता मंदिर - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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चमोली जनपद में यूं तो कई मेले आयोजित हाेते हैं, मगर अनसूया मेले का लोगों को वर्ष भर इंतजार रहता है। चमोली के इस प्रसिद्ध मेले में राज्य से ही नहीं बल्कि देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि अनसूया मंदिर में दर्शन पूजन से श्रद्धालुओं की संतान कामना पूरी होती है।

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प्रतिवर्ष दत्तात्रेय जयंती पर संतान दायिनी सती शिरोमणि अनसूया मंदिर में दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है। इस वर्ष तीन और चार दिसंबर को होने वाले इस मेले की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। मेले के पहले दिन दोपहर बाद बणद्वारा, देवलधार, कठूड़ और सगर गांव की ज्वाला देवी की डोली तथा मंडल व खल्ला गांव से मां अनसूया की डोली ढोल-दमाऊं की थाप पर सैकड़ों भक्तों के साथ अनसूया मंदिर पहुंचती है। पांच किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने के बाद देव डोलियों का मंदिर परिसर में अद्भुत मिलन होता है।

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मेले में रातभर आयोजित होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम
भक्तों को दर्शन देने के बाद डोलियां मंदिर के सभा मंडप में अपनी-अपनी जगहों पर विराजमान हो जाती हैं। रात को करीब नौ बजे से जगह-जगह से पहुंचे निसंतान दंपत्तियों में शामिल महिलाओं को देव डोलियों के आगे बैठा दिया जाता है। महिलाएं कुछ देर माता की स्तुति करने के बाद सो जाती हैं। स्वप्न में माता के दर्शन के बाद वो उठकर बाहर आ जाती हैं। रातभर यह सिलसिला चलता रहता है। सुबह दंपत्ति माता की डोलियों की पूजा-अर्चना करने के बाद वापस लाैट जाते हैं। अनसूया मंदिर ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष भगत सिंह बिष्ट का कहना है कि अनसूया मेले में धार्मिक और संस्कृति का भी मिलन होता है। मेले में रातभर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

ऐसे पहुंचे अनसूया मेला

गोपेश्वर नगर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर मंडल बाजार तक बस या टैक्सी से और फिर यहां से पांच किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर अनसूया मंदिर पहुंचा जा सकता है। यहां से लगभग एक किलाेमीटर दूरी पर अत्रि मुनि आश्रम है जो माता अनसूया के पति थे। अत्रि मुनि की यहां चट्टानों में गुफा स्थित है। अनसूया मंदिर परिसर में रात्रि में ठहरने के लिए धर्मशाला व मंदिर समिति की ओर से कमरों की व्यवस्था की जाती है। मेले के दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा यहां भंडारे भी आयोजित किए जाते हैं।

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रोमांचित करने वाली रहती है अमृत गंगा की परिक्रमा

अनसूया मेले में पहुंचने वाले मेलार्थी अत्रि मुनि आश्रम के पास अमृत गंगा की परिक्रमा करना नहीं भूलते हैं। यह परिक्रमा बेहद कठिन और राेमांचित करने वाली मानी जाती है। चट्टान के शीर्ष भाग से अमृत गंगा की धारा जमीन पर गिरती है। श्रद्धालु चट्टान के एक छोर से एक विशालकाय पत्थर के नीचे पेट के बल लेटकर दूसरे छोर पर पहुंचते हैं। यहां अमृत गंगा की बहती धारा की परिक्रमा होती है।

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