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Uttarakhand: पौड़ी में पांच वर्षों में गुलदार ने ले ली 27 की जान, हमले में 105 घायल, इस साल पांच की हुई मौत

मुकेश चंद्र आर्य, संवाद न्यूज एजेंसी, पौड़ी Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 10 Dec 2025 01:55 PM IST
सार

पौड़ी रेंज नागदेव के अंतर्गत गुलदार प्रभावित क्षेत्र गजल्ड, कोटी व डोभाल ढांडरी में चार शूटराें को तैनात किया गया है। वहीं रुद्रप्रयाग में बढ़ रहे गुलदार, भालू व अन्य जंगली जानवरों की सक्रियता व हिंसक गतिविधियों के कारण जिला प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयी छात्र-छात्राओं के लिए निशुल्क वाहन सुविधा की व्यवस्था की है।

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Wildlife terror in Uttarakhand leopards killed 27 people and injured 105 in last five years In Pauri
leopard - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पौड़ी गढ़वाल वन प्रभाग की छह रेंजों में पिछले पांच वर्षों में गुलदार ने 27 लोगों को मार डाला, जबकि 105 से अधिक लोगों को घायल कर दिया। प्रभाग के अंतर्गत 2022 में सर्वाधिक सात की मौत और 2021 में सबसे अधिक 25 लोग घायल हुए। मानव - वन्यजीव संघर्ष की सबसे कम घटना 2023 में हुई, जिसमें एक व्यक्ति ने गुलदार के हमले में जान गंवाई।

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गढ़वाल वन प्रभाग की पौड़ी रेंज नागदेव, पोखड़ा, पश्चिमी अमेली रेंज दमदेवल, पूर्वी अमेली थलीसैंण, दीवा रेंज धुमाकोट व पैठाणी रेंज में इस साल गुलदार के हमले से पांच की मौत और 25 लोग घायल हुए। विभाग के मुताबिक गुलदार के हमले में इस साल पहली मौत पूर्वी अमेली रेंज में दो जून को हुई।

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इसके अलावा 12 सितंबर व 13 नवंबर को पोखड़ा रेंज में दो और 20 नवंबर व चार दिसंबर को पौड़ी रेंज में गुलदार ने दो को मार डाला। वहीं वर्ष 2020 में चार की मौत व 12 घायल हुए। 2021 में छह मौत व 25 घायल हुए। 2022 में सात की मौत व 21 घायल, 2023- 24 में पांच की मौत और 22 घायल हुए।

रेंजों में कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा वन महकमा

गढ़वाल वन प्रभाग की छह रेंजोें में कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है। वन विभाग के अनुसार रेंजों में डिप्टी रेंजर के 12 पदों पर केवल तीन ही तैनात हैं। पूर्वी अमेली रेंज थलीसैंण में एक और पोखड़ा रेंज में दो डिप्टी रेंजर तैनात हैं। जबकि पौड़ी, पैठाणी, पश्चिमी अमेली रेंज दमदेवल और दीवा रेंज धुमाकोट में एक भी डिप्टी रेंजर नहीं है। इतना ही नहीं सभी छह रेंजों में वन दरोगा के 54 पदों के सापेक्ष केवल 36 और वन आरक्षी के 89 पदों पर 72 कर्मचारी कार्यरत हैं।

गुलदार प्रभावित तीन जगहों पर तैनात हैं चार शूटर

पौड़ी रेंज नागदेव के अंतर्गत गुलदार प्रभावित क्षेत्र गजल्ड, कोटी व डोभाल ढांडरी में चार शूटराें को तैनात किया गया है। गढ़वाल वन प्रभाग की एसडीओ आयशा बिष्ट ने बताया कि गजल्ड में दो, कोटी व डोभाल ढांडरी में एक-एक शूटर तैनात हैं। बताया कि गजल्ड गांव में गुलदार दिखाई दे रहा है, लेकिन शूटरों की रेंज में नहीं आ रहा।

प्रभावित क्षेत्रों में गश्त और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कर्मचारियों की कमी को देखते हुए प्रशासन से 15 कर्मचारियों की मांग की है। साथ ही प्रभावित गांवों में भी 15-15 लोगों को मानदेय के आधार पर गश्त में शामिल करने जा रहा है। -अभिमन्यु सिंह, डीएफओ गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी

गुलदार को मारने के लिए दो शूटर तैनात करने के आदेश
मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने सोमवार को सभी विभागीय अफसरों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक रेंज स्तर पर नियमित रूप से लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए। वहीं प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) रंजन कुमार मिश्र ने गुलदार प्रभावित गजल्ड गांव में दो निजी शूटरों को तैनात करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को क्या करें-क्या न करें को लेकर भी जागरूकता सामग्री वितरित करने को कहा। रेंज और वन पंचायत स्तर पर व्हाट्सएप समूहों के साथ-साथ विभाग को सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग वन्यजीव गतिविधियों से संबंधित सूचनाओं के प्रचार प्रसार के निर्देश दिए। उन्होंने लोनिवि, जिला पंचायत और नगर पालिका व नगर निकाय संयुक्त रूप से अपने क्षेत्रों में झाड़ी कटान का कार्य शुरू करने को कहा। बैठक में डीएम स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में पशुपालकों को नियमित चारा मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही सुरक्षा के दृष्टिगत विद्यालय व आंगनबाडि़यों का समय बदला गया है।
 

महिला का नहीं लगा सुराग पुलिस भी खोजबीन में जुटी

संवाद न्यूज एजेंसीथराली। त्रिकोट गांव से लापता आशा कार्यकर्ता हेमा देवी का दूसरे दिन भी कोई सुराग नहीं मिल पाया है। वन विभाग, पुलिस और ग्रामीणों ने लगातार दूसरे दिन आसपास के जंगलों में सर्च अभियान चलाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। महिला रविवार तड़के करीब चार बजे लापता हुई थी। प्रारंभिक रूप से ग्रामीणों ने इसे जंगली जानवरों के हमले का मामला माना, जिसके बाद वन विभाग व ग्रामीणों ने जांच शुरू की।थानाध्यक्ष विनोद चौरसिया के अनुसार संभावना है कि गुलदार कभी-कभी शव को दूर तक ले जा सकता है, हालांकि पुलिस अन्य एंगल से भी जांच कर रही है। महिला के मोबाइल की सीडीआर जांच के लिए भेजी गई है और ड्रोन कैमरे से भी सर्च अभियान चलाया जा रहा है।वहीं वन क्षेत्राधिकारी मनोज देवराड़ी ने कहा कि घटना में जंगली जानवर का हमला होने की आशंका कम है, क्योंकि यदि गुलदार या भालू ने हमला किया होता तो शव, कपड़े या खेतों में घसीटने के निशान मिलते। केवल घर के पास से करीब 10 मीटर दूरी तक कुछ खून जैसे निशान मिले हैं, जिन पर भी संशय है। फिलहाल वन विभाग की टीम के साथ 100 से अधिक ग्रामीणों द्वारा सर्च अभियान जारी है।

रुद्रप्रयाग जनपद में छात्र-छात्राओं के लिए शुरू की निशुल्क वाहन सुविधा

जनपद में बढ़ रहे गुलदार, भालू व अन्य जंगली जानवरों की सक्रियता व हिंसक गतिविधियों के कारण जिला प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयी छात्र-छात्राओं के लिए निशुल्क वाहन सुविधा की व्यवस्था की है। प्रशासन ने 28 गांवों के लगभग 200 विद्यार्थियों के लिए 13 वाहनों की व्यवस्था शुरू की है।

जंगली जानवरों की बढ़ती आक्रमकता से अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालय भेजने में असुरक्षित महसूस कर रहे थे। इस कारण जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों के आग्रह पर छात्र सुरक्षा को ध्यान में रखकर मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी किया है। जिलाधिकारी ने कहा है कि उन मार्गों और क्षेत्रों को चिह्नित किया जाए जहां छात्र-छात्राएं अधिक दूरी पैदल तय कर जंगलों व झाड़ीदार क्षेत्रों से होकर विद्यालय जाते हैं। उन्होंने स्थिति सामान्य होने तक ऐसे संवेदनशील मार्गों पर विद्यार्थियों के लिए निशुल्क वाहन सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

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मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रमेंद्र बिष्ट ने बताया कि चंद्रनगर क्षेत्र के बाड़व व कांदी, गोर्ति व बुढना इंटर कॉलेज में पालाकुराली क्षेत्र व जीआईसी चोपड़ा क्षेत्र के लगभग आठ गांवों के विद्यार्थियों के लिए उक्त प्रस्ताव दिया गया था। इन सभी के लिए वाहन सुविधा की मांग की गई थी। प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर 28 गांवों के लगभग 200 छात्र-छात्राओं के लिए 13 वाहनों की व्यवस्था की गई है। सोमवार से विद्यालय स्तर पर प्रधानाचार्यों व जनप्रतिनिधियों के सहयोग से यह व्यवस्था प्रारंभ करा दी गई है। इस सुविधा के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई है।

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