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Delhi: 55 KM लंबा रिंग रोड छह हिस्सों में बांटकर बनेगा आधुनिक, राह होगी आसान; छह माह में तैयार होगी डीपीआर
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर
Updated Mon, 03 Nov 2025 05:43 AM IST
सार
पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि रिंग रोड यानी महात्मा गांधी रोड रोड सिर्फ एक परिवहन मार्ग नहीं बल्कि दिल्ली की रीढ़ है। हमारा लक्ष्य इसे अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और तेज बनाना है। यह परियोजना उस नई दिल्ली की दिशा में कदम है जो आधुनिक इंजीनियरिंग और डेटा-आधारित योजना से संचालित होगी।
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रिंग रोड में लगा जाम
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजधानी के 55 किलोमीटर लंबे रिंग रोड का सुधार कार्य छह हिस्सों में बांटकर किया जाएगा। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की तरफ से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए निजी एजेंसी को नियुक्त कर दिया गया है। छह माह में डीपीआर तैयार हो जाएगी। इसके बाद योजना पर काम शुरू होगा। रिंग रोड उत्तर, दक्षिण और मध्य दिल्ली को जोड़ता है और रोजाना लाखों वाहनों का बोझ उठाता है।
परियोजना का उद्देश्य केवल सड़क चौड़ीकरण या मरम्मत नहीं है बल्कि पूरे रिंग रोड को आधुनिक और सतत परिवहन कॉरिडोर में बदलना है। इसमें एलिवेटेड रोड, ग्रेड सेपरेटर, अंडरपास, पैदल-पथ और साइकिल ट्रैक जैसी आधुनिक संरचनाएं शामिल होंगी ताकि दिल्ली की सड़कों पर जाम और प्रदूषण दोनों में कमी लाई जा सके। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, यह परियोजना राजधानी के दीर्घकालिक रोडमैप 2040 का हिस्सा है जिसके तहत दिल्ली को जाम फ्री, प्रदूषण मुक्त और डाटा संचालित शहर के रूप में विकसित करने की योजना है। परियोजना पूर्ण होने के बाद दिल्लीवासियों को जाम से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अनुमान है कि यात्रा समय में 30 से 40 प्रतिशत की कमी, ईंधन खपत में गिरावट और प्रदूषण के स्तर में सुधार देखने को मिलेगा। बेहतर संपर्क से औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
तीन चरणों में तैयार होगी डीपीआर
अमेरिकी कंपनी एईकॉम को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कंपनी 24 सप्ताह में परियोजना की रूपरेखा पूरी करेगी जिसमें निम्न तीन चरण शामिल हैं। एक से छह सप्ताह में सर्वेक्षण, स्थलाकृतिक मानचित्रण और मौजूदा ट्रैफिक डाटा का विश्लेषण होगा। 7 से 12 सप्ताह में पर्यावरणीय मूल्यांकन, भूमि सर्वेक्षण और भू-तकनीकी जांच की जाएगी। वहीं, तीसरे चरण में 13 से 24 सप्ताह के दौरान ट्रैफिक मॉडलिंग, अवधारणात्मक डिजाइन और डीपीआर को अंतिम रूप दिया जाएगा। डीपीआर में 3डी मॉडलिंग, लागत अनुमान, पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन और चरणबद्ध निर्माण रणनीति शामिल होगी। परियोजना में हरित और सतत विकास पर विशेष जोर दिया जाएगा। रिपोर्ट में ग्रीन कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, सौर ऊर्जा आधारित स्ट्रीट लाइट्स, साइकिल ट्रैक और पैदल अनुकूल डिजाइन जैसे तत्व शामिल होंगे।
रिंग रोड को स्मार्ट और सुरक्षित बनाना लक्ष्य : प्रवेश
पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि रिंग रोड यानी महात्मा गांधी रोड रोड सिर्फ एक परिवहन मार्ग नहीं बल्कि दिल्ली की रीढ़ है। हमारा लक्ष्य इसे अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और तेज बनाना है। यह परियोजना उस नई दिल्ली की दिशा में कदम है जो आधुनिक इंजीनियरिंग और डेटा-आधारित योजना से संचालित होगी। हम सिर्फ सड़कें नहीं बना रहे एक स्मार्ट दिल्ली बना रहे हैं जहां हर फ्लाईओवर, हर चौराहा और हर ट्रैफिक सिग्नल नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाएगा। हमारा उद्देश्य सिर्फ अस्थायी सुधार नहीं बल्कि दीर्घकालिक समाधान है। सर्वेक्षण से लेकर क्रियान्वयन तक हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
क्षेत्रवार जरूरतों के हिसाब से होगा सुधार
रिंग रोड को छह हिस्सों में बांटकर चरणबद्ध तरीके से पुनर्विकसित किया जाएगा ताकि प्रत्येक खंड का सुधार क्षेत्रवार जरूरतों के हिसाब से किया जा सके।
परियोजना का उद्देश्य केवल सड़क चौड़ीकरण या मरम्मत नहीं है बल्कि पूरे रिंग रोड को आधुनिक और सतत परिवहन कॉरिडोर में बदलना है। इसमें एलिवेटेड रोड, ग्रेड सेपरेटर, अंडरपास, पैदल-पथ और साइकिल ट्रैक जैसी आधुनिक संरचनाएं शामिल होंगी ताकि दिल्ली की सड़कों पर जाम और प्रदूषण दोनों में कमी लाई जा सके। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, यह परियोजना राजधानी के दीर्घकालिक रोडमैप 2040 का हिस्सा है जिसके तहत दिल्ली को जाम फ्री, प्रदूषण मुक्त और डाटा संचालित शहर के रूप में विकसित करने की योजना है। परियोजना पूर्ण होने के बाद दिल्लीवासियों को जाम से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अनुमान है कि यात्रा समय में 30 से 40 प्रतिशत की कमी, ईंधन खपत में गिरावट और प्रदूषण के स्तर में सुधार देखने को मिलेगा। बेहतर संपर्क से औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
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तीन चरणों में तैयार होगी डीपीआर
अमेरिकी कंपनी एईकॉम को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कंपनी 24 सप्ताह में परियोजना की रूपरेखा पूरी करेगी जिसमें निम्न तीन चरण शामिल हैं। एक से छह सप्ताह में सर्वेक्षण, स्थलाकृतिक मानचित्रण और मौजूदा ट्रैफिक डाटा का विश्लेषण होगा। 7 से 12 सप्ताह में पर्यावरणीय मूल्यांकन, भूमि सर्वेक्षण और भू-तकनीकी जांच की जाएगी। वहीं, तीसरे चरण में 13 से 24 सप्ताह के दौरान ट्रैफिक मॉडलिंग, अवधारणात्मक डिजाइन और डीपीआर को अंतिम रूप दिया जाएगा। डीपीआर में 3डी मॉडलिंग, लागत अनुमान, पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन और चरणबद्ध निर्माण रणनीति शामिल होगी। परियोजना में हरित और सतत विकास पर विशेष जोर दिया जाएगा। रिपोर्ट में ग्रीन कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, सौर ऊर्जा आधारित स्ट्रीट लाइट्स, साइकिल ट्रैक और पैदल अनुकूल डिजाइन जैसे तत्व शामिल होंगे।
रिंग रोड को स्मार्ट और सुरक्षित बनाना लक्ष्य : प्रवेश
पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि रिंग रोड यानी महात्मा गांधी रोड रोड सिर्फ एक परिवहन मार्ग नहीं बल्कि दिल्ली की रीढ़ है। हमारा लक्ष्य इसे अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और तेज बनाना है। यह परियोजना उस नई दिल्ली की दिशा में कदम है जो आधुनिक इंजीनियरिंग और डेटा-आधारित योजना से संचालित होगी। हम सिर्फ सड़कें नहीं बना रहे एक स्मार्ट दिल्ली बना रहे हैं जहां हर फ्लाईओवर, हर चौराहा और हर ट्रैफिक सिग्नल नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाएगा। हमारा उद्देश्य सिर्फ अस्थायी सुधार नहीं बल्कि दीर्घकालिक समाधान है। सर्वेक्षण से लेकर क्रियान्वयन तक हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
क्षेत्रवार जरूरतों के हिसाब से होगा सुधार
रिंग रोड को छह हिस्सों में बांटकर चरणबद्ध तरीके से पुनर्विकसित किया जाएगा ताकि प्रत्येक खंड का सुधार क्षेत्रवार जरूरतों के हिसाब से किया जा सके।
- आजादपुर फ्लाईओवर (मंडी) – हनुमान मंदिर (आईएसबीटी): 9.5 किमी
- चंदगी राम अखाड़ा – मजनू का टीला: 2.5 किमी
- हनुमान मंदिर (आईएसबीटी) – डीएनडी फ्लाईओवर: 11.5 किमी
- डीएनडी फ्लाईओवर – मोती बाग मेट्रो स्टेशन: 10.5 किमी
- मोती बाग मेट्रो स्टेशन – राजौरी गार्डन: 10 किमी
- राजौरी गार्डन – पैसिफिक मॉल, पीतमपुरा – आजादपुर फ्लाईओवर: 13.5 किमी