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खुलासा: 8वीं फेल यू-ट्यूब से दवाइयां बनाना सीख बना रहे थे नकली दवा, लागत डेढ़ रुपये; बाजार में मिलती थी 100 की

शुजात आलम, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विकास कुमार Updated Mon, 15 Dec 2025 06:17 AM IST
सार

महज डेढ़ रुपये की लागत से दवाइयों की ट्यूब तैयार हो जाती थी। आरोपी होलसेलर को 15 रुपये और मार्केट में 70 रुपये से 100 रुपये की बेचते थे। यह गोरखधंधा पिछले छह साल से चल रहा था। आरोपियों ने बताया कि दवाइयां बनाने के लिए मशीनें आनंद पर्वत से खरीदी थीं। पुलिस की छापेमारी जारी, जल्द ही बाकी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

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8th grader failed learned to make medicines from YouTube and making fake medicines
पकड़े गए दोनों आरोपी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नकली दवाइयां बनाकर देशभर में बेचने वाले दोनों ही आरोपी आठवीं कक्षा फेल हैं। पुलिस की पूछताछ में आरोपी गौरव भगत ने बताया कि उसने यू-ट्यूब से नकली बेटनोवेट-सी और क्लोप-जी दवाइयां बनाना सीखा। इसके बाद उसने आनंद पर्वत इलाके से मशीनें खरीदीं। बाद में उसने विशाल गुप्ता के साथ मिलकर अपने गांव में ही फैक्टरी लगा ली।

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358 किलोग्राम तैयार माल बरामद
आरोपी चुपचाप पिछले करीब छह साल से नकली दवाइयां बनाकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे थे। दवाइयां बनाने के लिए कच्चा माल अलग-अलग राज्यों के सप्लायर उपलब्ध करा देते थे। इसकी मदद से आरोपी बड़ी आसानी से ट्यूब में भरकर नकली क्रीम बना रहे थे। पुलिस ने इनके पास से 358 किलोग्राम तैयार माल भी बरामद किया है।

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बेटनोवेट-सी और क्लोप-जी बनाने में आती थी महज डेढ़ से दो रुपये की लागत
पुलिस की पूछताछ में गौरव भगत ने बताया कि बेटनोवेट-सी और क्लोप-जी को बनाने में उनको महज डेढ़ से दो रुपये की लागत आती थी। इसके बाद आगे होलसेलर को 15 रुपये में बेच दिया जाता था। होलसेलर अपने नेटवर्क के जरिए उसको अच्छे मुनाफे पर बेचता था। मार्केट में आते-आते बेटनोवेट-सी और क्लोप-जी की कीमत 70 से 100 रुपये हो जाती थी।

यू-ट्यूब से सीखा दवाई बनाना
पूछताछ के दौरान गौरव और विशाल ने बताया कि पहले यह खुद किसी डिस्ट्रीब्यूटर के पास दवाइयों की सप्लाई करते थे। इस दौरान इनके किसी जानकार ने इनको नकली दवाइयां बनाने का आइडिया दिया। इसके बाद गौरव ने यू-ट्यूब पर सर्च किया। वहां पर दवाई बनाने का पूरा तरीका बताया गया था। वहां से सीखकर दोनों इस गोरखधंधे में उतर गए।

आरोपी बना चुके काफी प्रॉपर्टी
छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला है कि नकली दवाइयों का धंधा करने के बाद इन लोगों ने ठीक-ठाक प्रॉपर्टी बना ली है। पुलिस केस में इनकी प्रॉपर्टी को अटैच कर सकती है। मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों से लगातार पूछताछ जारी है। कुछ और लोगों की जल्द ही गिरफ्तारी और होगी।

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