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    त्योहार और व्यापार: छठ पर देशभर में कारोबार 50 हजार करोड़ के पार, स्वदेशी ने बढ़ाई स्थानीय बाजारों की रौनक
 
            	    अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली             
                              Published by: दुष्यंत शर्मा       
                        
       Updated Wed, 29 Oct 2025 03:23 AM IST
        
       
            सार 
            
            
        
                                    
                देशभर में छठ पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अध्ययन में यह दावा किया गया है।
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                        सांकेतिक तस्वीर।
                                
    
        
    
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विस्तार
छठ महापर्व ने इस बार देश में आस्था, परंपरा और आर्थिक गतिविधियों का अभूतपूर्व संगम रचा। देशभर में छठ पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अध्ययन में यह दावा किया गया है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी धूमधाम से छठ मनाई।
 
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के आह्वान और जीएसटी दरों में कटौती से उत्सव की खरीदारी बढ़ोत्तरी हुई। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली में लगभग 8 हजार करोड़, बिहार में 15 हजार करोड़ और झारखंड में 5 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ।
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            छठ पर्व से जुड़े उत्पादों केला, गन्ना, नारियल, मौसमी फल, गुड़, चावल और अनाज की भारी मांग रही। पूजा सामग्री में मिट्टी के दीये, बांस और केले की टोकरी, पत्तल, फूल और पैकिंग सामग्री की बिक्री में भी कई गुना बढ़ोतरी हुई। प्रसाद में ठेकुआ और पारंपरिक मिठाइयों के निर्माण ने लाखों परिवारों को रोजगार दिया।
स्वदेशी छठ अभियान से भी बाजार को मिला बल
प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि “स्वदेशी छठ अभियान” से भी बाजारों को बल मिला। इसके तहत स्थानीय कारीगरों, मिट्टी के बर्तन बनाने वालों, बाँस-टोकरी निर्माताओं और गुड़ उत्पादकों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इससे ग्रामीण और हस्तशिल्प आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिला। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों में भी प्रवासी समुदायों ने स्थानीय बाजारों में उत्सव की रौनक बढ़ाई।