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Delhi Pollution: प्रदूषण से वायरल हुआ घातक, बच्चों में बढ़ी एलर्जी... सांस लेने में दिक्कत; ऐसे करें बचाव

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Sat, 04 Nov 2023 06:55 PM IST
सार

दिल्ली में फैल रहे प्रदूषण की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं।  प्रदूषण का वायरल अब घातक हो चुका है। छह साल तक के बच्चे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर के हर घर में वायरल के लक्षण हैं।

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children are falling prey to virus Due to pollution in Delhi NCR
प्रदूषण की चपेट में बच्चे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मौसमी बदलाव के बीच दिल्ली-एनसीआर में बढ़े प्रदूषण ने वायरल को और घातक बना दिया। मौजूदा समय में वायरल के लक्षण हर घर में हैं और इसके स्ट्रेन में आए बदलाव के कारण यह लंबे समय तक परेशान कर रहा है। ऐसे में अचानक खतरनाक हुए प्रदूषण ने वायरल की समस्या को दोगुना कर दिया। बच्चे वायरल के साथ एलर्जी का भी शिकार हो रहे हैं। इन बच्चों में सांस लेने में तकलीफ होने के साथ गले में खराश, शरीर में दर्द, बुखार जैसी परेशानी देखने को मिल रही है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में वायरल काफी प्रभावी होता है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जो रोग को और बढ़ा देती है। यहीं कारण है कि अस्पताल में ऐसे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि रोजाना ऐसे बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। छह साल तक के बच्चों में सांस लेने की दिक्कत सहित अन्य परेशानी देखने को मिल रही है। वहीं आठ से 11 साल तक के बच्चों में बुखार, सिर दर्द, गले में खराश जैसी परेशानी हैं। उनका कहना है कि बच्चा जितना छोटा हैं समस्या उतनी ही गंभीर हो रही है।

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छोटे बच्चे में पता नहीं चलती समस्या
ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. चेतन ने कहा कि जिन बच्चों को पहले से न्यूमोनिया, छाती में दिक्कत की समस्या है। उन्हें प्रदूषण ज्यादा परेशान कर रहा है। इन बच्चों को प्रदूषित वातावरण से दूर रखने की जरूरत है। यह बच्चे ठीक होने के बाद भी बार-बार बीमार हो सकते हैं। इनमें सामान्य वायरल भी काफी गंभीर हो जाता है।


इनके रोगी ज्यादा ध्यान
- न्यूमोनिया के मरीज
- टीबी, दमा, अस्थमा के मरीज
- जिनके परिवार में श्वास रोग हो

कैसे करें पहचान
दो साल तक के बच्चे - पसली तेज जलना
छह साल तक के बच्चे - एलर्जी, बुखार, तेज खांसी, गले में दर्द
12 साल तक के बच्चे - बुखार, खांसी, गले में दर्द, आंखों में जलन

क्या करें
- बच्चों को बाहर खेलने न भेजे
- सुबह और शाम के समय बाहर दौड़ने से बचें
- घरों में प्रदूषण को आने से रोकें

छोटे बच्चों को दिक्कत क्यों
बड़ों के मुकाबले छोटे बच्चों का लंग्स काफी कमजोर होता है। यह प्रदूषक तत्व को छान नहीं पाते और लंग्स के टिशु से होते हुए आसानी से खून व ऑक्सीजन में मिलकर दिल, दिमाग तक पहुंच जाते हैं। इन प्रदूषक तत्वों के कारण बच्चों में परेशानी होने की समस्या काफी ज्यादा रहती है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़े लोगों के मुकाबले काफी कम होती है और यह इन विषैले तत्व से लड़ नहीं पाते।

कम उम्र में प्रदूषण की मार बना देगी विकलांग
विशेषज्ञों का कहना है कि जितनी कम उम्र से बच्चा प्रदूषक तत्वों को शरीर में पहुंचाता है। उस बच्चों में मानसिक व न्यूरो समस्या होने की आशंका उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है। इन बच्चों में काम करने की क्षमता भी काफी कम हो जाती है।

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