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CSIR Startup Conclave: मधुमेह, फैटी लीवर और किडनी स्टोन के लिए बने हर्बल फार्मूले; मरीजों तक हो रही सीधी पहुंच
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 18 Sep 2025 02:12 AM IST
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- फोटो : Freepik.com
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भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के मेल से उपचार को नई दिशा मिल रही है। सीएसआईआर के दो दिवसीय स्टार्टअप कॉन्क्लेव ने इस सहयोग को नए सिरे से रेखांकित किया। यहां पहली बार एक ही मंच पर शोध संस्थानों, स्टार्टअप्स और नीति-निर्माताओं ने यह दिखाया कि कैसे हर्बल फार्मूलों से बनी सुरक्षित दवाएं प्रयोगशाला से निकलकर सीधे मरीजों तक पहुंच रही हैं।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, यह ‘प्रयोगशाला से जनमानस तक’ की अवधारणा का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया कि वे हर्बल दवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाएं।
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कॉन्क्लेव में सबसे ज्यादा चर्चा बीजीआर-34 पर रही। इसे लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान (एनबीआरआई) और सीमैप ने छह प्रमुख जड़ी-बूटियों दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मंजिष्ठा और मेथी से विकसित किया है। यह दवा न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद करती है बल्कि लंबे समय में डायबिटीज रिवर्सल की दिशा में भी कारगर मानी जा रही है।
डॉ. संचित शर्मा ने कहा, दुनिया अब केवल डायबिटीज कंट्रोल नहीं बल्कि डायबिटीज रिवर्सल पर जोर दे रही है। बीजीआर-34 जैसे भारतीय फार्मूले आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का मेल हैं और यह भविष्य में डायबिटीज-मुक्त समाज का आधार बन सकते हैं।
इस काॅनक्लेव की उपलब्धि यह दिखाना रही कि सरकारी प्रयोगशालाओं में विकसित तकनीक कैसे स्टार्टअप और उद्योग जगत की मदद से बाजार तक पहुंच रही है। एनबीआरआई और सीमैप जैसी संस्थाएं औषधीय पौधों की उन्नत किस्मों पर भी शोध कर रही हैं। इससे किसानों को बेहतर उत्पादन और अधिक आय का अवसर मिलेगा। वहीं, मरीजों को सस्ती और दुष्प्रभाव रहित दवाएं मिलेंगी।