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Cyber Crime: चीन से हो रही थी ठगी, दिल्ली और फैजाबाद से दो गिरफ्तार; अंतरराष्ट्रीय साइबर सिंडिकेट का खुलासा

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 08 Dec 2025 06:17 AM IST
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Cyber Crime: Fraud was being carried out from China, two arrested from Delhi and Faizabad
demo - फोटो : Freepik
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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के सिंडिकेट का खुलासा किया है, जिसके तार चीन से जुड़े हैं। आरोपी फर्जी निवेश स्कीम के जरिये भोले-भाले लोगों को ठगते थे। पुलिस ने दिल्ली से लक्ष्य और यूपी के फैजाबाद से शुभम सिंह को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने दिल्ली में एक बुजुर्ग से निवेश के नाम पर 33.10 लाख रुपये की ठगे थे। दोनों की गिरफ्तारी के बाद ठगी के इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा हुआ।  

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अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम ने बताया कि जांच में पता चला कि ठगी की कुछ रकम फर्जी कंपनी बेलक्रेस्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खातों में कई लेयर्स में ट्रांसफर की गई। इस कंपनी के निदेशक शुभम सिंह और लक्ष्य थे। इन खातों में कुल 10 लाख 38 हजार रुपये ट्रांसफर किए जाने का पता चला। टीम ने लक्ष्य को 19 नवंबर को दिल्ली से गिरफ्तार किया। 
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पूछताछ में उसने कबूला कि उसने महज 20 हजार रुपये महीने के बदले फर्जी कंपनी बनवाई, बैंक अकाउंट खोले और बैंक किट और सिमकार्ड अपने साथी शुभम और अन्य को सौंपे। लक्ष्य की गिरफ्तारी का पता चलते ही मुख्य आरोपी शुभम भाग निकाला। कई जगह दबिश देने के बाद शुभम को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से लैपटॉप, दो मोबाइल फोन, पांच चेकबुक और छह डेबिट कार्ड बरामद हुए। उसने बताया कि वह चीन में बैठे हैंडलर के संपर्क में था। 

चीन में बैठे विदेशी उसे कई फर्जी कंपनियों के तीसरी और चौथी लेयर के अकाउंट मुहैया कराते थे। लक्ष्य की गिरफ्तारी के बाद शुभम ने बेलक्रेस्ट के चेकबुक नष्ट कर दिया और रजिस्टर्ड सिमकार्ड को भी तोड़ दिया। बाद में पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर सिमकार्ड बरामद कर लिया। पुलिस इससे पूछताछ कर रही है।

कूल-पे नेटवर्क से जुड़े तार
शुभम ने बताया कि वह चीनी नेटवर्क कूल-पे से जुड़ा था। कूल-पे पहले लेयर के खातों से पैसे बेलक्रेस्ट नामक कंपनी के खाते में ट्रांसफर करता था। इसके बाद ठगी की रकम को कई लेयर के बैंक खातों में घुमाया जाता था। इन पैसों से निजी कंपनियों के नाम से क्रिप्टो करेंसी खरीदी जाती थी। बाद में यह क्रिप्टो करेंसी दोबारा कूल-पे को बेच दी जाती थी। 

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