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Delhi: कोस्ट गार्ड में रैंक के आधार पर अलग रिटायरमेंट उम्र असंवैधानिक, हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: अनुज कुमार
Updated Tue, 25 Nov 2025 07:42 AM IST
सार
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय तटरक्षक बल के उन नियमों को असंवैधानिक घोषित किया। जिनमें कमांडेंट एवं नीचे के अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु 57 और ऊपर के अधिकारियों की 60 वर्ष थी। कोर्ट ने सभी रैंकों के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष निर्धारित करते हुए केंद्र सरकार के "युवा प्रोफाइल" वाले तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया।
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दिल्ली हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) के सामान्य नियम-1986 के उन प्रावधानों को असांविधानिक घोषित कर दिया, जिनमें रैंक के आधार पर अलग-अलग सेवानिवृत्ति आयु निर्धारित की गई है। कोर्ट ने कहा, कमांडेंट एवं उससे नीचे के रैंक के अधिकारियों को 57 वर्ष में जबकि उससे ऊपर के अधिकारियों को 60 वर्ष में रिटायर करने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद-16 (सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता) का स्पष्ट उल्लंघन है।
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जस्टिस सी हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने मामले में कई याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कोस्ट गार्ड (सामान्य) नियम, 1986 के नियम 20(1) और 20(2) को आंशिक रूप से रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कमांडेंट एवं उससे नीचे के रैंक के अधिकारियों तथा भर्ती कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 57 वर्ष निर्धारित करने वाले प्रावधान संविधान की कसौटी पर खरे नहीं उतरते, इसलिए इन्हें निरस्त किया जाता है। अब तटरक्षक बल के सभी रैंकों के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष होगी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि एक ही सेवा में रैंक के आधार पर भेदभावपूर्ण सेवानिवृत्ति आयु रखना पूरी तरह मनमाना और असंवैधानिक है।
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केंद्र का तर्क, युवा समुद्री प्रोफाइल रखने के लिए नियम जरूरी : केंद्र सरकार ने कोस्ट गार्ड नियम 1986 के नियम 20(1) और 20(2) का बचाव करते हुए कहा कि निचले रैंकों के अधिकारियों को समुद्र में अधिक ड्यूटी करनी पड़ती है, उनकी फिटनेस उसी के अनुरूप होनी चाहिए। कोस्ट गार्ड के समुद्री प्रोफाइल को युवा बनाए रखने, चिकित्सकीय फिटनेस, कमांड-कंट्रोल और कॅरिअर स्टैग्नेशन से बचने के लिए 57 वर्ष की आयु जरूरी है।
केंद्र के तर्क आश्चर्यजनक
कोर्ट ने केंद्र के इन तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया। पीठ ने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, हम सरकार की ओर से दिए गए कारणों से आश्चर्यचकित हैं। ये न केवल अप्रत्याशित हैं बल्कि कण मात्र भी अनुभवजन्य आंकड़ों पर आधारित नहीं हैं। अस्पष्ट अभिव्यक्तियां और अतिशयोक्तिपूर्ण धारणाएं इस्तेमाल की गई हैं, मानो किसी भी कीमत पर अलग-अलग सेवानिवृत्ति आयु को जायज ठहराना ही इनका उद्देश्य हो। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि समुद्र में ड्यूटी केवल कमांडेंट से नीचे के अधिकारी ही नहीं करते, बल्कि उच्च रैंकों के अधिकारी भी समुद्री जहाजों पर तैनात होते हैं और उनसे भी उतनी ही शारीरिक फिटनेस की अपेक्षा की जाती है। ऐसे में सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष ही होगी।