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Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला-एचआईवी संक्रमित भी दिव्यांग... नौकरी से नहीं हटा सकते, भेदभाव की इजाजत नहीं
नितिन राजपूत, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 19 Dec 2025 03:52 AM IST
सार
अदालत ने कहा कि एचआईवी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आते हैं और उन्हें केवल एचआईवी पॉजिटिव होने के आधार पर सरकारी सेवा से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
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Delhi High Court
- फोटो : ANI
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विस्तार
दिल्ली हाई कोर्ट ने एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के अधिकारों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि एचआईवी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आते हैं और उन्हें केवल एचआईवी पॉजिटिव होने के आधार पर सरकारी सेवा से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक कांस्टेबल को एचआईवी संक्रमण के आधार पर सेवा से बर्खास्त किए जाने के आदेश को रद्द करते हुए बल को उन्हें उचित सुविधा देने का निर्देश दिया है।
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न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने कहा कि एचआईवी संक्रमित होने से व्यक्ति को लंबे समय तक शारीरिक हानि होती है, जो समाज में पूर्ण और प्रभावी भागीदारी में बाधा डालती है। इसलिए, ऐसे व्यक्ति दिव्यांग माने जाएंगे। पीठ ने कहा कि केवल एचआईवी संक्रमित होने से किसी को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता, जब तक एचआईवी एंड एड्स एक्ट, 2017 की कड़ी शर्तें पूरी न हों।
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याचिकाकर्ता को अप्रैल 2017 में बीएसएफ में कांस्टेबल (जीडी) के पद पर नियुक्त हुआ था। कुछ महीनों बाद उन्हें एचआईवी-1 संक्रमित पाया गया और पेट की टीबी का इलाज चला। मेडिकल री-एग्जामिनेशन के बाद बीएसएफ ने उसे स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर अप्रैल, 2019 में सेवा से बर्खास्त कर दिया।
साथ ही, अपील भी अक्तूबर, 2020 में खारिज हो गई। अदालत ने बीएसएफ के आदेशों को आरपीडब्ल्यूडी एक्ट और एचआईवी एक्ट का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया। पीठ ने कहा कि एचआईवी एक्ट एक्ट की तरह ही आरपीडब्ल्यूडी एक्ट किसी भी सरकारी संस्थान को रोजगार से जुड़े किसी भी मामले में किसी भी दिव्यांग व्यक्ति के साथ भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता है।