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MCD स्थायी समिति चुनाव: आप-BJP में होगी कांटे की टक्कर...कांग्रेस के सामने एक तरफ कुआं, दूसरी ओर खाई की स्थिति
विनोद डबास, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 06 Aug 2024 12:23 PM IST
सार
एमसीडी स्थायी समिति चुनाव में आप और भाजपा में कांटे की टक्कर होगी। कांग्रेस के सामने एक तरफ कुआं, दूसरी ओर खाई की स्थिति बनी है। 18 सदस्यीय स्थायी समिति में 12 वार्ड समितियों से होते हैं, वार्ड समितियों में 5-5 पर आप और भाजपा का बहुमत है।
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Delhi MCD Standing Committee Election
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
एमसीडी के मनोनीत पार्षदों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद स्थायी समिति व वार्ड समितियों के चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। इनके गठन के साथ-साथ एमसीडी का कामकाज पटरी पर लौटने की उम्मीद है। पार्षदों को अपने इलाके की समस्याओं का समाधान कराने व विकास कार्य कराने में आसानी रहेगी। इतना ही नहीं, उन्हें स्थायी समिति के अध्यक्ष के मद के साथ-साथ वार्ड समिति के अध्यक्ष के मद से भी विकास कार्य कराने के लिए राशि मिल सकेगी।
एमसीडी की स्थायी समिति के चुनाव में आम आदमी पार्टी व भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने के आसार हैं। सदस्य संख्या के हिसाब से सदन और वार्ड समितियों से स्थायी समिति में स्पष्ट बहुमत किसी पार्टी का नहीं दिख रहा है। 18 सदस्यीय स्थायी समिति में 12 वार्ड समितियों से होते हैं, जबकि छह का चुनाव एमसीडी का सदन करता है।
आंकड़ों में वार्ड समितियों का सियासी गणित उलझा हुआ है। 12 वार्ड समितियों की पांच-पांच वार्ड समितियों में भाजपा व आप का बहुमत है जबकि एक वार्ड समिति में दोनों दलों के पार्षदों की संख्या बराबर है। बीच एक वार्ड समिति में किसी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं है। इसमें बहुमत कांग्रेस के रुख से तय होगा।
उधर, लोकसभा चुनाव से पहले सदन से स्थायी समिति में चुने गए छह सदस्यों में से तीन-तीन भाजपा व आप के थे। इनका चुनाव बीते साल हुआ था। अब इस्तीफा देकर संसद पहुंचीं भाजपा की कमलजीत सहरावत का पद अब खाली है। इससे आप के तीन और भाजपा के दो सदस्य हैं। अब इसका उपचुनाव होगा। एमसीडी में सदस्य संख्या के हिसाब से यह पद आप के खाते में जाता दिख रहा है। ऐसा होने पर आप के 4 और भाजपा के दो सदस्य रहेंगे।
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एमसीडी की स्थायी समिति के चुनाव में आम आदमी पार्टी व भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने के आसार हैं। सदस्य संख्या के हिसाब से सदन और वार्ड समितियों से स्थायी समिति में स्पष्ट बहुमत किसी पार्टी का नहीं दिख रहा है। 18 सदस्यीय स्थायी समिति में 12 वार्ड समितियों से होते हैं, जबकि छह का चुनाव एमसीडी का सदन करता है।
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आंकड़ों में वार्ड समितियों का सियासी गणित उलझा हुआ है। 12 वार्ड समितियों की पांच-पांच वार्ड समितियों में भाजपा व आप का बहुमत है जबकि एक वार्ड समिति में दोनों दलों के पार्षदों की संख्या बराबर है। बीच एक वार्ड समिति में किसी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं है। इसमें बहुमत कांग्रेस के रुख से तय होगा।
उधर, लोकसभा चुनाव से पहले सदन से स्थायी समिति में चुने गए छह सदस्यों में से तीन-तीन भाजपा व आप के थे। इनका चुनाव बीते साल हुआ था। अब इस्तीफा देकर संसद पहुंचीं भाजपा की कमलजीत सहरावत का पद अब खाली है। इससे आप के तीन और भाजपा के दो सदस्य हैं। अब इसका उपचुनाव होगा। एमसीडी में सदस्य संख्या के हिसाब से यह पद आप के खाते में जाता दिख रहा है। ऐसा होने पर आप के 4 और भाजपा के दो सदस्य रहेंगे।
वार्ड समितियों में भाजपा-आप की स्थिति
एमसीडी की रोहिणी, सदर पहाड़गंज, करोल बाग, पश्चिमी व दक्षिणी वार्ड समिति में आम आदमी पार्टी को बहुमत प्राप्त है। वहीं, भाजपा काे सिविल लाइन, केशवपुरम, नजफगढ़, शाहदरा दक्षिणी व शाहदरा उत्तरी वार्ड समिति में बहुमत प्राप्त है। नरेला वार्ड समिति में दोनों पार्टियों के 10-10 सदस्य हैं और चुनाव के दौरान दोनों दलों के उम्मीदवारों के वोट एक समान होने पर जीत का फैसला ड्राॅ से होगा। इसमें किसी भी पार्टी की किस्मत खुल सकती है।
एमसीडी की रोहिणी, सदर पहाड़गंज, करोल बाग, पश्चिमी व दक्षिणी वार्ड समिति में आम आदमी पार्टी को बहुमत प्राप्त है। वहीं, भाजपा काे सिविल लाइन, केशवपुरम, नजफगढ़, शाहदरा दक्षिणी व शाहदरा उत्तरी वार्ड समिति में बहुमत प्राप्त है। नरेला वार्ड समिति में दोनों पार्टियों के 10-10 सदस्य हैं और चुनाव के दौरान दोनों दलों के उम्मीदवारों के वोट एक समान होने पर जीत का फैसला ड्राॅ से होगा। इसमें किसी भी पार्टी की किस्मत खुल सकती है।
मध्य वार्ड समिति में आप के 13, भाजपा के 12 व कांग्रेस के दो पार्षद हैं। ऐसे में इस वार्ड समिति में किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है। इस तरह इस वार्ड समिति में जीत की चाबी कांग्रेस के हाथ में है। कांग्रेस जिस पार्टी का साथ देगी, उसकी जीत लगभग तय है। बहिष्कार करने की स्थिति में भी आप का पलड़ा भारी हो जाएगा। ऐसी स्थिति में आप छह वार्ड समितियों में जीत जाएगी।
कांग्रेस के सामने एक तरफ कुआं, दूसरी ओर खाई की बनी स्थिति
कांग्रेस के समक्ष मध्य वार्ड समिति के चुनाव में एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति रहेगी। इस वार्ड समिति में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं होने पर उसके समर्थन से इस वार्ड समिति में पदाधिकारियों के भविष्य का फैसला होगा, मगर दिल्ली के मामले में उसकी वर्तमान रणनीति भाजपा से ज्यादा आप के खिलाफ अधिक उग्र है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस व आप इंडिया गठबंधन में शामिल हैं। इस तरह वह दिल्ली में आप व राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। लिहाजा उसके लिए किसी का भी समर्थन करना आसान नहीं होगा, तभी अभी तक कांग्रेस ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
कांग्रेस के समक्ष मध्य वार्ड समिति के चुनाव में एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति रहेगी। इस वार्ड समिति में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं होने पर उसके समर्थन से इस वार्ड समिति में पदाधिकारियों के भविष्य का फैसला होगा, मगर दिल्ली के मामले में उसकी वर्तमान रणनीति भाजपा से ज्यादा आप के खिलाफ अधिक उग्र है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस व आप इंडिया गठबंधन में शामिल हैं। इस तरह वह दिल्ली में आप व राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। लिहाजा उसके लिए किसी का भी समर्थन करना आसान नहीं होगा, तभी अभी तक कांग्रेस ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।