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सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा: दिल्ली-NCR की जहरीली हवा से सांसों पर संकट, हर चार में से तीन परिवार बीमार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विकास कुमार Updated Thu, 30 Oct 2025 11:02 PM IST
सार

सर्वे में 42 फीसदी परिवारों ने बताया कि उनके घर के किसी न किसी सदस्य को गले में खराश या खांसी है। 25 फीसदी ने कहा कि आंखों में जलन, सिरदर्द या सोने में दिक्कत हो रही है।

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Delhi-NCR toxic air poses a respiratory threat with three out of four families sick
दिल्ली-NCR की जहरीली हवा से सांसों पर संकट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा और अधिक जहरीली बन गई है। इस कारण इन क्षेत्रों में रहने वाले चार में से तीन परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं। इससे गले में खराश-खांसी से लेकर आंखों में जलन, सिरदर्द और नींद न आने जैसी दिक्कतें बढ़ रही हैं। यह खुलासा लोकल सर्कल्स की ओर से किए गए ऑनलाइन सर्वे में हुआ है। 

सर्वे में गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद के 44,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों से पता चला कि दिवाली के बाद हवा में पीएम2.5 कणों का स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा है। यह स्तर त्योहार से पहले के 156.6 से तीन गुना ज्यादा है।

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सर्वे में 42 फीसदी परिवारों ने बताया कि उनके घर के किसी न किसी सदस्य को गले में खराश या खांसी है। 25 फीसदी ने कहा कि आंखों में जलन, सिरदर्द या सोने में दिक्कत हो रही है। इसके अलावा, 17 फीसदी लोगों ने सांस फूलने या अस्थमा की समस्या बढ़ने की शिकायत की। ऐसे में 44 फीसदी परिवार अब बाहर जाने से कतरा रहे हैं। यही नहीं, वे इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फल, सब्जियां और ड्रिंक्स खा-पी रहे हैं।

ऐसे करें बचाव
विशेषज्ञों के अनुसार, लोग पहले से ही जहरीली हवा को झेल रहे हैं। वे सरकार से ग्रेप के तहत सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत स्मॉग गन से पानी छिड़कना, रात में सड़कें साफ कर धूल कम करना और मास्क पहनना, घर पर रहना और ज्यादा पानी पीना शामिल है। घर के अंदर रहें, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य व पेय पदार्थों का सेवन करें। वायु शोधक यंत्रों का उपयोग करें।

प्रदूषण क्यों इतना बेकाबू?
दिवाली की रात और अगली सुबह हवा सबसे ज्यादा खराब हुई। दिवाली के दूसरे दिन दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 261 पर था, जो खराब श्रेणी में आता है। आनंद विहार जैसे इलाकों में ये 415 तक पहुंच गया, जो गंभीर स्तर है। कई जगहों पर एक्यूआई 400 से ऊपर चला गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सुरक्षित स्तर से 24 गुना ज्यादा है। राहत की बात है कि पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 77.5 फीसदी कम हुईं हैं। बाढ़ और देरी से फसल कटाई की वजह से किसान पराली कम जला रहे हैं। फिर भी वाहनों का धुआं, धूल और मौसम की वजह से हवा साफ नहीं हो पा रही।

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