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Delhi State Indicator Framework 2024: स्वास्थ्य सुधार ने भरी उड़ान, पर कैंसर-आत्महत्या के बढ़ रहे हैं मामले

सिमरन, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 21 Nov 2025 03:16 AM IST
सार

कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के बढ़ते मामले नए खतरे की घंटी बजा रहे हैं। यह खुलासा दिल्ली सरकार की दिल्ली स्टेट इंडिकेटर फ्रेमवर्क 2024: स्टेटस रिपोर्ट से हुआ है।

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Delhi State Indicator Framework 2024: Healthcare reforms take off, but cancer-suicide cases are on the rise
demo - फोटो : अमर उजाला प्रिन्ट/एजेंसी
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विस्तार
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राजधानी स्वास्थ्य सुधार के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है जहां मातृ स्वास्थ्य, टीकाकरण, अस्पताल सुविधाओं और प्रसव सेवाओं में अच्छी प्रगति दर्ज की गई है। वहीं, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के बढ़ते मामले नए खतरे की घंटी बजा रहे हैं। यह खुलासा दिल्ली सरकार की दिल्ली स्टेट इंडिकेटर फ्रेमवर्क 2024: स्टेटस रिपोर्ट से हुआ है।

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रिपोर्ट में सबसे मजबूत पहलू यह सामने आया है कि राजधानी में मातृ मृत्यु दर वैश्विक लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच चुकी है और 2023 में 95 फीसदी प्रसव अस्पतालों में हो रहे हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य ढांचे की पहुंच, मातृत्व सुरक्षा और जागरूकता तीनों में सुधार का संकेत देती है। रिपोर्ट के अनुसार, 12-23 महीने के बच्चों में टीकाकरण बेहतर हुआ है जो दर्शाता है कि राजधानी की नई पीढ़ी संक्रामक बीमारियों से काफी हद तक सुरक्षित हो चुकी है।
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गर्भावस्था के दौरान जांच और देखभाल में भी बढ़ोतरी हुई है जिससे प्रसव संबंधी जोखिमों में कमी आई है। इन सभी सुधारों के पीछे सरकारी योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, मिशन इंडिगो और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों की बड़ी भूमिका को श्रेयदिया गया है लेकिन रिपोर्ट का दूसरा पहलू एक गंभीर चेतावनी भी देता है।

इसमें दिल्ली के स्वास्थ्य मोर्चे पर लड़ाई अब संक्रामक रोगों से ज्यादा गैर-संक्रामक और जीवनशैली संबंधी बीमारियों के खिलाफ होनी चाहिए। कैंसर से मौतें 2015 के मुकाबले 2023 में 6,054 तक पहुंच गई जो इशारा करती हैं कि दिल्ली जितनी तेजी से आधुनिक हो रही है बीमारियों का स्वरूप भी उतनी ही तेजी से बदल रहा है।

हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज मौत के बड़े कारण
रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या दर प्रति एक लाख पर 8.8% से बढ़कर 16.2% हो जाना मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और तनावपूर्ण शहरी जीवन की ओर इशारा करती है। इसके अलावा हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियां अब सामूहिक रूप से मौत का बड़ा कारण बन रही हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि केवल 0.7% महिलाओं ने कैंसर की स्क्रीनिंग कराई यानी शुरुआती पहचान बेहद कमजोर कड़ी बनी हुई है। यह स्थिति बताती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बावजूद जागरूकता और नियमित स्वास्थ्य जांच पर अभी बहुत काम बाकी है।

बेड की संख्या लुढ़की, नशा मुुक्ति केंद्र का बढ़ा ग्राफ
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के अस्पतालों में बेड की संख्या 2.73-2.70 प्रति हजार व्यक्ति तक पहुंच चुकी है, जो मरीजों के लिए बड़ी चुनौती है। साथ ही, नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज लेने वालों की संख्या 1,107 से बढ़कर 44,454 हो जाना यह दर्शाता है कि लोग अब सहायता लेने में हिचक महसूस नहीं करते।

कैंसर से होने वाली मौतें बढ़कर 4,666 से 6,054 पहुंचीं
स्वास्थ्य रिपोर्ट ने राजधानी की सेहत को लेकर एक मिश्रित तस्वीर पेश की है। आंकड़ों के अनुसार, मातृ मृत्यु दर 2015-16 के स्तर से लगभग स्थिर रहते हुए 2023 में 45 पर पहुंच गई है जो वैश्विक लक्ष्य के करीब है। बच्चों का पूर्ण टीकाकरण 79-95 से बढ़कर 80-97 फीसदी हो गया है जो स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती दिखाता है। एचआईवी मरीजों में एआरटी कवरेज 73 फीसदी तक पहुंच गया है जबकि डेंगू के मामलों में बड़ी कमी आई है जो 2015 के 15,867 से घटकर 2023 में सिर्फ 7,493 रह गई। हालांकि, कैंसर से होने वाली मौतें बढ़कर 4,666 से 6,054 पहुंच गई हैं जो चिंताजनक है।

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