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दिल्ली हिंसा: पीएम कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद तैनात हुईं 70 कंपनियां 

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Trainee Trainee Updated Tue, 25 Feb 2020 04:37 PM IST
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Delhis violence increased Modis anger 70 companies deployed after PM office intervention
दिल्ली हिंसा - फोटो : PTI
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एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली में हैं तो दूसरी ओर कई इलाकों में हिंसा का तांडव मचा है। दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की हिंसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुस्सा बढ़ा दिया है। मोदी के निर्देश पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से विस्तृत बातचीत की है। इसके बाद ही गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली के एलजी अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई। यह बैठक खत्म होने के बाद तुरंत दूसरी बैठक शुरू हो गई।

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इसमें अमित शाह, गृह सचिव अजय भल्ला और आईबी चीफ अरविंद कुमार उपस्थित रहे। बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय से मिले दिशा निर्देशों के मुताबिक तय हुआ कि बिना किसी देरी के हिंसाग्रस्त इलाकों में पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों की सत्तर से ज्यादा कंपनियां तैनात कर दी जाएं। दोपहर तक दिल्ली के उन इलाकों में अर्धसैनिक बलों ने मोर्चा संभाल लिया है, जहां रविवार से ही दंगे की खबरें आ रही थी। खास बात, दूसरी बैठक में दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को शामिल नहीं किया गया।

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बता दें कि सबसे पहले रविवार को दिल्ली के कुछ इलाकों में हिंसा होने की बात सामने आई थी। पुलिस ने अपने तरीके से हल्का बल प्रयोग कर उपद्रवियों को खदेड़ दिया था। बाद में सोशल मीडिया पर सीएए के समर्थक और विरोधी एक दूसरे के खिलाफ आग उगलने लगे। इससे माहौल बिगड़ता चला गया। सोमवार को जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप आगरा में थे तो उस वक्त जाफराबाद और दूसरे इलाकों में हिंसा का तांडव मचा। इसमें दिल्ली पुलिस के एक हवलदार की मौत हो गई, जबकि डीसीपी अमित शर्मा समेत दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।


सोमवार की रात पुलिस ने कई इलाकों में धरपकड़ की, लेकिन मंगलवार को एक बार फिर हिंसा फैली। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय ने सुबह केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ दिल्ली की स्थिति पर चर्चा की। इसमें यह बात निकलकर सामने आई कि दिल्ली में समय पर अफवाहों को फैलने से रोक लिया जाता तो खूनी दंगे को टाला जा सकता था। दूसरा, पुलिस की संख्या पर्याप्त नहीं थी, इससे उपद्रवियों का दुस्साहस बढ़ता चला गया। प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय और दूसरी एजेंसियां हरकत में आईं। अब गृह मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली में पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
 

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