ठगों का खेल: भारत में करते खातों का इंतजाम...विदेश में लगाते ठिकाने, लाखों का कैश जब्त; दिल्ली से सात गिरफ्तार
राजधानी दिल्ली में एक हैरान कर देने वाला ठगी का मामला सामने आया है। स्पेशल टीम ने फर्जी पतों पर खोले खातों में ठगी के रुपयों को ठिकाने लगाते थे। इस मामले में पुलिस ने सात को गिरफ्तार किया है।
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विदेश में बैठे ठगों के लिए भारत में खातों का इंतजाम कर ठगी की रकम को ठिकाने लगाने वाले एक गिरोह का स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने खुलासा किया है। पुलिस ने इस संबंध में सात आरोपियों को दबोचा है। पुलिस ने आरोपियों के पास से साढ़े पांच लाख रुपये कैश, सात मोबाइल फोन, एक स्कोर्पियो कार और अलग-अलग खातों में 80 लाख रुपये बरामद किए हैं।
पकड़े गए आरोपियों की पहचान गांव सुंदरपुर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा निवासी मोहित, दिल्ली निवासी अजय कुमार, शंकर, प्रत्यक्ष कोशर, मनीष ज्वाला, श्रेयंश पंडित और दिनेश के रूप में हुई है। आरोपियों में से एक शंकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कमला नगर में कांट्रेक्ट पर काम करता था। वह बैंक में खाते खुलवाने में इन सभी की मदद करता था। बदले में उसे मोटा कमीशन मिलता था। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) के पुलिस उपायुक्त डॉ. हेमंत तिवारी ने बताया कि पिछले दिनों उनकी टीम को सचिन बंसल नामक व्यक्ति ने 91 लाख रुपये ठगी की एक शिकायत दी। पीड़ित ने बताया कि क्रिप्टो के नाम पर उनको एक व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़कर उनकी रकम को 19 अलग-अलग बैंक खातों में डालकर ठगी की गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की।
जांच के लिए एसीपी मनोज कुमार, इंस्पेक्टर उदय सिंह व अन्यों की टीम का गठन किया गया। पुलिस ने जांच के बाद सभी खातों को फ्रीज करवा दिया। पता चला कि एक एसबीआई के खाते में 46 लाख रुपये मौजूद हैं। छानबीन के दौरान इसी खाते के बैंक में अज्ञात लोगों ने पुलिस अधिकारी बनकर खाते को डीफ्रीज करवाने का अनुरोध किया।
अनुरोध ईमेल के जरिए किया गया था। पुलिस अधिकारी से मिलती-जुलती ईमेल का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने इसकी पड़ताल की और अजय और मोहित नामक दो आरोपियों को दबोच लिया। इनसे पूछताछ के बाद पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर कैश व अन्य सामान बरामद कर लिया गया। 80 लाख रुपये बैंक खातों में फ्रीज किए गए।
ऐसे दिया जाता था वारदात को अंजाम
अजय कुमार और मोहित ठगी की रकम को ठिकाने लगाने के लिए बैंक खातों का इंतजाम करते थे। खाली दुकानों और प्रॉपर्टी के नाम पर यह लोग करंट अकाउंट शंकर की मदद से खुलवाकर उन खातों का कंट्रोल आगे दे देते थे। ठगी की रकम यहां आती और बाद में उसको क्रिप्टो और यूएसडी में बदलकर विदेश भेज दिया जाता था। एसबीआई की कमला नगर शाखा में तैनात शंकर इनकी मदद करता था। आरोपी पुलिस अधिकारियों के नाम से फर्जी ईमेल भेजकर फ्रीज किए गए खातों को डीफ्रीज करने का बैंक से अनुरोध करते थे। अक्सर यह बैंक खाते डीफ्रीज करवाकर रकम तुरंत ट्रांसफर कर लेते थे।