देख लो सरकार: न ऑपरेशन थिएटर, न नीकू वार्ड, 28 KM दूर है बड़ा अस्पताल; कैसे हो गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी?
बल्लभगढ़ के मेडिकल कॉलेज में नीकू वार्ड और ऑपरेशन थिएटर न होने से गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी नहीं हो पा रही, उन्हें बीके या बल्लभगढ़ अस्पताल भेजा जाता है। रास्ते में जाम व देरी से कई बार मां-बच्चे की मौत हो चुकी है।
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मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में हर रोज करीब 500 से अधिक मरीज उपचार करवाने के लिए आते हैं। उनमें गर्भवती महिलाएं भी होती है। उन गर्भवती महिलाओं का स्त्री रोग विशेषज्ञ से उपचार तो मिल जाता है, लेकिन उसकी डिलीवरी नहीं होती है। उसी वजह से उन महिलाओं को बीके अस्पताल और बल्लभगढ़ के सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाता है। इसको लेकर कई बार आसपास के गांव के लोगों ने निर्देशक को कहा है कि वह जल्द से जल्द डिलीवरी को भी शुरू करें।
नीकू वार्ड के बाद ही शुरू होगी डिलीवरी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नीकू वार्ड नहीं होने की वजह से डिलीवरी शुरू नहीं हो पा रही है, क्योंकि कई बार डिलीवरी के बाद बच्चों को नीकू वार्ड में रखना अनिवार्य होता है। इसी वजह से डिलीवरी नहीं हो पा रही है। वहीं कई बार कुछ महिलाओं के ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी होती है। अभी ऑपरेशन थिएटर बनकर तैयार नहीं हुए हैं।
28 किलोमीटर दूर है बीके अस्पताल
गांव छांयसा से अगर किसी गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए रेफर किया जाता है तो उनको बी के अस्पताल करीब 28 किलोमीटर दूर पड़ता है। इस दौरान मरीज व उनके परिजन को जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। इसी वजह से कई बार कई बड़ी घटना घटित हो चुकी है। जिसमें मां और बच्चा की मौत भी हो चुकी है।
निदेशक डॉक्टर बी एम वशिष्ठ का कहना है कि उनकी ओर से जल्द ही ऑपरेटर थिएटर बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद नीकू वार्ड को बनाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। यह दोनों कार्य पूरे होने के बाद उनके मेडिकल कॉलेज में भी डिलीवरी शुरू हो जाएगी।