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कब तक निर्भया : कठोर कानून बना दरिंदों को दें सजा
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‘कब तक निर्भया’ - कठोर कानून बना दरिंदों को दें सजा
गाजियाबाद। हैदराबाद में पशु चिकित्सक महिला से दरिंदगी के बाद हत्या कर शव जलाने की हर ओर निंदा हो रही है। अमर उजाला अपराजिता अभियान ‘कब तक निर्भया’ के तहत संवाद का आयोजन किया गया। इस दौरान महिला, इंजीनियर, छात्र, खिलाड़ी, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी एवं लोगों ने एक ही आवाज उठाई की इस तरह की दरिंदगी करने वाले लोगों को समाज में जीने का अधिकार नहीं है। जब उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है तो उन्हें तत्काल फांसी होनी चाहिए। कानून को 15 दिन के अंदर इन्हें सजा देनी चाहिए, जिससे पीड़िता को न्याय मिल सके। भविष्य में अन्य लोगों के लिए एक सबक मिल सके कि ऐसा करने पर आपके साथ क्या हो सकता है। लोगों ने कहा कि बच्चों को नैतिक ज्ञान देना जरूरी है। एकल परिवार कोशिश करें कि वह सामूहिक परिवार में रहें, जिसमें दादा-दादी, चाचा-चाची साथ रहते हों। ऐसे में बच्चों को संस्कार भी मिलेंगे और गलत करने का डर होगा। एकल परिवार होने के कारण माता-पिता नौकरी पर चले जाते हैं। ऐसे में बच्चे मोबाइल देखते हैं और मनमानी करते हैं। देश के अंदर सामाजिक सुधार जरूरी है।
वर्जन...
अब लोगों को सोच बदलने की जरूरत है। इसके लिए शुरूआत घर से करनी होगी। शिक्षा पद्घति को बदला गया है, जो गलत है। प्राइमरी स्तर पर बच्चों को नैतिक शिक्षा देनी चाहिए। - राजकुमार त्यागी
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जहां मां सीता जैसी महिला ने जन्म लिया हो। उस देश में महिलाओं के साथ इस तरह के अपराध हो रहे हैं। हम अपने बच्चों में अपने बढ़े-बूढ़े के द्वारा दिए गए संस्कार स्थानांतरित नहीं कर पा रहे हैं। - प्रदीप शर्मा
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हम लोग रास्ते में घटना होते हुए देखते रहते हैं लेकिन किसी को टोकते नहीं हैं। क्योंकि कौन दूसरे के झगड़े में पड़ेगा। इस प्रवृति को बदलना होगा। लोगों को टोकना शुरू करें और उन्हें रोकें। - संदीप त्यागी
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इस तरह की घटना होने के कुछ दिनों तक तो हम चिंता जताते हैं लेकिन कुछ दिन बाद शांत होकर बैठ जाते हैं। अपने बच्चों के व्यवहार पर ध्यान दें। अश्लीलता के खिलाफ लड़ाई लड़ें। - विनीत
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आज किसा आयु वर्ग में कोई सुरक्षित नहीं है। छोटी बच्चियों के साथ घटनाएं हो रही हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सरकार शिक्षा पर जोर दे। - ममता शर्मा
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पुलिस का काम है महिलाओं को सुरक्षा देना। पहले व्यक्ति को प्यार से समझाना चाहिए। उसके बाद नहीं समझता है तो दंड देकर उसे सिखाएं। सभी लोग अपनी जिम्मेदारी समझें और अन्य लोगों को जागरूक करें। - सिमरन खन्ना
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हम संस्कार देने की बात करते हैं। बच्चा स्कूल में गाली देता है अभद्रता करता है लेकिन शिक्षक उसे पीट नहीं सकता है। शिक्षक का डर और अनुशासन खत्म हो गया है। कहां से संस्कार सीखेंगे।
- यश शर्मा
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पशु चिकित्सक के साथ दरिंदगी करने और उसे मौत के घाट उतारने वाले हैवानों को कठोर से कठोर सजा दी जाए। जिससे अन्य लोगों में डर पैदा हो। - श्रद्घा तिवारी
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समाजशास्त्र में अपना कानून पढ़ाना शुरू कर दें। तभी स्थिति में सुधार हो सकता है। कोई भी पीड़िता थाने में जाए तो पुलिस संवेदना से बात सुने। दरिंदों को अपराध की सजा मिले। - रिचा सूद
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बेटे-बेटियों को समान समझें। बेटियों के साथ बेटों को भी समझाएं। कुछ दिन मुद्दे उठते हैं, फिर शांत हो जाते हैं। बेटियों और महिलाओं को सशक्त होने की आवश्यकता है। - अनीता नागर
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किसी भी व्यक्ति के माता-पिता बच्चों को गलत करने की शिक्षा नहीं देते हैं। हम लोगों को मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। परिवार कोशिश करें कि बच्चों के साथ दादा-दादी को भी साथ रखें। - चौधरी बबिता डागर
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हम अपनी संस्था के माध्यम से बच्चों को नैतिक ज्ञान दे रहे हैं। उन बच्चों को पता है कि गलत करेंगे तो क्या होगा। प्रत्येक व्यक्ति समाज को बदलने में अपना योगदान दें। - रजनी जोशी
--
अपने बच्चे को लेकर डरना चाहिए। वह घर से बाहर जाते हैं तो उनसे पूछा जाए कि वह कहां हैं, क्या कर रहे हैं और कब आएंगे। महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है, पुलिस को सुरक्षा करनी चाहिए। - बिंदु राय
--
एकल परिवार के कारण समाज में काफी दिक्कतें आ रही हैं। बच्चे संस्कार नहीं सीख रहे हैं। संयुक्त परिवार में रहें, जिससे बच्चों में बड़ों का डर रहे। सरकार ऐसा कानून बनाए, दोषी होने पर तत्काल उसे सजा दी जाए। - राधा जॉली
--
नैतिकता धार्मिक संस्कार से आती है, इसे हम भूल गए हैं। इसी कारण महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहा है। आरोपियों को कठोर दंड मिले। इस अभियान को आगे बढ़ाया जाए। - अवधेश कुमार शर्मा
--
कड़ा कानून बने। अपने हाथ में कोई कानून न लें। हम लोग घर के अंदर बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें, जिससे बच्चों को कोई दिक्कत हो तो वह हमें जरूर बताएं। - अश्वनी त्यागी
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महिलाओं के साथ बढ़ रहा अपराध पर अंकुश लगना चाहिए। उन्हें घर के अंदर भी बराबर का सम्मान दिया जाए। - नीतू कंडालिया
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लड़कियां खुद को इतना मजबूत बना लें कि उन्हें किसी की मदद लेने की आवश्यकता ही न पड़े। वह गलत नजर से देखने वाले व्यक्ति को स्वयं जवाब दे सकें। - स्वाति
--
आत्म रक्षा के लिए हर लड़की को सेल्फ डिफेंस के टिप्स सीखने चाहिए। इसके बाद लड़कियों का मनोबल काफी बढ़ जाता है। वह किसी को भी जवाब देने के लिए तैयार रहती है। - सलोनी
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गाजियाबाद। हैदराबाद में पशु चिकित्सक महिला से दरिंदगी के बाद हत्या कर शव जलाने की हर ओर निंदा हो रही है। अमर उजाला अपराजिता अभियान ‘कब तक निर्भया’ के तहत संवाद का आयोजन किया गया। इस दौरान महिला, इंजीनियर, छात्र, खिलाड़ी, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी एवं लोगों ने एक ही आवाज उठाई की इस तरह की दरिंदगी करने वाले लोगों को समाज में जीने का अधिकार नहीं है। जब उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है तो उन्हें तत्काल फांसी होनी चाहिए। कानून को 15 दिन के अंदर इन्हें सजा देनी चाहिए, जिससे पीड़िता को न्याय मिल सके। भविष्य में अन्य लोगों के लिए एक सबक मिल सके कि ऐसा करने पर आपके साथ क्या हो सकता है। लोगों ने कहा कि बच्चों को नैतिक ज्ञान देना जरूरी है। एकल परिवार कोशिश करें कि वह सामूहिक परिवार में रहें, जिसमें दादा-दादी, चाचा-चाची साथ रहते हों। ऐसे में बच्चों को संस्कार भी मिलेंगे और गलत करने का डर होगा। एकल परिवार होने के कारण माता-पिता नौकरी पर चले जाते हैं। ऐसे में बच्चे मोबाइल देखते हैं और मनमानी करते हैं। देश के अंदर सामाजिक सुधार जरूरी है।
वर्जन...
अब लोगों को सोच बदलने की जरूरत है। इसके लिए शुरूआत घर से करनी होगी। शिक्षा पद्घति को बदला गया है, जो गलत है। प्राइमरी स्तर पर बच्चों को नैतिक शिक्षा देनी चाहिए। - राजकुमार त्यागी
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जहां मां सीता जैसी महिला ने जन्म लिया हो। उस देश में महिलाओं के साथ इस तरह के अपराध हो रहे हैं। हम अपने बच्चों में अपने बढ़े-बूढ़े के द्वारा दिए गए संस्कार स्थानांतरित नहीं कर पा रहे हैं। - प्रदीप शर्मा
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हम लोग रास्ते में घटना होते हुए देखते रहते हैं लेकिन किसी को टोकते नहीं हैं। क्योंकि कौन दूसरे के झगड़े में पड़ेगा। इस प्रवृति को बदलना होगा। लोगों को टोकना शुरू करें और उन्हें रोकें। - संदीप त्यागी
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इस तरह की घटना होने के कुछ दिनों तक तो हम चिंता जताते हैं लेकिन कुछ दिन बाद शांत होकर बैठ जाते हैं। अपने बच्चों के व्यवहार पर ध्यान दें। अश्लीलता के खिलाफ लड़ाई लड़ें। - विनीत
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आज किसा आयु वर्ग में कोई सुरक्षित नहीं है। छोटी बच्चियों के साथ घटनाएं हो रही हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सरकार शिक्षा पर जोर दे। - ममता शर्मा
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पुलिस का काम है महिलाओं को सुरक्षा देना। पहले व्यक्ति को प्यार से समझाना चाहिए। उसके बाद नहीं समझता है तो दंड देकर उसे सिखाएं। सभी लोग अपनी जिम्मेदारी समझें और अन्य लोगों को जागरूक करें। - सिमरन खन्ना
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हम संस्कार देने की बात करते हैं। बच्चा स्कूल में गाली देता है अभद्रता करता है लेकिन शिक्षक उसे पीट नहीं सकता है। शिक्षक का डर और अनुशासन खत्म हो गया है। कहां से संस्कार सीखेंगे।
- यश शर्मा
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पशु चिकित्सक के साथ दरिंदगी करने और उसे मौत के घाट उतारने वाले हैवानों को कठोर से कठोर सजा दी जाए। जिससे अन्य लोगों में डर पैदा हो। - श्रद्घा तिवारी
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समाजशास्त्र में अपना कानून पढ़ाना शुरू कर दें। तभी स्थिति में सुधार हो सकता है। कोई भी पीड़िता थाने में जाए तो पुलिस संवेदना से बात सुने। दरिंदों को अपराध की सजा मिले। - रिचा सूद
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बेटे-बेटियों को समान समझें। बेटियों के साथ बेटों को भी समझाएं। कुछ दिन मुद्दे उठते हैं, फिर शांत हो जाते हैं। बेटियों और महिलाओं को सशक्त होने की आवश्यकता है। - अनीता नागर
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किसी भी व्यक्ति के माता-पिता बच्चों को गलत करने की शिक्षा नहीं देते हैं। हम लोगों को मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। परिवार कोशिश करें कि बच्चों के साथ दादा-दादी को भी साथ रखें। - चौधरी बबिता डागर
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हम अपनी संस्था के माध्यम से बच्चों को नैतिक ज्ञान दे रहे हैं। उन बच्चों को पता है कि गलत करेंगे तो क्या होगा। प्रत्येक व्यक्ति समाज को बदलने में अपना योगदान दें। - रजनी जोशी
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अपने बच्चे को लेकर डरना चाहिए। वह घर से बाहर जाते हैं तो उनसे पूछा जाए कि वह कहां हैं, क्या कर रहे हैं और कब आएंगे। महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है, पुलिस को सुरक्षा करनी चाहिए। - बिंदु राय
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एकल परिवार के कारण समाज में काफी दिक्कतें आ रही हैं। बच्चे संस्कार नहीं सीख रहे हैं। संयुक्त परिवार में रहें, जिससे बच्चों में बड़ों का डर रहे। सरकार ऐसा कानून बनाए, दोषी होने पर तत्काल उसे सजा दी जाए। - राधा जॉली
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नैतिकता धार्मिक संस्कार से आती है, इसे हम भूल गए हैं। इसी कारण महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहा है। आरोपियों को कठोर दंड मिले। इस अभियान को आगे बढ़ाया जाए। - अवधेश कुमार शर्मा
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कड़ा कानून बने। अपने हाथ में कोई कानून न लें। हम लोग घर के अंदर बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें, जिससे बच्चों को कोई दिक्कत हो तो वह हमें जरूर बताएं। - अश्वनी त्यागी
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महिलाओं के साथ बढ़ रहा अपराध पर अंकुश लगना चाहिए। उन्हें घर के अंदर भी बराबर का सम्मान दिया जाए। - नीतू कंडालिया
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लड़कियां खुद को इतना मजबूत बना लें कि उन्हें किसी की मदद लेने की आवश्यकता ही न पड़े। वह गलत नजर से देखने वाले व्यक्ति को स्वयं जवाब दे सकें। - स्वाति
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आत्म रक्षा के लिए हर लड़की को सेल्फ डिफेंस के टिप्स सीखने चाहिए। इसके बाद लड़कियों का मनोबल काफी बढ़ जाता है। वह किसी को भी जवाब देने के लिए तैयार रहती है। - सलोनी