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Bullet Train: जे-स्लैब ट्रैक पर 320 की स्पीड से दौड़ेगी भारत की पहली बुलेट ट्रेन, जानें क्या है इसकी खासियत
शनि पाथौली, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अनुज कुमार
Updated Tue, 18 Nov 2025 09:25 AM IST
सार
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर पर जापान की शिंकानसेन तकनीक वाला भूकंप-प्रतिरोधी जे-स्लैब ट्रैक बिछाया जा रहा है, जिस पर बुलेट ट्रेन 320 किमी/घंटा की गति से चलेगी। 508 किमी के इस प्रोजेक्ट में 21 किमी समुद्र के नीचे टनल, 465 किमी ऊंचे पुल और 12 आधुनिक स्टेशन बन रहे हैं।
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बुलेट ट्रेन (फाइल फोटो)
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत की पहली बुलेट ट्रेन अत्याधुनिक जे-स्लैब ट्रैक सिस्टम पर दौड़ेगी। यह दुनिया की सबसे सुरक्षित और स्थिर रेल टेक्नोलॉजी में से एक है। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआर) पर जापान के सहयोग से देश में पहली बार इसे बिछाया जा रहा है।
भूकंप प्रतिरोधी ट्रेक बुलेट ट्रेन की हाई-स्पीड को स्थिरता और सुरक्षा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन दिन पहले ही कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा कर सूरत में निर्माणाधीन स्टेशन का दौरा किया था। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भारतीय रेलवे ने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट से जुड़ी नई जानकारियों को पेश किया है। रेलवे के पवेलियन में मुख्य रूप से मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन पर फोकस किया गया है।
यह ट्रेन 320 प्रति किलोमीटर घंटा की रफ्तार सेजे-स्लैब ट्रैक सिस्टम पर दौड़ेगी। यह सिस्टम वह तकनीक है जिसका उपयोग जापान की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन में किया जाता है। इसे विश्व की सबसे सुरक्षित रेल सेवा माना जाता है। इस ट्रैक का रखरखाव भी न के बराबर होता है।
समुद्र के नीचे बन रही 21 किलोमीटर लंबी टनल : इस कॉरिडोर पर महज 7 किलोमीटर का जमीन का ट्रेक है जबकि सबसे चुनौतीपूर्ण 21 किलोमीटर लंबा समुद्र के नीचे टनल बनाया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में 8 सुरंगें भी बनाई जा रही हैं। प्रोजेक्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से 12 आधुनिक और सौंदर्यपूर्ण डिजाइन वाले स्टेशन, 3 रोलिंग स्टॉक डिपो, 8 रखरखाव केंद्र, साबरमती में हाई-स्पीड रेल मल्टी-मॉडल हब और वडोदरा में हाई-स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शामिल हैं।
जे-स्लैब ट्रैक में नहीं किया जाता गिट्टी का इस्तेमाल
सामान्य ट्रैक में गिट्टी का प्रयोग किया जाता जबकि जे-स्लैब ट्रैक में एक कठोर कंक्रीट संरचना तैयार की जाती है। इसमें चार मुख्य परतें होती हैं, जिनमें कंक्रीट ट्रैक बेड, सीमेंट डामर मोर्टार परत, पूर्व-निर्मित ट्रैक स्लैब और फास्टनरों वाली पटरियां शामिल हैं।
53 स्टील और रिवर ब्रिज से गुजरेगी ट्रेन
508 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर बुलेट ट्रेन 53 बड़े पुलों के ऊपर से गुजरेगी। इनमें 28 स्टील ब्रिज और 25 रिवर ब्रिज शामिल हैं। प्रोजेक्ट में 465 किलोमीटर (मार्ग का लगभग 85 प्रतिशत) पुलों पर बनना है। 326 किलोमीटर के मार्ग पर पुलों का काम पूरा हो चुका है। 17 नदी पुलों का निर्माण पहले ही हो चुका है।
इन शहरों को जोड़ेगी बुलेट ट्रेन
रेलवे पवेलियन में बताया गया कि यह कॉरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोईसर, विरार, ठाणे और मुंबई सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगा। कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा है, जिसमें 348 किमी. गुजरात, 4 किमी. दादरा एवं नगर हवेली और 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में आते हैं।
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भूकंप प्रतिरोधी ट्रेक बुलेट ट्रेन की हाई-स्पीड को स्थिरता और सुरक्षा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन दिन पहले ही कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा कर सूरत में निर्माणाधीन स्टेशन का दौरा किया था। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भारतीय रेलवे ने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट से जुड़ी नई जानकारियों को पेश किया है। रेलवे के पवेलियन में मुख्य रूप से मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन पर फोकस किया गया है।
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यह ट्रेन 320 प्रति किलोमीटर घंटा की रफ्तार सेजे-स्लैब ट्रैक सिस्टम पर दौड़ेगी। यह सिस्टम वह तकनीक है जिसका उपयोग जापान की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन में किया जाता है। इसे विश्व की सबसे सुरक्षित रेल सेवा माना जाता है। इस ट्रैक का रखरखाव भी न के बराबर होता है।
समुद्र के नीचे बन रही 21 किलोमीटर लंबी टनल : इस कॉरिडोर पर महज 7 किलोमीटर का जमीन का ट्रेक है जबकि सबसे चुनौतीपूर्ण 21 किलोमीटर लंबा समुद्र के नीचे टनल बनाया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में 8 सुरंगें भी बनाई जा रही हैं। प्रोजेक्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से 12 आधुनिक और सौंदर्यपूर्ण डिजाइन वाले स्टेशन, 3 रोलिंग स्टॉक डिपो, 8 रखरखाव केंद्र, साबरमती में हाई-स्पीड रेल मल्टी-मॉडल हब और वडोदरा में हाई-स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शामिल हैं।
जे-स्लैब ट्रैक में नहीं किया जाता गिट्टी का इस्तेमाल
सामान्य ट्रैक में गिट्टी का प्रयोग किया जाता जबकि जे-स्लैब ट्रैक में एक कठोर कंक्रीट संरचना तैयार की जाती है। इसमें चार मुख्य परतें होती हैं, जिनमें कंक्रीट ट्रैक बेड, सीमेंट डामर मोर्टार परत, पूर्व-निर्मित ट्रैक स्लैब और फास्टनरों वाली पटरियां शामिल हैं।
53 स्टील और रिवर ब्रिज से गुजरेगी ट्रेन
508 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर बुलेट ट्रेन 53 बड़े पुलों के ऊपर से गुजरेगी। इनमें 28 स्टील ब्रिज और 25 रिवर ब्रिज शामिल हैं। प्रोजेक्ट में 465 किलोमीटर (मार्ग का लगभग 85 प्रतिशत) पुलों पर बनना है। 326 किलोमीटर के मार्ग पर पुलों का काम पूरा हो चुका है। 17 नदी पुलों का निर्माण पहले ही हो चुका है।
इन शहरों को जोड़ेगी बुलेट ट्रेन
रेलवे पवेलियन में बताया गया कि यह कॉरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोईसर, विरार, ठाणे और मुंबई सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगा। कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा है, जिसमें 348 किमी. गुजरात, 4 किमी. दादरा एवं नगर हवेली और 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में आते हैं।