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JNU Election Result: लेफ्ट पैनल के चक्रव्यूह को भेद न सकी ABVP, गठबंधन की एकजुटता से वामदल चारों सीटें पर विजय
ललित कौशिक, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Fri, 07 Nov 2025 09:11 AM IST
सार
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में इस बार वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा देखने को मिला। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन के एकजुट पैनल ने सभी प्रमुख पदों पर जीत दर्ज करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को हर मोर्चे पर पीछे छोड़ दिया।
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जीत हासिल करने वाली अदिति, उपाध्यक्ष के. गोपिका, महासचिव सुनील यादव और संयुक्त सचिव दानिश अली
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी लेफ्ट पैनल गठबंधन के चक्रव्यूह को भेद नहीं सकी। पिछले चुनाव में लेफ्ट पैनल गठबंधन में दरार होने के चलते एबीवीपी को फायदा पहुंचा। एबीवीपी ने एक दशक बाद संयुक्त सचिव के पद पर जीत दर्ज की थी। इस बार लेफ्ट पैनल ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, जिसके चलते एबीवीपी को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
लेफ्ट पैनल ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स और एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ा था। पिछले चुनाव में एसएफआई गठबंधन में शामिल नहीं था। इस कारण लेफ्ट पैनल को सेंट्रल पैनल में संयुक्त सचिव की सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।
आइसा, एसएफआई और डीएसएफ ने संयुक्त तौर पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसमें अध्यक्ष पद के लिए आइसा से अदिती मिश्रा, एसएफआई से उपाध्यक्ष पद के लिए गोपिका बाबू, डीएसएफ से महासचिव के पद पर सुनील यादव, आइसा से संयुक्त सचिव के पद पर दानिश अली को उम्मीदवार बनाया गया था।
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लेफ्ट पैनल ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स और एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ा था। पिछले चुनाव में एसएफआई गठबंधन में शामिल नहीं था। इस कारण लेफ्ट पैनल को सेंट्रल पैनल में संयुक्त सचिव की सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।
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आइसा, एसएफआई और डीएसएफ ने संयुक्त तौर पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसमें अध्यक्ष पद के लिए आइसा से अदिती मिश्रा, एसएफआई से उपाध्यक्ष पद के लिए गोपिका बाबू, डीएसएफ से महासचिव के पद पर सुनील यादव, आइसा से संयुक्त सचिव के पद पर दानिश अली को उम्मीदवार बनाया गया था।
एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए विकास पटेल, उपाध्यक्ष पद के लिए तान्या कुमारी, महासचिव पद के लिए राजेश्वर कांत दुबे और संयुक्त सचिव पद के लिए अनुज डमारा को मैदान में उतारा है। कई दूसरे संगठन अकेले भी चुनाव लड़ रहे थे।
पिछले चुनाव में एबीवीपी ने लेफ्ट पैनल को दी थी कड़ी शिकस्त
इसमें एनएसयूआई ने सभी पदों पर उम्मीदवारे थे जबकि एआईएसएफ, बापसा ने अलग-अलग पद पर उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया था। पिछले चुनाव में अप्रैल माह में गठबंधन नहीं होने पर एबीवीपी ने लेफ्ट पैनल के उम्मीदवारों की कड़ी शिकस्त दी थी।
इसमें एनएसयूआई ने सभी पदों पर उम्मीदवारे थे जबकि एआईएसएफ, बापसा ने अलग-अलग पद पर उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया था। पिछले चुनाव में अप्रैल माह में गठबंधन नहीं होने पर एबीवीपी ने लेफ्ट पैनल के उम्मीदवारों की कड़ी शिकस्त दी थी।
अध्यक्ष पद पर 272 वोट, उपाध्यक्ष पर 34, सचिव पर 114 वोट से हार का सामना करना पड़ा था। जबकि संयुक्त सचिव के पद पर 85 वोट से जीत दर्ज की थी। लेकिन नवंबर माह के चुनाव में अध्यक्ष पद पर 449, उपाध्यक्ष पर 1314, महासचिव पर 104 और संयुक्त सचिव पर 286 वोट के अंतर से हार मिली।
27.47% बढ़ा एबीवीपी का वोट प्रतिशत
जेएनयू सेंट्रल पैनल में भले ही एबीवीपी को सभी पदों पर हार का सामना करना पड़ा है लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस बार उसका वोट प्रतिशत 27.47 के लगभग बढ़ गया है। पिछले चुनाव में एबीवीपी को सभी पदों पर कुल 5470 वोट मिले थे जबकि इस चुनाव में एबीवीपी को 6973 वोट मिले हैं।
जेएनयू सेंट्रल पैनल में भले ही एबीवीपी को सभी पदों पर हार का सामना करना पड़ा है लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस बार उसका वोट प्रतिशत 27.47 के लगभग बढ़ गया है। पिछले चुनाव में एबीवीपी को सभी पदों पर कुल 5470 वोट मिले थे जबकि इस चुनाव में एबीवीपी को 6973 वोट मिले हैं।
एबीवीपी को पिछले चुनाव में अध्यक्ष पद पर 1430 वोट, उपाध्यक्ष पद पर 1116, महासचिव के पद पर 1406 और संयुक्त सचिव के पद पर 1518 वोट मिले थे। वहीं, इस बार एबीवीपी को अध्यक्ष पद पर 1488, उपाध्यक्ष पद पर 1787, महासचिव के पद पर 1901 और संयुक्त सचिव के पद पर 1797 वोट मिले।
महासचिव पद पर मिले सर्वाधिक वोट
एबीवीपी को इस बार सबसे ज्यादा महासचिव के पद पर वोट मिले। हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मतदाताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई लेकिन मतदान प्रतिशत में उतनी बढ़ोतरी नहीं हुई। इस बार मतदान के लिए 9043 मतदाता पंजीकृत थे जिसमें से 5802 ने मतदान किया। वहीं, पिछले चुनाव में 7906 के करीब मतदाता पंजीकृत थे और उस समय 5448 मतदाताओं ने मतदान किया था।
एबीवीपी को इस बार सबसे ज्यादा महासचिव के पद पर वोट मिले। हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मतदाताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई लेकिन मतदान प्रतिशत में उतनी बढ़ोतरी नहीं हुई। इस बार मतदान के लिए 9043 मतदाता पंजीकृत थे जिसमें से 5802 ने मतदान किया। वहीं, पिछले चुनाव में 7906 के करीब मतदाता पंजीकृत थे और उस समय 5448 मतदाताओं ने मतदान किया था।
जीते के बाद बोले विजेता
हमें छात्रों पर भरोसा था कि वह लेफ्ट पैनल को जरूर जीताएंगे। छात्रों के मुद्दों को प्रशासन के बीच लेकर जाएंगे। अदिति मिश्रा, अध्यक्ष
यह छात्रों के भरोसे की जीत है कि उन्होंने लेफ्ट पैनल पर विश्वास जताया। छात्र हित की दिशा में काम किया जाएगा।- सुनील यादव, महासचिव
हॉस्टल और लाइब्रेरी की सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। के गोपिका बाबू, उपाध्यक्ष
आज की जीत संकेत है कि प्रशासन कितनी दमनकारी नीति लेकर आ जाएं यहां का छात्र कभी नहीं झुकेगा।- दानिश अली, संयुक्त सचिव
हमें छात्रों पर भरोसा था कि वह लेफ्ट पैनल को जरूर जीताएंगे। छात्रों के मुद्दों को प्रशासन के बीच लेकर जाएंगे। अदिति मिश्रा, अध्यक्ष
यह छात्रों के भरोसे की जीत है कि उन्होंने लेफ्ट पैनल पर विश्वास जताया। छात्र हित की दिशा में काम किया जाएगा।- सुनील यादव, महासचिव
हॉस्टल और लाइब्रेरी की सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। के गोपिका बाबू, उपाध्यक्ष
आज की जीत संकेत है कि प्रशासन कितनी दमनकारी नीति लेकर आ जाएं यहां का छात्र कभी नहीं झुकेगा।- दानिश अली, संयुक्त सचिव
लाल सलाम के नारों से गूंजा जेएनयू
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट पैनल के उम्मीदवारों की जीत के साथ परिसर लाल सलाम के नारों से गूंज उठा। डफली और ड्रम की आवाज परिसर में सुनाई देने लगी। लेफ्ट पैनल की जीत पर समर्थकों में खुशी का जश्न पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। छात्र एक-दूसरे को रंग लगाते दिखे। बता दें कि वर्ष 2019 के बाद अध्यक्ष पद पर किसी महिला उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट पैनल के उम्मीदवारों की जीत के साथ परिसर लाल सलाम के नारों से गूंज उठा। डफली और ड्रम की आवाज परिसर में सुनाई देने लगी। लेफ्ट पैनल की जीत पर समर्थकों में खुशी का जश्न पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। छात्र एक-दूसरे को रंग लगाते दिखे। बता दें कि वर्ष 2019 के बाद अध्यक्ष पद पर किसी महिला उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
यूपी की अदिति मिश्रा अध्यक्ष
अदिति मिश्रा यूपी के बनारस की रहने वाली हैं। 2017 में काशी हिंदू विवि से स्नातक। वर्तमान में स्कूल ऑफ इंटरेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं। शोध का विषय लैंगिक हिंसा है।
अदिति मिश्रा यूपी के बनारस की रहने वाली हैं। 2017 में काशी हिंदू विवि से स्नातक। वर्तमान में स्कूल ऑफ इंटरेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं। शोध का विषय लैंगिक हिंसा है।
केरल की गोपिका बाबू उपाध्यक्ष
किझाकूट गोपिका बाबू जेएनयू में विधि एवं शासन अध्ययन केंद्र में पीएचडी की छात्रा हैं। वह केरल के त्रिशुर की रहने वाली है। स्नातक डीयू के मिरांडा हाउस से किया। वर्ष 2022 में जेएनयू में प्रवेश लिया।
किझाकूट गोपिका बाबू जेएनयू में विधि एवं शासन अध्ययन केंद्र में पीएचडी की छात्रा हैं। वह केरल के त्रिशुर की रहने वाली है। स्नातक डीयू के मिरांडा हाउस से किया। वर्ष 2022 में जेएनयू में प्रवेश लिया।
यूपी के सुनील यादव महासचिव
सुनील यादव यूपी के बस्ती जिले के रहने वाले हैं। जेएनयू में सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज में पीएचडी के शोधार्थी है। डीयू से 2021 में स्नातक किया है। जेएनयू में 2022 में वह स्टूडेंट फैकल्टी कोऑर्डिनेटर के तौर पर चुने गए।
सुनील यादव यूपी के बस्ती जिले के रहने वाले हैं। जेएनयू में सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज में पीएचडी के शोधार्थी है। डीयू से 2021 में स्नातक किया है। जेएनयू में 2022 में वह स्टूडेंट फैकल्टी कोऑर्डिनेटर के तौर पर चुने गए।
एमपी की दानिश संयुक्त सचिव
स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में पीएचडी की प्रथम वर्ष की छात्रा है। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले से आती हैं। स्नातक डीयू के खालसा कॉलेज से किया। 2022-2024 बैच में सीएचएस से एमए कोर्स में दाखिला लिया।
स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में पीएचडी की प्रथम वर्ष की छात्रा है। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले से आती हैं। स्नातक डीयू के खालसा कॉलेज से किया। 2022-2024 बैच में सीएचएस से एमए कोर्स में दाखिला लिया।