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दिल्ली में बम धमाका: ब्लास्ट वेव से फटे कान के पर्दे, फेफड़े और आंत; मिले संशोधित विस्फोटक इस्तेमाल के संकेत

परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 13 Nov 2025 04:21 AM IST
सार

फोरेंसिक विशेषज्ञ ने बताया कि प्रारंभिक जांच में संकेत मिल रहे हैं कि धमाके में संभवत कोई नया या संशोधित विस्फोटक इस्तेमाल किया गया है।  

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Terrorist Incident: Blast wave ruptures eardrums, lungs and intestines
दिल्ली में हुए धमाके के बाद जांच करती टीम - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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लाल किले के पास हुए धमाके की तीव्रता इतनी अधिक रही कि ब्लास्ट वेव से कई लोगों के कान के पर्दे, फेफड़े और आंतें फट गईं। दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ शवों में फेफड़ों, कान और पेट के भीतर ब्लास्ट वेव से नुकसान के संकेत मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि धमाका अत्यंत नजदीक से हुआ। किसी भी विस्फोट के समय अत्यधिक दाब और तापमान से उत्पन्न गैसीय लहर को ब्लास्ट वेव कहते हैं। 

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नए या संशोधित विस्फोटक की आशंका 
फोरेंसिक विशेषज्ञ ने बताया कि प्रारंभिक जांच में संकेत मिल रहे हैं कि धमाके में संभवत कोई नया या संशोधित विस्फोटक इस्तेमाल किया गया है।  

विशेषज्ञ के मुताबिक  
छर्रे से पेनेट्रेटिंग, लेंसरेटिंग घाव और हेमोरेजिक शॉक पैटर्न पर ज्यादा जोर नहीं है लेकिन घाव दर्शाते हैं कि धमाका उच्च तीव्रता का था। 

अमोनियम नाइट्रेट में चोटें नहीं होती अलग 
विशेषज्ञ ने कहा कि अमोनियम नाइट्रेट से अलग चोटें नहीं होती। फर्क बस फोरेंसिक रेसिड्यू और रसायन शास्त्रीय विश्लेषण से आता है। 

थ्योरी कई, अंतिम रिपोर्ट जांच एजेंसियों पर  

  • फोरेंसिक विशेषज्ञ ने कहा कि लाल किले के पास हुआ धमाका सामान्य है या किसी विस्फोटक से जुड़ा है, इसकी थ्योरी कई हैं, लेकिन अंतिम रिपोर्ट जांच एजेंसियों पर निर्भर है। हालांकि फोरेंसिक स्तर पर मौत का प्राथमिक कारण ब्लास्ट वेव यानी विस्फोट की लहर से हुईं आंतरिक चोटें, छर्रे या धातु के टुकड़ों से हुए गहरे घावों या अत्यधिक रक्तस्राव, शॉक या फिर जलने के आधार पर जांचा जाता है। हालांकि कुछ शवों की स्थिति ऐसी थी कि सभी अंगों की विस्तृत जांच संभव नहीं हो पाई। 
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घटनास्थल से 40 से ज्यादा नमूने जुटाए
फोरेंसिक टीम ने विस्फोट स्थल से अब तक 40 से ज्यादा नमूने एकत्र किए हैं। एफएसएल ने नमूनों का विश्लेषण करने के लिए विशेष टीम का गठन किया है। विस्फोट के बाद से एफएसएल प्रयोगशाला 24 घंटे काम कर रही है। गौरतलब है कि मौके से दो कारतूस और दो अलग-अलग तरह के विस्फोटकों के नमूने भी मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है। 

 

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