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खुलासा: दिल्ली के नक्शे पर नजर आने वाली झीलों को कब्जों ने सुखाया, एनजीटी की फटकार के बाद रिपोर्ट में खुली पोल

नितिन राजपूत, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 17 Nov 2025 04:13 AM IST
सार

दिल्ली के 28 प्रमुख जल स्रोतों में से आधे से अधिक अवैध कब्जों की भेंट चढ़ चुके हैं तो कुछ की जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। 

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The lakes visible on the map of Delhi were dried up due to encroachments
गीता कॉलोनी का बदहाल जलाशय... - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजधानी के तालाब और झीलें नक्शों में भले ही लबालब भरी नजर आती हों लेकिन जमीनी हकीकत में इनमें से कई का वजूद तक गायब हो चुका है। दिल्ली के 28 प्रमुख जल स्रोतों में से आधे से अधिक अवैध कब्जों की भेंट चढ़ चुके हैं तो कुछ की जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। 

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सख्त आदेश के बाद दिल्ली वन विभाग की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। कभी जहां पानी ही पानी नजर आता था वहां अब फार्महाउस और अनधिकृत बस्तियां खड़ी हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इन स्रोतों का कुल क्षेत्र रेवेन्यू रिकॉर्ड में 1.5 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा है, लेकिन जमीन पर आधा ही बचा।
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 मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने फरवरी 2025 में जो रिपोर्ट मांगी थी उसके जवाब में विभाग ने बताया कि डिसिल्टिंग और बाड़ लगाने जैसे कदम तो शुरू कर दिए हैं, लेकिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अधर में है। रिपोर्ट से पता चलता है कि ज्यादातर स्रोत मौसमी हैं, यानी बारिश के पानी से भरते हैं। कुछ हमेशा पानी वाले (पेरिनियल) हैं, लेकिन कीचड़ और कचरे से ढके हैं। दिल्ली वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, असोला भट्टी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में ‘नीली झील’ (नीली जहील) अच्छी हालत में है लेकिन पानी उथला है। 

विभाग ने बताया कि हर साल मानसून से पहले डिसिल्टिंग और बंडिंग (किनारे मजबूत करना) किया जाता है। भाटी कलां गांव जोहर में 15.673 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण है। खसरा नंबर 1873 और 1874 पर अबादी (गांव) का कब्जा है। विभाग ने बाड़ लगाई और पेड़ लगाए, लेकिन पूरी सफाई बाकी है। चट्टरपुर मंदिर जोहड़ अच्छा चल रहा है, लेकिन आसपास अनधिकृत कॉलोनी ने घेर लिया है। 

यहां 14,180 वर्ग मीटर का स्रोत अब 20,746 वर्ग मीटर तक सिकुड़ गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मैदान गढ़ी के एक स्रोत पर फार्महाउस ने पूरा कब्जा कर लिया। खसरा नंबर 1004/598 पर 3 बीघा 5 बिस्वा में अवैध निर्माण है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द कदम न उठे, तो दिल्ली की पानी की समस्या और गंभीर हो जाएगी। वन विभाग ने वादा किया कि अगले कुछ हफ्तों में और अपडेट देंगे।

सतबारी, देवली, नेब सराय जैसे इलाकों में सबसे ज्यादा समस्या
रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग ने एसडीएम को पत्र लिखा है, लेकिन अभी स्टे टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कार्रवाई लंबित है। शाहूरपुर के खसरा 371 पर राज विद्यालय केंद्र ने 27 बीघा 18 बिस्वा कब्जा कर लिया। यहां भी तालाब गायब। रिपोर्ट में 21 स्रोतों का जिक्र है, जहां अतिक्रमण हटाने के लिए बाड़, पेड़ लगाना और सफाई की गई लेकिन 7-8 जगहों पर पानी नहीं बचा है। साउथ दिल्ली के सतबारी, देवली, नेब सराय जैसे इलाकों में सबसे ज्यादा समस्या है।

दिल्ली में 1080 जलस्रोत विभाग के डिप्टी कंजर्वेटर विपुल पांडे ने रिपोर्ट में बताया कि ये 28 जल स्रोत दिल्ली नमभूमि प्राधिकरण (डब्ल्यूएडी) की लिस्ट से लिए गए हैं। इन्हें चार वन डिवीजनों (सेंट्रल, नॉर्थ, साउथ और वेस्ट) में बांटा गया है। साउथ डिवीजन में सबसे ज्यादा 21 स्रोत हैं, जबकि सेंट्रल में सिर्फ 21 कुल मिलाकर दिल्ली में 1080 जल स्रोत हैं। इनमें 28 वन क्षेत्रों के अंदर हैं।

बहाली के क्या प्लान? 
दिल्ली के जल स्रोतों की बहाली के लिए विभाग ने दो स्तरों पर योजना तैयार की है। तत्काल कदमों में हर साल 10-25 दिनों के भीतर डिसिल्टिंग और बंडिंग का काम शामिल है, जिनमें से इस साल अधिकांश कार्य मानसून से पहले कर लिए गए हैं। लंबे प्लान के तहत अवैध कब्जे हटाने के लिए राजस्व विभाग की मदद और एनजीटी के पुराने मामले का हवाला देते हुए स्पेशल टास्क फोर्स (डीटीएफ) से कार्रवाई की मांग की गई है। छोटे तालाबों की सफाई का काम 10-14 दिन में पूरा हो सकता है, जबकि बड़े जल स्रोतों को तैयार करने में 20-25 दिन लगते हैं। अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया महीनों तक खिंच सकती है, जिससे बहाली की गति धीमी पड़ जाती है।

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