'क्रिकेट तो लड़कों का खेल': दुनिया में भारत बना विश्वविजेता...'हरमन' की टीम बेटियों के लिए बनी प्रेरणा; जानें
Women World Cup 2025: महिला क्रिकेट विश्वकप 2025 में हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में भारतीय महिला टीम विश्वविजेता बन गई। बीते रविवार को भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर ट्रॉफी अपने नाम की। भारत की इस जीत के साथ महिला क्रिकेट को नया विश्व चैंपियन मिल गया।
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हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वह कर दिखाया, जिसका सपना दशकों से देखा जा रहा था। टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार महिला विश्वकप जीतकर इतिहास रच दिया है। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि देश की हर उस बेटी की जीत है, जिसने कभी हाथ में बल्ला उठाने का सपना देखा था या देख रही है।
अंजुम चोपड़ा, झूलन गोस्वामी और मिताली राज जैसी दिग्गज खिलाड़ियों ने वर्षों पहले जो सपना देखा था, उसे हरमन की शेरनियों ने साकार कर दिखाया। उन्होंने साबित कर दिया कि अब क्रिकेट सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं रहा। यह भारत की बेटियों की हिम्मत, हुनर और मेहनत का भी मैदान बन चुका है। 1983 में जब कपिल देव ने क्रिकेट के मक्का लार्ड्स की बालकनी में खड़े होकर कप उठाया था, तब क्रिकेट भारत के बच्चे-बच्चे की रगो में क्रिकेट खून बनकर दौड़ने लगा था। अब 2025 में हरमन की टीम ने वही जोश और जुनून फिर से जगा दिया है।
फर्क बस इतना है कि इस बार बल्ले पर बेटियों का नाम लिखा है। महिला टीम की इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब खेल के मैदानों में माता-पिता अपनी बेटियों को भी क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करेंगे। जो बंदिशें थीं कि क्रिकेट लड़कों का खेल है वह दीवार इस जीत के बाद गिर चुकी है।
ताने देने वाले अब बेटियों के गा रहे गुन
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                गली-मोहल्ले में यदि कोई अपनी बेटी को क्रिकेट खेलने के लिए भेजता है तो सामने तो नहीं लेकिन लोग पीठ पीछे ताने जरूर देते हैं। रविवार रात भारतीय बेटियों के विश्व विजेता बनने के बाद अब ताना देने वालों के सुर बदल गए हैं। भारतीय महिला क्रिकेट जब से बीसीसीआई के अधीन गया है तब से इसके दिन बहुरने लगे। जय शाह के सचिव बनने के बाद महिला क्रिकेट के क्षेत्र में काफी काम हुआ। 
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                मिताली, हरमन, स्मृति, जेमिमा, दीप्ती शर्मा और शैफाली वर्मा जैसे खिलाड़ियों को देखकर कई क्रिकेट प्रेमियों ने अपनी बेटियों को भी क्रिकेटर बनाने का समना देखना शुरू किया। अब राजधानी की गलियों से लेकर बदरपुर, लाजपत नगर, ग्रेटर कैलाश, और वंसत कुंज की क्रिकेट अकादमियों में सुबह-शाम क्रिकेट अकादमियों तक हर जगह लड़कियां बल्ला और गेंद लेकर मैदान में उतर रही हैं। कोच मुकुल गुप्ता हरमन की जीत के बाद इनकी संख्या में कई गुना बढ़ाेत्तरी होना तय है।
जब टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका को हराया, तो लगा जैसे हमारी भी जीत हो। अब हर प्रैक्टिस सेशन में बस एक ही ख्याल रहता है कि देश के लिए कुछ कर दिखाना है। -पुजा गुप्ता
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                टीम इंडिया की जीत ने हम सबको नया आत्मविश्वास दिया है। अब लगता है कि मेहनत करने से कुछ भी असंभव नहीं। - शिवानी सिंह, क्रिकेटर  
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                हरमनप्रीत और शैफाली की बल्लेबाजी देखकर लगता है जैसे वो हम सबकी आवाज हैं। अब हम भी बनना चाहती हैं आने वाली हरमनप्रीत। - प्रज्ञा रावत, क्रिकेटर
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                पहले घरवाले कहते थे कि क्रिकेट तो लड़कों का खेल है, लेकिन अब वही लोग हमें बैट दिलाते हैं और कहते हैं तुम भी एक दिन भारत के लिए खेलो। -वर्षा  
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                इस जीत के बाद यकीन हो गया कि इरादा मजबूत हो तो कोई सपना बड़ा नहीं। मम्मी-पापा सपोर्ट करते हैं लेकिन अन्य परिजनों की सोच बदल गई है। - सारा लंबा