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Career Tips: किताबी ज्ञान से परे भी सोचें! बदलते माहौल में बेहतरीन अवसरों के लिए अपनाएं उद्यमी मानसिकता

एमी जिलेट, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू Published by: शिवम गर्ग Updated Wed, 16 Jul 2025 12:24 PM IST
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सार

Harvard Business Review: सिर्फ किताबी ज्ञान काफी नहीं है। आज के बदलते समय में अवसरों की पहचान और सफलता के लिए उद्यमी मानसिकता जरूरी है। जानिए कैसे रचनात्मक सोच और नवाचार की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।

Career Tips: Think Beyond Bookish Knowledge! Adopt an Entrepreneurial Mindset to Thrive in a Changing World
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : freepik
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विस्तार
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Entrepreneurial Mindset: हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां लगातार बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में, आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि आप खुद को इस माहौल में सफल होने के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं? इसका सबसे बेहतर तरीका है अपने अंदर उद्यमी मानसिकता का निर्माण करना। यह मानसिकता अवसरों की पहचान करने और उनका लाभ उठाने, जरूरत पड़ने पर रास्ता बदलने तथा गलतियों से सीखकर उसमें सुधार करने में सक्षम बनाती है।

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इस मानसिकता से आप न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी ला सकेंगे। हालांकि, इसके लिए आपको कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे, जिनके बारे में यहां बताया गया है।

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पारंपरिक ढर्रे से हटकर सोचें

ज्यादातार छात्र किताबी ज्ञान पर ज्यादा जोर देते हैं। वे न तो रचनात्मक तरीके से सोचने के आदी होते हैं और न ही नवाचार करने के। इस पारंपरिक सोच से हटते हुए आपको अपने स्कूल-कॉलेज में टीम-आधारित परियोजनाओं से जुड़ने पर जोर देना चाहिए, ताकि आप समस्याओं की जटिलता को समझने, असमंजस के बीच फैसले लेने और अपने लिए बेहतर मार्ग चुनने की क्षमता का विकास कर सके। इससे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

सवाल पूछने में झिझक कैसी

आपको यह समझना होगा कि आपकी कक्षा केवल ज्ञान हासिल करने की जगह नहीं है, बल्कि एक प्रयोगशाला है जहां आप सोचने, सवाल उठाने और नवाचार करने का अभ्यास कर सकते हैं। उन नियमों और कायदों से जुड़े प्रश्न अपने शिक्षक से पूछें, जो आपकी किताब में नहीं लिखे हैं। इस तरह की सोच आपको न केवल नवाचार के लिए तैयार करेगी, बल्कि एक उद्यमी की तरह स्पष्ट तरीके से सोचने, जोखिम लेने और समस्या की गहराई तक जाने की मानसिकता विकसित करने में सक्षम बनाएगी।

साहसिक कदम उठाने की आदत

आपको अपने पाठ्यक्रम को कोल्ब के अनुभवात्मक शिक्षण सिद्धांत 'रेडी-फायर-एम' के आधार पर डिजाइन करना चाहिए। इसमें शिक्षण की औपचारिक तैयारी के बजाय छात्रों को सीधे किसी समस्या की वास्तविक स्थिति में डाल दिया जाता है। जब आपको बिना स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए कोई समस्या हल करने को कहा जाता है, तब हो सकता है आप डर और झुंझलाहट महसूस करें, लेकिन आप हर हाल में उस काम को सही ढंग से करने की पूरी कोशिश करेंगे।

खुद को पहचानें

किसी प्रोजेक्ट या चुनौती का सामना करते वक्त अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने से हिचके नहीं। आपके ऊपर भरोसा करके ही कोई काम आपको सौंपा गया है। आगे चलकर यही विश्वास आपकी सोच, आत्मविश्वास और प्रयासों में झलकने लगता है। ऐसे में, आप अपनी असली क्षमताओं को महसूस करते हैं और यह जान पाते हैं कि आप वास्तव में क्या कर सकते हैं।

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