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DU: 'हर कक्षा में गूंजे वंदे मातरम', शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का दिल्ली विश्वविद्यालय से आह्वान

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Mon, 10 Nov 2025 04:24 PM IST
सार

DU: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली विश्वविद्यालय की हर कक्षा में "वंदे मातरम" के सामूहिक गायन की परंपरा शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह गीत आज के भारत के लिए प्रेरणास्रोत है और विकसित भारत के निर्माण में मार्गदर्शक बनेगा।
 

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Dharmendra Pradhan urges DU to begin collective singing of Vande Mataram in every classroom
धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री - फोटो : ANI
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विस्तार
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Dharmendra Pradhan: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रत्येक कक्षा में वंदे मातरम का सामूहिक गायन शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह परंपरा न केवल प्रेरक होगी, बल्कि इसे जन-आंदोलन में भी बदल सकती है।

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दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय गीत एक विकसित और समृद्ध भारत के निर्माण में मार्गदर्शक प्रकाश बनेगा।
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प्रधान ने कहा, "हमारे युवा साथी वंदे मातरम का पूर्ण संस्करण गाएं और इसके भाव को आगे बढ़ाएं। दिल्ली विश्वविद्यालय इसकी भावना को जन-आंदोलन में बदलने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है और इसे आने वाली पीढ़ियों से जोड़ सकता है।"

उन्होंने आगे कहा, "विश्वविद्यालय की हर कक्षा में वंदे मातरम का सामूहिक गायन एक शक्तिशाली परंपरा बने। पहले हमने वंदे मातरम स्वतंत्रता के लिए गाया था, अब यही गीत विकसित भारत के निर्माण में हमारा मार्गदर्शन करेगा।"

कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने छात्रों के साथ वंदे मातरम का सामूहिक गायन किया और कहा कि यह क्षण बेहद प्रेरणादायक था। उन्होंने कहा, "असंख्य देशभक्तों के संघर्ष और बलिदान से हमें 1947 में स्वतंत्रता मिली। वंदे मातरम उस राष्ट्रीय चेतना का उद्घोष था जिसने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया।"

1875 में हुई थी रचना

संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ की रचना 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन मानी जाती है। यह पहली बार उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ के हिस्से के रूप में बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, जिसे बाद में 1882 में पुस्तक के रूप में जारी किया गया।

यह गीत मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है और देश की एकता व आत्मसम्मान की भावना को कवितामय रूप देता है। यह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बन गया।

24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की थी कि "वंदे मातरम", जिसने स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, उसे राष्ट्रगान "जन गण मन" के समान सम्मान प्राप्त होगा।

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