NMM: स्कूलों के शिक्षकों को सिखाएंगे अनुभवी प्रोफेसर, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को भेजी नई सलाह; देखें नोटिस
NMM: यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों से कम से कम आठ वर्ष के अनुभव वाले शिक्षकों को नेशनल मिशन फॉर मेंटरिंग के लिए नामित करने को कहा है। ये प्रोफेसर NCTE पोर्टल के माध्यम से स्कूल शिक्षकों को मार्गदर्शन देंगे। मिशन का उद्देश्य एनईपी 2020 के तहत शिक्षण गुणवत्ता सुधारना है।
विस्तार
UGC's NMM: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने उच्च शिक्षा संस्थानों को एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि वे अपने संस्थान के ऐसे अनुभवी शिक्षकों की पहचान करें और नामांकन भेजें जो नेशनल मिशन फॉर मेंटरिंग (NMM) के तहत मेंटर की भूमिका निभा सकें। यह कदम शिक्षा मंत्रालय द्वारा देशभर में मेंटरिंग व्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास के तहत उठाया गया है, ताकि विश्वविद्यालयों के अनुभवी शिक्षक स्कूल शिक्षकों को औपचारिक ढंग से मार्गदर्शन दे सकें।
कौन बन सकता है नेशनल मेंटर?
नोटिफिकेशन के अनुसार, ऐसे प्रोफेसर या अन्य पात्र शिक्षक जिनके पास कम से कम आठ वर्ष का शिक्षण अनुभव है, उन्हें नेशनल मेंटर के रूप में शामिल किया जा सकता है। चुने गए मेंटर NCTE (National Council for Teacher Education) द्वारा संचालित NMM पोर्टल के माध्यम से व्यक्तिगत और समूह आधारित मेंटरिंग सत्र आयोजित करेंगे। संस्थानों से कहा गया है कि वे जल्द से जल्द पात्र शिक्षकों के नामांकन भेजें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 से कैसे जुड़ा है मिशन?
एनईपी 2020 के पैराग्राफ 15.11 में यह प्रस्तावित है कि स्कूल शिक्षकों को अकादमिक और प्रोफेशनल सपोर्ट देने के लिए विशेषज्ञों का बड़ा नेटवर्क बनाया जाए। इस व्यवस्था को तैयार करने की जिम्मेदारी NCTE को दी गई थी, जिसने इसका फ्रेमवर्क और दिशा-निर्देश तैयार कर लिए हैं।
इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए 9 मार्च 2024 को "NMM: The Bluebook" जारी की गई, जिसमें इस योजना की कार्यप्रणाली, मेंटर और मेंटी की जिम्मेदारियां तथा डिजिटल सिस्टम की जानकारी शामिल है। NMM पोर्टल पर शिक्षकों और मेंटर्स की मुलाकात, चर्चा, प्रशिक्षण कार्यक्रम और अन्य गतिविधियां आयोजित होंगी।
आधिकारिक नोटिस यहां देखें...
मेंटर स्कूल शिक्षकों को क्या सिखाएंगे?
नेशनल मेंटर के रूप में चयनित प्रोफेसर आधुनिक शिक्षण आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन देंगे। प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:
- शैक्षणिक कंटेंट ज्ञान – विषय समझ और सिखाने की रणनीतियां
- बुनियादी साक्षरता और संख्यान कौशल – शुरुआती कक्षाओं के लिए
- समुदाय से जुड़ाव – स्कूल और समाज के बीच बेहतर संबंध
- डिजिटल शिक्षा साक्षरता – कक्षाओं में तकनीक का उपयोग
- कुशलता आधारित शिक्षा – रटकर पढ़ाई से परिणाम आधारित शिक्षण की ओर
- समावेशी शिक्षा – विविध जरूरतों वाले बच्चों पर ध्यान
- कक्षा प्रबंधन – अनुशासन और शैक्षिक माहौल सुधारना
- 21वीं सदी के कौशल – रचनात्मकता, सहयोग और आलोचनात्मक सोच
- एक्शन रिसर्च – कक्षा की समस्याओं का विश्लेषण कर समाधान निकालना
- समग्र मूल्यांकन – पारंपरिक परीक्षा से आगे बढ़कर व्यापक आकलन
- शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य – भावनात्मक मजबूती और पेशेगत संतुलन
इन क्षेत्रों के माध्यम से मिशन का उद्देश्य शिक्षण प्रक्रिया को आधुनिक बनाना और शिक्षकों को नई शिक्षा पद्धतियों के अनुरूप तैयार करना है।
अब जिम्मेदारी संस्थानों की
यूजीसी की इस नई सलाह के बाद अब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को ऐसे शिक्षकों की पहचान करनी होगी जो मेंटरिंग की भूमिका निभा सकें। उनकी सक्रिय भागीदारी से ही यह मिशन व्यापक स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू हो सकेगा।