IIIT Delhi: इंटरैक्शन डिजाइन-UX में पीजी डिप्लोमा करने का मौका, डिजिटल चुनौतियों के समाधान का मिलेगा प्रशिक्षण
IIIT Delhi: इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली इंटरैक्शन डिजाइन और यूएक्स में पीजी डिप्लोमा पेश कर रहा है, जिसमें छात्रों को वास्तविक डिजिटल चुनौतियों को हल करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलेगा।

विस्तार
IIIT: इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) दिल्ली ने इंटरैक्शन डिजाइन एवं यूएक्स में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम डिजाइन सिद्धांतों, उपयोगकर्ता अनुभव की कार्यप्रणालियों, उभरती हुई तकनीकों और अन्य संबंधित पहलुओं के एकीकृत अध्ययन पर केंद्रित है।

इस संबंध में आईआईआईटी दिल्ली और टाइम्सप्रो के बीच समझौता ज्ञापन हुआ है। इस परियोजना का नेतृत्वआईआईआईटी दिल्ली की डॉ. प्रग्मा कर और डॉ. ऋचा गुप्ता द्वारा किया जाएगा। यह कार्यक्रम टाइम्सप्रो के सहयोग से ऑनलाइन डायरेक्ट-टू-डिवाइस मोड में उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें इच्छुक प्रतिभागियों को आईआईआईटी दिल्ली परिसर में तीन दिवसीय आवासीय सत्र का वैकल्पिक अवसर भी मिलेगा।
IIIT दिल्ली में यूजर-केंद्रित डिजाइन और नवाचार पर केंद्रित पीजी डिप्लोमा
आईआईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंजन बोस ने कहा कि इंटरैक्शन डिजाइन एवं यूएक्स में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शिक्षार्थियों को सहज और उपयोगकर्ता-केंद्रित अनुभवों के डिजाइन के लिए व्यावहारिक कौशल प्रदान करेगा। विद्यार्थियों को उपयोगकर्ता अनुसंधान, इंटरैक्शन डिजाइन तकनीकों और मूल्यांकन विधियों के माध्यम से जटिल डिजाइन चुनौतियों को हल करने के लिए प्रशिक्षित करेगा। जिससे वह उद्योग के अनुरूप दक्ष बन सकेंगे और नवाचार को दिशा देने में सक्षम होंगे।
कार्यक्रम के निदेशक डॉ. प्रग्मा कर और डॉ. ऋचा गुप्ता के मुताबिक इंटरैक्शन डिजाइन और यूएक्स, ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरैक्शन (एचसीआई) के प्रमुख घटक हैं, जो आधुनिक जीवन के लगभग हर क्षेत्र को आकार देते हैं।
UX और इंटरैक्शन डिजाइन में उन्नत प्रशिक्षण
यह कार्यक्रम डिजाइन के मूल सिद्धांतों, मानव-केंद्रित पहलुओं और इंटरैक्शन के विभिन्न रूपों को एआर/वीआर, टैन्जिबल इंटरफेसेस, वियरेबल टेक्नोलॉजी और डिजाइन में जनरेटिव एआई की भूमिका जैसे अत्याधुनिक विषयों के साथ एकीकृत करेगा।
यह स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम के क्षेत्र में अपनी तरह का पहला एक-वर्षीय कार्यक्रम है, जो शिक्षार्थियों को केवल उभरती हुई तकनीकों से ही नहीं जोड़ेगा बल्कि इस क्षेत्र से संबंधित सैद्धांतिक ढांचों और मूलभूत प्रक्रियाओं की गहन समझ भी प्रदान करेगा।