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NEET UG 2025: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की प्रश्नों में त्रुटि मामले से जुड़ी याचिका, हाईकोर्ट जाने की दी सलाह

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Fri, 01 Aug 2025 04:21 PM IST
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सार

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी 2025 में तीन सवालों में गलती के दावे पर याचिका खारिज की और याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा कि परीक्षा हो चुकी है, विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग भी ठुकरा दी गई।
 

NEET-UG 2025: Supreme Court Rejects Plea Over Question Errors, Advises Moving High Court
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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NEET UG 2025: सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी 2025 परीक्षा में तीन सवालों में गंभीर त्रुटियों के दावे को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को संबंधित उच्च न्यायालय का रुख करने की सलाह दी है।

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यह मामला न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए. एस. चंदूरकर की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि नीट यूजी 2025 के प्रश्नपत्र में पूछे गए तीन प्रश्न पूरी तरह से गलत थे और इससे उनके मुवक्किल को 13 अंक का नुकसान हुआ है।
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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, “मैंने इस मामले में दो विशेषज्ञों की राय ली है और दोनों ने मेरी बात से सहमति जताई है। उन्होंने प्रमाणित किया है कि ये तीनों प्रश्न गलत हैं।”

हालांकि, पीठ ने इस दलील पर टिप्पणी करते हुए कहा, "परीक्षा हो चुकी है, अब आप यह याचिका वापस लें और उच्च न्यायालय में जाएं। हम आपके लिए रास्ता बंद नहीं करना चाहते।”

वकील ने अदालत से यह अनुरोध भी किया कि सुप्रीम कोर्ट इन तीनों सवालों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करे, जो तीन दिन के भीतर राय दे सके। उन्होंने कहा कि समिति की राय के बाद अदालत इस मामले पर विचार कर सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध पर असहमति जताई, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।

गौरतलब है कि 4 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2025 परीक्षा के परिणामों को एक सवाल में त्रुटि के आधार पर चुनौती देने वाली एक अलग याचिका को खारिज कर दिया था।

नीट यूजी परीक्षा देशभर में मेडिकल पाठ्यक्रमों जैसे MBBS, BDS, AYUSH आदि में प्रवेश के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाती है। यह परीक्षा सरकारी और निजी संस्थानों में दाखिले के लिए अनिवार्य है।

यह मामला संवेदनशील इसलिए भी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से साफ है कि अब इस प्रकार की आपत्तियों को संबंधित उच्च न्यायालयों में ही उठाना होगा, जिससे छात्रों को वैधानिक रास्ते खुले रह सकें।

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